सबसे पहले गुरु जी को प्रणाम लोगों के बिस्तर में खेले जाने वाले जायज़ और नाजायज़ संबंधों को हम लोगों के समक्ष जाहिर करने के लिए !
कई लोग सोचते होंगे कि शायद यहाँ पर मनगढ़ंत कहानियाँ होती हैं लेकिन दोस्तो, यह कलयुग है, घोर कलयुग ! इन सभी किस्सों में सचाई सौ परसेंट होती है।
अब अंतर्वासना के पाठकों को वंदना की गीली चूत का प्रणाम !
मैं एक तेतीस साल की ज़िन्दगी को जी लेने वाली सोच की मालिक हूँ। मुझे जिंदगी अपने ढंग से मस्ती के साथ जीना अच्छा लगता है। मैं एक पढ़ी-लिखी महिला हूँ, तेतीस साल की
जिंदगी में अब तक मैं बहुत से लौड़े ले चुकी हूँ।
सोलह साल की थी जब मैंने अपनी सील तुड़वाई थी और फिर उसके बाद कई लड़के कॉलेज लाइफ तक आये और मेरे साथ मजे करके गए। मैं खुद भी कभी किसी लड़के के साथ सीरियस नहीं रही थी।
अब मैं एक सरकारी स्कूल में कंप्यूटर की वोकेशनल स्कीम के तहत कंप्यूटर लेक्चरर हूँ, वो भी सिर्फ लड़कों के स्कूल में ! वैसे तो वहाँ मेरे अपने कुछ ख़ास सहयोगियों के साथ स्कूल से बाहर अवैध संबंध हैं। मैं अपने पति से अलग रहती हूँ, मेरी दो बेटियाँ हैं जो अपने पापा के साथ दादा-दादी के घर में ही रहती हैं। अकेलेपन ने मुझे और गाड़ दिया था, पतिदेव ने मुझे समझाने के बजाये छोड़ ही दिया जिससे मैं और अय्याश होने लगी हूँ। बत्तीस हज़ार मेरी तनख्वाह है, अकेली रहती हूँ, हर सुख-सुविधा घर में मौजूद है। पति के अलग होने के बाद मैं और बिगड़ चुकी हूँ और अपने साथियों को रात-रात भर अपने घर रखती हूँ।
आज मैं आपके सामने अपनी एक सबसे अच्छी चुदाई के बारे लिखने लगी हूँ ज़रा गौर फरमाना !
मुझे गहरे-खुले गले के सूट पहनना पसंद है और वो भी छातियों से कसे हुए, पीठ पर जिप, कमर से कसे, पटियाला सलवार !
जून-जुलाई की बात है, सब जानते हैं पंजाब में कितनी गर्मी पड़ती है इन दिनों ! स्कूल बंद थे लेकिन आजकल हमारे महकमे में एजुसेट एजूकेशन ऑनलाइन क्लास लगती है, उसके तहत पांच दिन का सेमीनार लगा। बाकी सारा स्कूल बंद था। साइंस ग्रुप में सिर्फ पांच लड़के हैं। गर्मी बहुत थी पहले ही जालीदार मुलायम सा सूट डाला था बाकी पसीने से मेरा सूट बदन से चिपक जाता !
पांच में से तीन लड़के सिरे के हरामी हैं, उनकी नज़र तो मेरी चूचियों पर टिकी रहती, बस मेरे जिस्म को देख देख अन्दर ही आहें भरते होंगे !
पहला दिन ऐसे निकला, दूसरे दिन मैंने और पतला सूट पहना और खुल कर अपने गले की नुमाईश लगाई। मुझे शुरु से ही इस तरीके से लड़कों को अपना जिस्म दिखाना अच्छा लगता था। इससे मुझे बहुत गर्मी मिलती थी। वो आज मुझे देख देखते ही रह गए। गर्मी की वजह से मैं आज कंप्यूटर लैब में बैठ गई, ए.सी लैब थी। मैंने उनको छुट्टी कर दी और खुद लैब में चली गई। दरवाज़ा थोडा बंद कर मैंने अन्तर्वासना की साईट खोल ली साथ में ही एक और अडल्ट वेबसाइट ! वहाँ कहानियाँ पढ़ते-पढ़ते मेरी चूत गीली हो गई और मम्मे तन गए। देखते और पढ़ते हुए मेरा हाथ मेरी सलवार में घुस गया। मैंने अपना नाड़ा थोड़ा डीला कर लिया और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। दरवाज़े को कोई कुण्डी नहीं लगाईं थी क्यूंकि स्कूल में सिर्फ मैं ही थी इसलिए कुण्डी नहीं लगाईं थी।
पर्स से सी.डी निकाल कर लगाई और देखने लगी। अब मैं आराम से मेज पर आधी लेट गई और अपना कमीज़ उठाकर मम्मे दबाने लगी। मुझे क्या मालूम था कि मैं तो सिर्फ कंप्यूटर पर मूवी देख रही हूँ, तो कोई और मेरी लाइव मूवी देख रहा है। तभी किसी का हाथ मेरे कंधे पर आन टिका। मैं घबरा गई, मेरा रंग उड़ने लगा।
वो तीनों हरामी लड़के मेरे पीछे खड़े थे।
तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?
मैडम ! आप इस वक्त यहाँ क्या कर रही हो ?
शट- अप एंड गेट लोस्ट फ्रॉम माय लैब !
वो बोले- मैडम, लैब सरकारी है आपकी नहीं ! हमें तो कुछ प्रिंट्स निकालने थे। क्या पता था कि कुछ और दिख जाएगा !
उनसे बातें करते हुए अपनी सलवार और कुर्ती वहीं रहने दी। तभी विवेक नाम का लड़का घूम मेरे सामने आया और मेरी जांघों पर हाथ फेरता हुआ बोला- क्या जांघें हैं यार !
उसका स्पर्श पाते ही मैं बहकने लगी, नकली डांट लगाने लगी।
राहुल ने अपना हाथ मेरी कुर्ती में डालते हुए मेरे चूचूक मसल दिए और पंकज ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी जिप खोल अन्दर घुसा दिया। उसका लिंग हाथ में पकड़ कर ही मैंने अब बेशर्म होने का फैंसला लिया। एक दम से मेरे में बदलाव देख वो थोड़ा चौंके।
मादरचोद कमीनो, हरामियो ! कुण्डी तो लगा लो !
भोंसड़ी वालो ! एक जना जाकर स्कूल के मेन-गेट को लॉक करके आओ !
तीनों ने मुझे छोड़ा और मेरे बताये सारे काम करने निकल गए। मैंने अब मूवी की आवाज़ भी तेज़ कर दी और सलवार उतार पास में पड़ी कुर्सी पर फेंक दी, फिर कमीज़ भी उतार कर फेंक दी। पर्स से कोल्ड क्रीम निकाली, उसको चूत पर लगाया और गांड में भी लिपस्टिक लगाई।
जब वो आये, मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी में मेज़ पर लेटी थी। तीनों ने मेरे इशारे पर अपनी अपनी पैंट उतार डाली और शर्ट भी। तीनों को ऊँगली के इशारे से पास बुलाया और ब्रा खोलते हुए बारी-बारी तीनों के कच्छे उतार दिए।
हरामियों के क्या लौड़े थे- सोचा नहीं था कि बारहवीं क्लास के लड़कों के इतने बड़े लौड़े होंगे। एक एक कर तीनों के चूसने लगी। राहुल और पंकज के एक साथ मुँह में डलवाए और विवेक मेरी पैंटी उतार मेरी शेव्ड चूत चाटने लगा। उसके चाटने से मेरा दाना और फड़कने लगा, चूचूक तन गए।
पंकज ने झट से मुँह में चूचूक लेकर चूसना शुरु किया। राहुल ने भी दूसरा चूचूक मुँह में लेकर काट सा दिया- हरामी ! ज़रा प्यार से चूस ! बहुत कोमल हैं !
बोला- साली कुतिया कहीं की ! मैडम, साली बहन की लौड़ी ! रांड कहीं की !
उसने लौड़ा मेरे हलक में उतार दिया, मैं खांसने लगी। बोले- चल कुतिया तेरा रेप करते हैं !
विवेक ने मेरी गांड पर थप्पड़ जड़ दिए, मेरे बाल नौचकर मेरे हलक में लौड़ा उतार दिया।
पागल हो गए हो कुत्तो !
हाँ !
बुरी तरह से मेरी छाती पर दांतों के निशान गाड़ डाले। विवेक ने मेरी चूत में डाल दिया, पंकज और राहुल मेरा मुँह चोदने लगे, साथ में मेरे चूचूक रगड़ने लगे।
अहऽऽ उहऽऽ !
उसका मोटा लौड़ा मेरी चूत चीर रहा था- ले साली कुतिया ! बहुत सुना था तेरे बारे में तेरे मोहल्ले से ! वाकई में तू बहुत प्यासी और चुदासी औरत है !
हाँ कमीनो ! हूँ मैं रांड ! क्या करूँ ? मेरे खसम का खड़ा न होवे ! हाय और मार बेहन चोद मेरी ! विवेक जोर लगा दे सारा !
उसने साथ में अपनी दो उंगलियों को मेरी गांड में घुसा दिया और कोल्ड क्रीम लगाते लगाते ४ उंगलियों को घुसा दिया ।
चूत से निकाल एक पल में गांड में डाल दिया- चीरता हुआ लौड़ा घुसने लगा- मेरी फटने लगी !
उसने वैसे ही उठाया और नीचे कारपेट पर मुझे ले गया। खुद सीधा लेट गया, मैं उसकी तरफ पिछवाड़ा करके उसके लौड़े पर बैठती गई और लौड़ा अन्दर जाता रहा। वो वॉलीबाल की तरह उछल रहा था कि पंकज ने मेरी चूत पर अपने होंठ रख दिए। राहुल ने मुँह में डाल रखा था।
हाय कमीनी अब बोल के दिखा- बहुत बकती है साली क्लास में !
सही में मैं कुतिया बन चुकी थी, मैं खांसने लगती तब वो निकालता। लेकिन पंकज के होंठों की मेरी चूत पर हो रही करामात मेरी सारी तकलीफ ख़तम कर देती। विवेक गांड मारता जा रहा था कि पंकज खड़ा हुआ और आगे से आकर विवेक की जांघों पर बैठ गया और अपना आठ इंच का लौड़ा चूत पे रगड़ने लगा।
हाय हाय डाल दे तू भी साले !
उसने अपना मोटा लौड़ा चूत में घुसाना शुरु किया तब विवेक रुक गया। लेकिन जैसे ही उसका पूरा घुस गया, दोनों हवाई जहाज की स्पीड पर मेरी ठुकाई करने लगे। मुँह से सिसकियाँ फ़ूट रही थी- हाय ! चोदो मुझे !
राहुल ने फिर से मुँह में डाल दिया और हो गया शुरु !
पंकज तेज़ होता गया, विवेक उससे भी ज्यादा तेज़ हो गया तो पंकज रुक गया। विवेक ने पंकज को हटा दिया और एकदम से मुझे पलट कर नीचे किया और तेजी से चोदने लगा।
अह उह करता करता उसने अपना सारा माल मेरी गांड में छोड़ना शुरु किया- सारी खुजली ख़त्म !
अब पंकज सीधा लेट गया और मेरी गांड में डाल दिया, राहुल ने पंकज की तरह मेरी चूत में घुसा दिया। विवेक का लौड़ा मेरी गीली गाण्ड से भर कर निकला था दोनों के रस से लथपथ मैंने मुँह में डाल सारा चाट लिया, एक बून्द भी नहीं जाने दी मैंने !
विवेक पास में लेट हांफने लगा। पंकज ने भी वैसे ही रफ़्तार खींची, राहुल को उतार दिया और घोड़ी बना के गांड में डाल फिर चूत में डालते हुए रफ़्तार पकड़ी। राहुल ने मुँह में ठूंस दिया। दोनों हाथों से नीचे से भैंस के थनों की तरह लटक रहे कसे हुए मम्मों को पकड़ कर झटके दिए। एक भैंस की तरह मानो मेरा दूध चो रहा हो ! ज़बरदस्त तरीके से पकड़ रखे थे उसने और पीछे दन दना दन झटके मारते हुए उसने एक दम से मेरे घुटनों को खिसकाते मुझे कारपेट पर गिरा दिया लेकिन लौड़ा बाहर नहीं आने दिया। मेरे मम्मे कारपेट से रगड़ खाने लगे। थोड़ी चुभन होने लगी। लौड़ा भी कस गया लेकिन वो नहीं रुका।
दोनों एक साथ झड़े। उसने सारा माल मेरी बच्चेदानी के मुँह के पास निकाल दिया। न जाने कितने वक्त के बाद मैंने किसी को बिना कंडोम चूत में छूटने का मौका दिया। एक साथ दोनों का कम जब मिला- मैंने आंखें मूँद ली और उसके साथ चिपक गई ! फिर अलग हुए तो उसने मुँह में डाल कर साफ़ करवाया। राहुल उठा और मुझे फिर से पटक कर मेरे ऊपर सवार हो गया। सबमें से राहुल का लौड़ा सबसे लम्बा मोटा और फाड़ू था। उसने बेहतरीन तरीके से मेरी चूत मारी, झड़ने का नाम नहीं ले रहा था। इतने में विवेक का फिर खड़ा हो चुका था।
लेकिन राहुल क्या चोदू था- उसने मुझे फिर से झाड़ दिया और गांड में डाल दिया और सारा लावा वहीं छोड़ दिया।
विवेक का तन चुका था, पंकज तैयार था।
पूरा दिन स्कूल की लैब में ए.सी के सामने तीनों ने न जाने कितनी बार मुझे रौंदा !
घड़ी देखी तो शाम के साढ़े पांच बज चुके थे और छः बजे चौकीदार स्कूल में आता था। उसको सब मालूम था मेरे बारे में, क्यूंकि एक दो बार मेरे साथी टीचर ने उसके कमरे में मुझे चोदा था। लेकिन वो तीनों नहीं चाहते थे कि चौकीदार उन्हें देखे !
हम निकल रहे थे, मैंने अपनी स्कूटी स्टार्ट की ही थी कि चौकीदार ने उन्हें निकलते देख लिया। मेरी स्कूटी बंद हो गई, सेल्फ ख़राब था। मैंने उसको कहा- स्टार्ट कर दो किक से !
बोला- मैडम मेरे लौड़े को कब मौका दोगी आप ? आज फिर से लड़कों से ठुकवा बैठी हो ! मैं कौन सा कम हूँ ? माना पोस्ट चौकीदार की है लेकिन कौन सा काला कलूटा हूँ ? पूरा मजा दूंगा ! किक मारते मारते यह सब बोल रहा था। उसने एक दम से अपना लौड़ा निकाला और बोला- देखो इसको ! अभी सोया हुआ है फिर भी कितना मोटा है ! जब आपका हाथ लगेगा तो दहाड़ेगा यह !
सही में उस जैसा लौड़ा आज तक नहीं देखा था। वो था भी खुद छः फुट तीन इंच लम्बा-चौड़ा मर्द था, सुडौल मजबूत शरीर का मालिक था।
स्कूटी स्टार्ट हुई- मैडम जवाब देती जाओ ?
मैंने गौगल्ज़ लगाते हुए कहा- रात ग्यारह बजे मेरे घर आ जाना ! इंतज़ार करुँगी !
वो खुश हो गया।
सो दोस्तों यह थी अंतर्वासना पर मेरी मन मोहक चुदाई !
रात को घर में क्या-क्या हुआ?
वो लिखूंगी अगले भाग में !
Saturday, January 30, 2010
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