Wednesday, February 3, 2010

ek nahi tin tin bhabhiya.....!!!!!


आज मेन आप को हमारे खनदन कि सब से खनगि बात बतने जा रहा हुन। मेरे हिसब से मेने कुछ बुरा किया नहिन है, हलन कि कयि लोग मुज़े पपि समज़ेनगे। कहनि पध कर आप हि फ़ैसला किजियेगा कि जो हुअ वो सहि हुअ है या नहिन।
कहनि कयि साल पहले कि उन दिनो कि है जब मेन अथरह साल का था और मेरे बदे भैया, कशि रम चौथि शदि करना सोच रहे थे।
हुम सब रजकोत से पछस किलोमेतेर दुर एक छोते से गावँ मेन जमिदार हैन। एक सओ बिघन कि खेति है और लमबा चौदा वयवहर है हमरा। गावँ मे चार घर और कै दुकनेन है। मेरे मता-पितजि जब मेन दस साल का था तब मर गै थे। मेरे बदे भैया कश रम और भभि सविता ने मुज़े पल पोस कर बदा किया।
भैया मेरे से तेरह साल बदे हेन। उन कि पहलि शदि के वकत मेन आथ साल का था। शदि के पानच साल बाद भि सविता को सनतन नहिन हुइ। कितने दोसतोर को दिखया लेकिन सब बेकर गया। भैया ने दुसरि शदि कि, चमपा भभि के सथ। तब मेरि आयु तेरह साल कि थि।
लेकिन चमपा भभि को भि सनतन नहिन हुइ। सविता और चमपा कि हलत बिगद गै, भैया उन के साथ नौकरनियोन जैसा वयवहार कर ने लगे। मुज़े लगता है कि भैया ने दो नो भभियोन को चोदना चलु हि रक्कहा था, सनतन कि आस मेन।
दुसरि शदि के तीन साल बाद भैया ने तिसरि शदि कि, सुमन भभि के साथ। उस वकत मेन सोलह साल का हो गया था और मेरे बदन मेन फ़रक पदना शुरु हो गया था। सब से पहेले मेरे वरुशन बदे हो गये। बाद मेन कख मेन और लोदे पर बाल उगे और आवज गहेरा हो गया। मुनह पर मुछ निकल आयि। लोदा लमबा और मोता हो गया। रात को सवपन-दोश हो ने लगा। मेन मुथ मारना सिख गया।
सविता और चमपा भभि को पहलि बर देखा तब मेरे मन मेन चोदने का विचर तक आया नहिन था, मेन बच्चा जो था। सुमन भभि कि बत कुछ ओर थि। एक तो वो मुज़ से चार साल हि बदि थि। दुसरे, वो कफ़ि खुबसुरत थि, या कहो कि मुज़े खुबसुरत नजर आति थि। उस के आने के बाद मेन हर रात कलपना किये जाता था कि भैया उसे कैसे चोदते होनगे और रोज उस के नाम मुथ मार लेता था। भैया भि रात दिन उस के पिछे पदे रहते थे। सविता भभि और चमपा भभि कि कोइ किमत रहि नहिन थि। मेन मनता हुन है कि भैया चनगे के वसते कभि कभि उन दो नो को भि चोदते थे। तजुबि कि बत ये है कि अपने मेन कुछ कमि हो सकति है ऐसा मानने को भैया तैयर नहिन थे। लमबे लुनद से चोदे और धेर सरा विरी पतनि कि चुत मेन उनदेल दे इतना कफ़ि है मरद के वसते बाप बनने के लिये ऐसा उन का दरध विसवास था। उनहो ने अपने विरी कि जनच करवयि नहिन थि।
उमर का फ़सला कम होने से सुमन भभि के साथ मेरि अच्चहि बनति थि, हलन कि वो मुज़े बच्चा हि समजति थि। मेरि मौजुदगि मेनकभि कभि उस का पल्लु खिसक जता तो वो शरमति नहिन थि। इसि लिये उस के गोरे गोरे सतन देखने के कै मौके मिले मुज़े। एक बार सनान के बाद वो कपदे बदल रहि थि और मेन जा पहुनचा। उस का आधा ननगा बदन देख मेन शरमा गया लेकिन वो बिना हिच किचत बोलि, “दरवजा खित खिता के आया करो।”
दो साल युन गुजर गये। मेन अथरह साल का हो गया था और गावँ कि सचूल कि 12 वि मेन पधता था। भैया चौथि शदि के बरे मेन सोचने लगे। उन दिनो मेन जो घतनैन घति इस का ये बयन है।
बात ये हुइ कि मेरि उमर कि एक नोकरनि, बसनति, हमरे घर कम पे आया करति थि। वैसे मेने उसे बचपन से बदि होते देखा था। बसनति इतनि सुनदर तो नहिन थि लेकिन चौदह साल कि दुसरि लदकियोन के बजय उस के सतन कफ़ि बदे बदे लुभवने थे। पतले कपदे कि चोलि के आर पार उस कि छोति छोति निप्पलेस साफ़ दिखै देति थि। मेन अपने आप को रोक नहिन सका। एक दिन मौका देख मेने उस के सतन थम लिया। उस ने गुस्से से मेरा हथ ज़तक दला और बोलि, “अयिनदा ऐसि हरकत करोगे तो बदे सेथ को बता दुनगि” भैया के दर से मेने फ़िर कभि बसनति का नम ना लिया।
एक साल पहेले सत्रह सल कि बसनति को बयह दिया गया था। एक सल ससुरल मेन रह कर अब वो दो महिनो वसते यहन आयि थि। शदि के बाद उस का बदन भर गया था और मुज़े उस को चोदने का दिल हो गया था लेकिन कुछ कर नहिन पता था। वो मुज़ से कतरति रहति थि और मेन दर का मरा उसे दुर से हि देख लार तपका रहा था।
अचनक कया हुअ कया मलुम, लेकिन एक दिन महोल बदल गया। दो चार बार बसनति मेरे समने देख मुसकरायि। कम करते करते मुज़े गौर से देखने लगि। मुज़े अच्चहा लगता था और दिल भि हो जता था उस के बदे बदे सतनोन को मसल दलने को। लेकिन दर भि लगता था। इसि लिये मेने कोइ परतिभव नहिन दिया। वो नखरेन दिखति रहि।
एक दिन दोपहर को मेन अपने सतुदी रूम मेन पध रहा था। मेरा सतुदी रूम अलग मकन मेन था, मेन वहिन सोया करता था। उस वकत बसनति चलि आयि और रोतल सुरत बना कर कहने लगि, “इतने नाराज कयुन हो मुज़ से, मनगल ?”
मेने कहा “नारज ? मेन कहन नाराज हुन ? मेन कयुन हौन नाराज?” उस कि आनखोन मेन आनसु आ गये। वो बोलि, “मुज़े मलुम है। उस दिन मेने तुमरा हथ जो ज़तक दिया था ना ? लेकिन मेन कया करति ? एक ओर दर लगता था और दुसरे दबने से दरद होता था। माफ़ कर दो मनगल मुज़े।”
इतने मेन उस कि ओधनि का पल्लु खिसक गया, पता नहिन कि अपने आप खिसका या उस ने जन बुज़ के खिसकया। नतिजा एक हि हुअ, लोव सुत वलि चोलि मेन से उस के गोरे गोरे सतनोन का उपरि हिस्सा दिखै दिया। मेरे लोदे ने बगवत कि नौबत लगयि।
“उन्न…उम्म…उस मेन, उस मेन माफ़ करने जैसि कोइ बात नहिन है। म।।मेने नरज नहिन हुन। म म माफ़ि तो मुज़े मागनि चहिये।”
मेरि हिच किचहत देख वो मुसकरा गयि और हस के मुज़ से लिपत गयि और बोलि, “सछि ? ओह, मनगल, मेन इतनि खुश हुन अब। मुज़े दर था कि तुम मुज़ से रुथ गये हो। लेकिन मेन तुमे माफ़ नहिन करुनगि जब तक तुम वो…वो।।वैसे मेरि चुचियोन को फ़िर नहिन छुओगे।” शरम से वो निचा देखने लगि। मेने उसे अलग किया तो उस ने मेरि कलै पकद कर मेरा हथ अपने सतन पर रख दिया और दबये रक्कहा।
“छोद, छोद पगलि, कोइ देख लेगा तो मुसिबत खदि हो जयेगि।”
“तो होने दो। मनगल, पसनद आयि मेरि छुचि ? उस दिन तो ये कच्चिथि, छु ने पर भि दरद होता था। आज मसल भि दालो, मजा आता है।”
मेने हथ छुदा लिया और कहा, “चलि जा, कोइ आ जयेगा।”
वो बोलि, “जति हुन लेकिन रत को आउनगि। आउन ना ?”
उस का रत को आने का खयल मात्र से मेरा लोदा तन गया। मेने पुछा, “जरुर आओगि?” और हिम्मत जुता कर सतन को छुअ। विरोध किये बिना वो बोलि,
“जरुर आउनगि। तुम उपर वले कमरे मेन सोना। और एक बात बतओ, तुमने किस लदकि को चोदा है ?” उस ने मेरा हथ पकद लिया मगर हतया नहिन।
“नहिन तो।” कह के मेने सतन दबया। ओह, कया चिज था वो सतन। उस ने पुछा, “मुज़े चोदना है ?” सुन ते हि मेन चोनक पदा।
“उन्न।।ह।।हन, लेकिन…”
“लेकिन बेकिन कुछ नहिन। रत को बात करेनगे।” धिरे से उस ने मेरा हथ हतया और मुसकुरति चलि गयि।
मुज़े कया पता कि इस के पिछे सुमन भभि का हथ था ?
रत का इनतेजर करते हुए मेरा लुनद खदा का खदा हि रहा, दो बार मुथ मरने के बाद भि। करिबन दस बजे वो आयि।
“सारि रत हमरि है, मेन यहन हि सोने वलि हुन।” उस ने कहा और मुज़ से लिपत गयि। उस के कथोर सतन मेरे सिने से दब गये। वो रेशम कि चोलि, घघरि और ओधनि पहेने आयि थि। उस के बदन से मादक सुवास आ रहि थि। मेने ऐसे हि उस को मेरे बहु पश मेन जकद लिया “हाय दैया, इतना जोर से नहिन, मेरि हद्दियन तुत जायेगि।” वो बोलि।
मेरे हथ उस कि पिथ सहलने लगे तो उस ने मेरे बालोन मेन उनगलियनफ़िरनि शुरु कर दि। मेरा सर पकद कर निचा किया और मेरे मुनह से अपना मुनह तिका दिया।
उस के नजुक होथ मेरे होथ से चुते हि मेरे बदन मेन ज़रज़ुरि फ़ैल गयि और लोदा खदा होने लगा। ये मेरा पहला चुमबन था, मुज़े पता नहिन था कि कया किया जता है। अपने आप मेरे हथ उस कि पिथ से निचे उतर कर चुतद पर रेनगने लगे। पतले कपदे से बनि घघरि मनो थि हि नहिन। उस के भरि गोल गोल नितमब मेने सहलये और दबोचे। उस ने नितमब ऐसे हिलया कि मेरा लुनद उस के पेत साथ दब गया।
थोदि देर तक मुह से मुनह लगये वो खदि रहि। अब उस ने अपना मुनह खोला और जबन से मेरे होथ चते। ऐसा हि करने के वसते मेने मेरा मुनह खोला तो उस ने अपनि जिभ मेरे मुनह मेन दाल दि। मुज़े बहुत अच्चहा लगा। मेरि जिभ से उस कि जिभ खेलि और वपस चलि गयि। अब मेने मेरि जिभ उस के मुनह मेन दलि। उस ने होथ सिकुद कर मेरि जिभ को पकदा और चुसा। मेरा लुनद फ़ता जा रहा था। उस ने एक हथ से लुनद ततोला। मेरे ततर लुनद को उस ने हथ मेन लिया तो उत्तेजना से उस का बदन नरम पद गया। उस से खदा नहिन रहा गया। मेने उसे सहरा दे के पलनग पर लेतया। चुमबन छोद कर वो बोलि, “हाय, मनगल, आज मेन पनदरह दिन से भुकि हुन। पिछले एक साल से मेरे पति मुज़े हर रोज एक बार चोदते है, लेकिन यहन आने के बाद…।मनगल, मुज़े जलदि से चोदो, मेन मरि जा रहि हुन।”
मुसिबत ये थि कि मेन नहिन जनता था कि चोदने मेन लुनद कैसे और कहन जाता है। फ़िर भि मेने हिम्मत कर के उस कि ओधनि उतर फ़ेनकि और मेरा पजमा निकल कर उस कि बगल मेन लेत गया। वो इतनि उतवलि हो गै थि कि चोलि घघरि निकल ने रहि नहिन। फ़तफ़त घघरि उपर उथै और जानघेन चौदि कर मुज़े उपर खिनच लिया। युन हि मेरे हिपस हिल पदे थे और मेरा आथ इनच लमबा और धाइ इनच मोता लुनद अनधे कि लकदि कि तरह इधर उधर सर तकरा रहा था, कहिन जा नहिन पा रहा था। उस ने हमरे बदन के बिच हथ दला और लुनद को पकद कर अपनि भोस पर दिरेसत किया। मेरे हिपस हिल ते थे और लुनद चुत का मुनह खोजता था। मेरे आथ दस धक्के खलि गये।
हर वकत लुनद का मत्तहा फ़िसल जता था। उसे चुत का मुनह मिला नहिन। मुज़े लगा कि मेन चोदे बिना हि ज़द जने वला हुन। लुनद का मत्तहा और बसनति कि भोस दोनो कम रस से तर बतर हो गये थे। मेरि नकमयबि पर बसनति हस पदि। उस ने फ़िर से लुनद पकदा और चुत के मुनह पर रख के अपने चुतद ऐसे उथये कि आधा लुनद वैसे हि चुत मेन घुस गया। तुरनत हि मेने एक धक्का जो मारा तो सरा का सरा लुनद उस कि योनि मेन समा गया। लुनद कि तोपि खिस गयि और चिकना मत्तहा चुत कि दिवलोन ने कस के पकद लिया। मुज़े इतना मजा आ रहा था कि मेन रुक नहिन सका। आप से आप मेरे हिपस तल्ला देने लगे और मेरा लुनद अनदर बहर होते हुए बसनति कि चुत को चोदने लगा। बसनति भि चुतद हिला हिला कर लुनद लेने लगि और बोलि, “जरा धि…धि…आआह। ऊऊह…जरा धिरे चोद, वरना ज…ज…।ऊइ मा…।।वरना जलदि ज़द जयेगा।”
मेने कहा, “मेन नहिन चोदता, मेरा लुनद चोदता है और इस वकत मेरि सुनता नहिन है।”
“मर दलोगे आज मुज़े,” कहते हुए उस ने चुतद घुमये और चुत से लुनद दबोचा। दोनो सतनो को पकद कर मुनह से मुनह चिपका कर मेन बसनति को चोदते चला।
धक्के कि रफ़तर मेन रोक नहिन पया। कुछ बिस पचिस तल्ले बद अचनक मेरे बदन मेन आननद का दरिया उमद पदा। मेरि आनखेन जोर से मुनद गयि, मुनह से लार निकल पदि, हथ पानव अकद गये और सरे बदन पर रोएन ए खदे हो गये। लुनद चुत कि गहरै मेन ऐसा घुसा कि बहर निकल ने का नाम लेता ना था। लुनद मेन से गरमा गरम विरी कि ना जने कितनि पिचकरियन छुति, हर पिचकरि के सथ बदन मेन ज़ुरज़ुरि फ़ैल गयि। थोदि देर मेन होश खो बेथा।
जब होश आया तब मेने देखा कि बसनति कि तनगेन मेरि कमर आस पास और बहेन गरदन के आसपास जमि हुइ थि। मेरा लुनद अभि भि तना हुअ था और उस कि चुत फ़त फ़त फ़तके मर रहि थि। आगे कया करना है वो मेन जनता नहिन था लेकिन लुनद मेन अभि गुदगुदि होति रहि थि। बसनति ने मुज़े रिहा किया तो मेन लुनद निकल कर उतरा।
“बाप रे,” वो बोलि, ” इतनि अच्चहि चुदै आज कै दिनो के बाद कि।”
“मेने तुज़े थिक से चोदा ?”
“बहुत अच्चहि तरह से।”
हम अभि पलनग पर लेते थे। मेने उस के सतन पर हथ रक्कहा और दबया। पतले रेशमि कपदे कि चोलि आर पार उस कि कदि निप्पले मेने मसलि। उस ने मेरा लुनद ततोला और खदा पा कर बोलि, “अरे वाह, ये तो अभि भि ततर है। कितना लमबा और मोता है। मनगल, जा तो, उसे धो के आ।”
मेन बथरूम मेन गया, पिसब किया और लुनद धोया। वपस आ के मेने कहा, “बसनति, मुज़े तेरे सतन और चुत दिखा। मेने अब तक किसि कि देखि नहिन है।”
उस ने चोलि घघरि निकल दि। मेने पहले बतया था कि बसनति कोइ इतनि खुबसुरत नहिन थि। पानच फ़ीत दो इनच कि उनचै के सथ पचस किलो वजन होगा। रनग समवला, चहेरा गोल, आनखेन और बल कले। नितमब भरि और चिकने। सब से अच्चहे थे उस के सतन। बदे बदे गोल गोल सतन सिने पर उपरि भग पर लगे हुए थे। मेरि हथेलिओन मेन समते नहिन थे। दो इनच कि अरेओला और छोति सि निप्पले कले रनग के थे। चोलि निकल ते हि मेने दोनो सतन को पकद लिया, सहलया, दबोचा और मसला।
उस रत बसनति ने मुज़े पुखत वय कि भोस दिखयि। मोनस से ले कर, बदे होथ, छोते होथ, सलितोरिस, योनि सब दिखया। मेरि दो उनगलियन चुत मेन दलवा के चुत कि गहरै भि दिखै, ग-सपोत दिखया। वो बोलि, “ये जो सलितोरिस है वो मरद के लुनद बरबर होति है, चोदते वकत ये भि लुनद कि मफ़िक कदि हो जति है। दुसरे, तु ने चुत कि दिवलेन देखि ? कैसि करकरि है ? लुनद जब चोदता है तब ये करकरि दिवलोन के साथ घिस पता है और बहुत मजा आता है। हाय, लेकिन बच्चे का जनम के बद ये दिवलेन चिकनि हो जति है, चुत चौदि हो जति है और चुत कि पकद कम हो जति है।”
मुज़े लेता कर वो बगल मेन बेथ गयि। मेरा लुनद थोदा सा नरम होने चला था, उस को मुत्तहि मेन लिया। तोपि खिनच कर मत्तहा खुला किया और जिभ से चता। तुरनत लुनद ने थुमका लगया और ततर हो गया। मेन देखता रहा और उस ने लुनद मुनह मेन ले लिया और चुसने लगि। मुनह मेन जो हिस्सा था उस पर वो जिभ फ़िअरति थि, जो बहर था उसे मुत्तहि मेन लिये मुथ मरति थि। दुसरे हथ से मेरे वरुशन ततोलति थि। मेरे हथ उस कि पिथ सहला रहे थे।
मेने हसत मैथुन का मजा लिया था, आज एक बार चुत चोदने का मजा भि लिया। इन दोनो से अलग किसम का मजा आ रहा था लुनद चुसवने मेन। वो भि जलदि से एक्ससिते होति चलि थि। उस के थुनक से लदबद लुनद को मुनह से निकल कर वो मेरि जानघे पर बेथ गयि। अपनि जानघेन चौदि कर के भोस को लुनद पर तिकया। लुनद का मत्तहा योनि के मुख मेन फ़सा कि नितमब निचा कर के पुरा लुनद योनि मेन ले लिया। उस कि मोनस मेरि मोनस से जुत गयि।
“ऊऊउह्हह्हह, मजा आ अगया। मनगल, जवब नहिन तेरे लुनद का। जितना मिथा मुनह मेन लगता है इतना हि चुत मेन भि मिथा लगता है।” कहते हुए उस ने नितमब गोल घुमये और उपर निचे कर के लुनद को अनदर बहर कर ने लगि। आथ दस धक्के मर ते हि वो थक गयि और धल पदि। मेने उसे बथ मेन लिया और घुम के उपर आ गया। उस ने तानगेन पसारि और पानव अद्दहर किया। पोसितिओन बदलते मेरा लुनद पुरा योनि कि गहरै मेन उतर गया। उस कि योनि फ़त फ़त करने लगि।
सिखये बिना मेने आधा लुनद बहर खिनचा, जरा रुका और एक जोरदर धक्के के साथ चुत मेन घुसेद दिया। मोनस से मोनस जोर से तकरयि। मेरे वरुशन गानद से तकरये। पुरा लुनद योनि मेन उतर गया। ऐसे पानच सात धक्के मारे। बसनति का बदन हिल पदा। वो बोलि, “ऐसे, ऐसे, मनगल, ऐसे हि चोदो मुज़े। मरो मेरि भोस को और फ़द दो मेरि चुत को।”
भगवन ने लुनद कया बनया है चुत मार ने के लिये, कथोर और चिकना; भोस कया बनयि है मार खने के लिये, घनि मोनस और गद्दि जैसे बदे होथ के साथ। जवब नहिन उन का। मैने बसनति का कहा माना। फ़री सतयले से थपा थप्प मेन उस को चोद ने लगा। दस पनदरह धक्के मेन वो ज़द पदि। मेने पिसतोनिनग चलु रक्कहा। उस ने अपनि उनगलि से सलितोरिस को मसला और दुसरि बर ज़दि। उस कि योनि मेन इतने जोर से सनकोचन हुए कि मेरा लुनद दब गया, आते जाते लुनद कि तोपि उपर निचे होति चलि और मत्तहा ओर तन कर फ़ुल गया। मेरे से अब जयदा बरदसत नहिन हो सका। चुत कि गहरै मेन लुनद दबये हुए मेन जोर से ज़दा। विरी कि चार पानच पिचकरियन छुति और मेरे सरे बदन मेन ज़ुरज़ुरि फ़ैल गयि। मेन धल पदा।
आगे कया बतौन ? उस रत के बाद रोज बसनति चलि आति थि। हमेन अधा एक घनता समय मिलता था जब हम जम कर चुदै करते थे। उस ने मुज़े कयि तेचनिस सिखयि और पोसितिओन दिखयि। मेने सोचा था कि कम से कम एक महिना तक बसनति को चोद ने का लुफ़त मिलेगा, लेकिन ऐसा नहिन हुअ। एक हपते मेन हि वो ससुरल वपस चै गयि।
असलि खेल अब शुरु हुअ।
बसनति के जने के बद तिन दिन तक कुछ नहिन हुअ। मेन हर रोज उस कि चुत याद कर के मुथ मरता रहा। चौथे दिन मेन मेरे कमरे मेन पध ने का परयतन कर रहा था, एक हथ मेन ततर लुनद पकदे हुए, और सुमन भभि आ पहोनचि। ज़त पत मेने लुनद छोद कपदे सरिखे किया और सिधा बेथ गया। वो सब कुछ समजति थि इस लिये मुसकुरति हुइ बोलि, “कैसि चल रहि है पधै, देवरजि ? मेन कुछ मदद कर सकति हुन ?”
“न…ना,।। भभि, सब थिक है,” मेने कहा।
आनखोन मेन शररत भर के भभि बोलि, “पधते समय हथ मेन कया पकद रक्कहा था जो मेरे आते हि तुम ने छोद दिया ?”
“क…कुछ नहिन, कुछ नहिन, ये तो।।ये तो…” मेन आगे बोल ना सका। “……ये तो मेरा लुनद था, यहि ना ?” उस ने पुछा।
वैसे भि सुमन मुज़े अच्चहि लगति थि और अब उस के मुनह से “लुनद” सुन कर मेन एक्ससिते होने लगा। शरम से उन से नजर नहिन मिला सका। कुछ बोला नहिन।
उस ने धिरे से कहा, “कोइ बात नहिन। में समजति हुन। लेकिन ये बता, बसनति को चोदना कैसा रहा ? पसनद आयि उस कि कलि चुत ? याद आति होगि ना ?”
सुन के मेरे होश उद गये। सुमन को कैसे पता चला होगा ? बसनति ने बता दिया होगा ? मेने इनकार करते हुए कहा, “कया बात करति हो ? मेने ऐसा वैसा कुछ नहिन किया है।”
“अच्चहा ?” वो मुसकरति हुइ बोलि, “कया वो यहन भजन करने आति थि ?”
“वो यहन आयि हि नहिन,” मेने दरते दरते कहा। सुमन मुसकुरति रहि।
“तो ये बतओ कि यह…।” उस ने सुखे विरी से अकदि हुइ निसकेर दिखा के पुछा, “…।यह निसकेर किस कि है। तेरे पलनग से जो मिलि है ?”
मेन जरा जोश मेन आ गया और बोला, “ऐसा हो हि नहिन सकता, उस ने कभि निसकेर पहेनि हि नहिन…।नहिन…।नहिन” मेन रनगे हथ पकदा गया।
मेने कहा, “भभि, कया बात है ? मेने कुछ गलत किया है ?”
उस ने कहा,”वो तो तेरे भैया नक्कि करेनगे।”
भैया का नाम आते हि मेन दर गया। मेने सुमन को गिदगिदा के बिनति कि जो भैया को ये बत ना बतयेन। तब उस ने शरत रक्कहि और सरा भेद खोल दिया।
सुमन ने बतया कि भैया के विरी मेन शुकरनु नहिन थे, भैया इस से अनजान थे। भैया तिनो भभियोन को अच्चहि तरह चोदते थे और हर वकत धेर सरा विरी भि छोद जाते थे। लेकिन शुकरनु बिना बच्चा हो नहिन सकता। सुमन चहति थि कि भैया चुअथि शदि ना करेन। वो किसि भि तरह बच्चा पैदा करने को तुलि थि। इस के वसते दुर जने कि जरुर कहन थि, मेन जो मोजुद था ? सुमन ने तय किया कि वो मुज़ से चुदवयेगि और मा बनेगि।
अब सवल उथा मेरि मनजुरि का। मेन कहिन ना बोल दुन तो ? भैया को बता दुन तो ? मुज़े इसि लिये बसनति कि जाल मेन फ़सया गया था।
बयन सुन कर मेने हस के कहा “भभि, तुज़े इतना कशत लेने कि कया जरुरत थि ? तु ने कहिन भि, कभि भि कहा होता तो मेन तुज़े चोदने का इनकर ना करता, तु चिज ऐसि मसत हो।”
उस का चहेरा लल ला हो गया, वो बोलि, “रहने भि दो, ज़ुथे कहिन के। आये बदे चोदने वले। चोद ने के वसते लुनद चहिये और बसनति तो कहति थि कि अभि तो तुमरि नुन्नि है, उस को चुत का रासता मलुमनहिन था। सच्चि बात ना ?”
मेने कहा, “दिखा दुन अभि नुन्नि है या लुनद ?”
“ना बबा, ना। अभि नहिन। मुज़े सब सवधनि से करना होगा। अब तु चुप रहेना, मेन हि मौका मिलने पर आ जौनगि और हम दोनो…दोनो…तय करेनगे कि तेरि नुन्नि है य…।”
दोसतो, दो दिन बद भैया दुसरे गानव गये तिन दिन के लिये। उन के जने के बाद दोपहर को वो मेरे कमरे मेन चलि आयि। मेन कुछ पुछुन इस से पहेले वो बोलि, “कल रत तुमरे भैया ने मुज़े तिन बर चोदा है, सो आज मेन तुम से गरभवति बन जाउन तो किसि को शक नहिन पदेगा। और दिन मेन आने कि वजह भि यहि है कि कोइ शक ना करे।”
वो मुज़ से चिपक गयि और मुनह से मुनह लगा कर फ़रेनच किस्स कर ने लगि। मेने उस कि पतलि कमर पर हथ रख दिये। मुनह खोल कर हम ने जिभ लदयि। मेरि जिभ होथोन बिच ले कर वो चुस ने लगि। मेरे हथ सरकते हुए उस के नितमब पर पहुनचे। भरि नितमब को सहलते सहलते मेन उस कि सारि और घघरि उपर तरफ़ उथने लगा। एक हथ से वो मेरा लुनद सहलति रहि। कुछ देर मेन मेरे हथ उस के ननगे नितमब पर फ़िसल ने लगे तो पजमा कि नदि खोल उस ने ननगा लनद मुत्तहि मेन ले लिया।
मेन उस को पलनग पर ले गया और मेरि गोद मेन बिथया। लुनद मुत्तहि मेन पकदे हुए उस ने फ़रेनच किस्स चलु रक्कहि। मेने बलौसे के हूक खोले और बरा उपर से सतन दबये। लुनद छोद उस ने अपने आप बरा का होक खोल कर बरा उतर फ़ेनकि। उस के ननगे सतन मेरि हथेलिओन मेन समा गये। शनकु अकर के सुमन के सतन चौदह साल कि लदकि के सतन जैसे छोते और कदे थे। अरेओला भि छोति सि थि जिस के बिच नोकदर निप्पले लगि हुइ थि। मेने निप्पले को चिपति मेन लिया तो सुमन बोल उथि, “जरा होले से। मेरि निप्पलेस और सलितोरिस बहुत सेनसितिवे है, उनगलि का सपरश सहन नहिन कर सकति।” उस के बद मेने निप्पले मुनह मेन लिया और चुसा।
मेन आप को बता दुन कि सुमन भभि कैसि थि। पानच फ़ीत पानच इनच कि लमबै के साथ वजन था साथ किलो। बदन पतला और गोरा था। चहेरा लुमब गोल थोदा सा नरगिस जैसा। आनखेन बदि बदि और कलि। बल कले , रेशमि और लुमबे। सिने पर छोते छोते दो सतन जिसे वो हमेशा बरा से धके रखति थि। पेत बिलकुल सपत था। हथ पानव सुदोल थे। नितमब गोल और भारि थे। कमर पतलि थि। वो जब हसति थि तब गालोन मेन खद्दहे पदते थे।
मेने सतन पकदे तो उस ने लुनद थम लिया और बोलि, “देवरजि, तुम तो तुमरे भिया जैसे बदे हो गये हो। वकै ये तेरि नुन्नि नहिन बलकि लुनद है, और वो भि कितना तगदा ? हाय रम, अब ना तदपओ, जलदि करो।”
मेने उसे लेता दिया। खुद उस ने घघरा उपर उथया, जानघेन चदि कि और पानव अद्दहर लिये। मेन उस कि भोस देख के दनग रह गया। सतन के मफ़िक सुमन कि भोस भि चौदह सल कि लदकि कि भोस जितनि छोति थि। फ़रक इतना था कि सुमन कि मोनस पर कले ज़नत थे और सलितोरिस लुमबि और मोति थि। भिया का लुनद वो कैसे ले पति थि ये मेरि समज मेन आ ना सका। मेन उस कि जानघोन बिच आ गया। उस ने पने हथोन से भोस के होथ चौदे पकद रक्कहे तो मेने लुनद पकद कर सरि भोस पर रगदा। उस के नितमब हिल ने लगे। अब कि बर मुज़े पता था कि कया करना है। मेने लुनद का मथा चुत के मुनह मेन घुसया और लुनद हथ से छोद दिया। चुत ने लुनद पकदे रक्कहा। हथोन के बल आगे ज़ुक कर मेने मेरे हिपस से ऐसा धक्का लगया कि सरा लुनद चुत मेन उतर गया। मोनस से मोनस तकरयि, लुनद थमक थुमक कर ने लगा और चुत मेन फ़तक फ़तक हो ने लगा।
मेन कफ़ि उत्तेजित हुअ था इसि लिये रुक सका नहिन। पुरा लुनद खिनच कर जोरदर धक्के से मेने सुमन को चोद ना शुरु किया। अपने चुतद उथा उथा के वो सहयोग देने लगि। चुत मेन से और लुनद मेन से चिकना पानि बहने लगा। उस के मुनह से निकलति आआआह ऊऊउह ओइओइओइ जैसि अवज और चुत कि पुच्च पुच्च सि अवज से कमरा भर गया।
पुरि बिस मिनित तक मेने सुमन भभि कि चुत मरि। दरमियन वो दो बर ज़दि। अखिर उस ने चुत ऐसि सिकुदि कि अनदर बहर आते जते लुनद कि तोपि चद उतर करने लगि, मनो कि चुत मुथ मर रहि हो। ये हरकत मेन बरदसत नहिन कर सका, मेन जोर से ज़रा। ज़र्रते वकत मेने लुनद को चुत कि गहरै मेन जोर से दबा रखा था और तोपि इतना जोर से खिचि गयि थि कि दो दिन तक लोदे मेन दरद रहा। विरी छोद के मेने लुनद निकला, हलन कि वो अभि भि तना हुअ था। सुमन तानगेन उथये लेति रहि कोइ दस मिनित तक। उस ने चुत से विरी निकल ने ना दिया।
दोसतो, कया बतौन ? उस दिन के बद भैया आने तक हर रोज सुमन मेरे से चुदवति रहि। नसिब का करना था कि वो परेगननत हो गयि। फ़मिली मेन आननद आननद हो गया। सब ने सुमन भभि को बधै दि। भहिया सिना तान के मुच मरोद ते रहे। सविता भभि और चमपा भभि कि हालत ओर बिगद गयि। इतना अच्चहा था कि परेगननसी के बहने सुमन ने चुदवा ना मना कर दिया था, भैया के पास दुसरि दो नो को चोदे सिवा कोइ चरा ना था।
जिस दिन भैया सुमन भभि को दोसतोर के पास ले आये उसि दिन शम वो मेरे पस आयि। गभदति हुइ वो बोलि, “मनगल, मुज़े दर है कि सविता और चमपा को शक पदता है हमरे बरे मेन।”
सुन कर मुज़े पसिना आ गया। भैया जन जाय तो अवशी हम दोनो को जान से मार दले। मेने पुछा, “कया करेनगे अब ?”
“एक हि रसता है।” वो सोच के बोलि।
“कय…कया रसता है ?”
“तुज़े उन दोनो को भि चोदना पदेगा। चोदेगा ?”
“भभि, तुज़े चोद ने बाद दुसरि को चोद ने का दिल नहिन होता। लेकिन कया करेन ? तु जो कहे वैसा मेन करुनगा।” मेने बज़ि सुमन के हथोन छोद दि।
सुमन ने पलन बनया। रात को जिस भभि को भैया चोदे वो भहि दुसरे दिन मेरे पास चलि आये। किसि को शक ना पदे इस लिये तिनो एक साथ महेमन वले घर आये लेकिन मेन चोदुन एक को हि।
थोदे दिन बाद चमपा भभि कि बरि आयि। महवरि आये तेरह दिनहुए थे। सुमन और सविता दुसरे कमरे मेन बैहि और चमपा मेरे कमरे मेन चलि आयि।
आते हि उस ने कपदे निकल ना शुरु किया। मेने कहा, “भभि, ये मुज़े करने दे।” आलिनगन मेन ले कर मेने फ़रेनच किस किया तो वो तदप उथि। समय कि परवह किये बिना मेने उसे खुब चुमा। उस का बदन धिला पद गया। मेने उसे पलनग पर लेता दिया और होले होले सब कपदे उतर दिये। मेरा मुनह एक निप्पले पर चोनत गया, एक हथ सतन दबने लगा, दुसरा सलितोरिस के सथ खेलने लगा। थोदि हि देर मेन वो गरम हो गयि।
उस ने खुद तानगे उथै और चौदि पकद रक्कहि। मेन बिच मेन आ गया। एक दो बर भोस कि दरर मेन लुनद का मत्तहा रगदा तो चमपा के नितमब दोलने लगे। इतना हो ने पर भि उस ने शरम से अपनि आनखेन पर हाथ रक्कहे हुए थे। जयदा देर किये बिनसा मेने लुनद पकद कर चुत पर तिकया और होले से अनदर दला। चमपा कि चुत सुमन कि चुत जितनि सिकुदि हुइ ना थि लेकिन कफ़ि तिघत थि और लुनद पर उस कि अच्चहि पकद थि। मेने धिरे धक्के से चमपा को आधे घनते तक चोदा। इस के दौरन वो दो बर ज़दि। मेने धक्के किर अफ़तर बधयि तोचमपा मुज़ से लिपत गयि और मेरे सथ सथ जोर से ज़दि। थकि हुइ वो पलनग पर लेति रहि, मेइन कपदे पहन कर खेतोन मे चला गया।
दुसरे दिन सुमन अकेलि अयि। कहने लगि, “कल कि तेरि चुदै से चमपा बहुत खुश है। उस ने कहा है कि जब चहे तु…।” में समज गया।
अपनि बरि के लिये सविता को पनदरह दिन रह देखनि पदि। आखिर वो दिन आ भि गया। सविता को मेने हमेशा मा के रुप मेन देखा था इस लिये उस कि चुदै का खयल मुज़े अच्चहा नहिन लगता था। लेकिन दुसरा चरा कहन था ?
हम अकेले होते हि सविता ने आनखेन मुनद लि। मेरा मुनह सतन पर चिपक गया। मुज़े बद मेन पता चला कि सविता कि चाबि उस के सतन थे। इस तरफ़ मेने सतन चुसना शुरु किया तो उस तरफ़ उस कि भस ने कम रस का फ़वरा छोद दिया। मेरा लुनद कुछ आधा तना था।और जयदा अकदने कि गुनजैश ना थि। लुनद चुत मेन असनि से घुस ना सका। हाथ से पकद कर धकेल कर मत्तहा चुत मेन पैथा कि सविता ने चुत सिकोदि।
थुमका लगा कर लुनद ने जवब दिया। इस तरह का परेमलप लुनद चुत के बिच होता रहा और लुनद जयदा से जयदा अकदता रहा। आखिर जब वो पुरा तन गया तब मेने सविता के पानव मेरे कनधे पर लिये और लमबे तल्ले से उसे चोदने लगा। सविता कि चुत इतनि तिघत नहिन थि लेकिन सनकोचन कर के लुनद को दबने कि त्रिसक सविता अच्चहि तरह जनति थि। बिस मिनुते कि चुदै मेन वो दो बर ज़दि। मेने भि पिचकरि छोद दि और उतरा।
दुसरे दिन सुमन वहि सनदेशा लयि जो कि चमपा ने भेजा था। तिनो भभिओन ने मुज़े चोदने का इजरा दे दिया था।
अब तिन भभिओन और चौथा मेन, हम मेन एक समजौता हुअ कि कोइ ये रज़ खोलेगा नहिन। सुमन ने भैया से चुदवना बनद किया था लेकिन मुज़ से नहिन। एक के बद एक ऐसे मेन तिनो को चोदता रहा। भगवन करिपा से दुसरि दोनो भि परेगननत हो गयि। भैया के आननद कि सिमा ना रहि।
समय आने पर सुमन और सविता ने लदकोन को जनम दिया तो चमपा ने लदकि को। भैया ने बदि दवत दि और सरे गावँ मेन मिथै बानति। अच्चहा था कि कोइ मुज़े याद करता नहिन था। भभियो कि सेवा मेन बसनति भि आ गयि थि और हमरि रेगुलर चुदै चल रहि थि। मेने शदि ना करने का निशचय कर लिया।
सब का सनसर आननद से चलता है लेकिन मेरे वसते एक बदि समसया खदि हो गयि है। भैया सब बच्चोन को बदे पयार से रखते है। लेकिन कभि कभि वो जब उन से मार पित करते है तब मेरा खुन उबल जता है और मुज़े सहन करना मुशकिल हो जता है। दिल करता है कि उस के हथ पकद लुन और बोलुन, “रह ने दो, खबरदर मेरे बच्चे को हाथ लगाया तो।”
ऐसा बोल ने कि हिम्मत अब तक मेने जुत नहिन पयि।

4 comments:

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