Saturday, January 30, 2010

Hindi-Sexy-Stories

सबसे पहले गुरु जी को प्रणाम लोगों के बिस्तर में खेले जाने वाले जायज़ और नाजायज़ संबंधों को हम लोगों के समक्ष जाहिर करने के लिए !

कई लोग सोचते होंगे कि शायद यहाँ पर मनगढ़ंत कहानियाँ होती हैं लेकिन दोस्तो, यह कलयुग है, घोर कलयुग ! इन सभी किस्सों में सचाई सौ परसेंट होती है।

अब अंतर्वासना के पाठकों को वंदना की गीली चूत का प्रणाम !

मैं एक तेतीस साल की ज़िन्दगी को जी लेने वाली सोच की मालिक हूँ। मुझे जिंदगी अपने ढंग से मस्ती के साथ जीना अच्छा लगता है। मैं एक पढ़ी-लिखी महिला हूँ, तेतीस साल की

जिंदगी में अब तक मैं बहुत से लौड़े ले चुकी हूँ।

सोलह साल की थी जब मैंने अपनी सील तुड़वाई थी और फिर उसके बाद कई लड़के कॉलेज लाइफ तक आये और मेरे साथ मजे करके गए। मैं खुद भी कभी किसी लड़के के साथ सीरियस नहीं रही थी।

अब मैं एक सरकारी स्कूल में कंप्यूटर की वोकेशनल स्कीम के तहत कंप्यूटर लेक्चरर हूँ, वो भी सिर्फ लड़कों के स्कूल में ! वैसे तो वहाँ मेरे अपने कुछ ख़ास सहयोगियों के साथ स्कूल से बाहर अवैध संबंध हैं। मैं अपने पति से अलग रहती हूँ, मेरी दो बेटियाँ हैं जो अपने पापा के साथ दादा-दादी के घर में ही रहती हैं। अकेलेपन ने मुझे और गाड़ दिया था, पतिदेव ने मुझे समझाने के बजाये छोड़ ही दिया जिससे मैं और अय्याश होने लगी हूँ। बत्तीस हज़ार मेरी तनख्वाह है, अकेली रहती हूँ, हर सुख-सुविधा घर में मौजूद है। पति के अलग होने के बाद मैं और बिगड़ चुकी हूँ और अपने साथियों को रात-रात भर अपने घर रखती हूँ।

आज मैं आपके सामने अपनी एक सबसे अच्छी चुदाई के बारे लिखने लगी हूँ ज़रा गौर फरमाना !

मुझे गहरे-खुले गले के सूट पहनना पसंद है और वो भी छातियों से कसे हुए, पीठ पर जिप, कमर से कसे, पटियाला सलवार !

जून-जुलाई की बात है, सब जानते हैं पंजाब में कितनी गर्मी पड़ती है इन दिनों ! स्कूल बंद थे लेकिन आजकल हमारे महकमे में एजुसेट एजूकेशन ऑनलाइन क्लास लगती है, उसके तहत पांच दिन का सेमीनार लगा। बाकी सारा स्कूल बंद था। साइंस ग्रुप में सिर्फ पांच लड़के हैं। गर्मी बहुत थी पहले ही जालीदार मुलायम सा सूट डाला था बाकी पसीने से मेरा सूट बदन से चिपक जाता !

पांच में से तीन लड़के सिरे के हरामी हैं, उनकी नज़र तो मेरी चूचियों पर टिकी रहती, बस मेरे जिस्म को देख देख अन्दर ही आहें भरते होंगे !

पहला दिन ऐसे निकला, दूसरे दिन मैंने और पतला सूट पहना और खुल कर अपने गले की नुमाईश लगाई। मुझे शुरु से ही इस तरीके से लड़कों को अपना जिस्म दिखाना अच्छा लगता था। इससे मुझे बहुत गर्मी मिलती थी। वो आज मुझे देख देखते ही रह गए। गर्मी की वजह से मैं आज कंप्यूटर लैब में बैठ गई, ए.सी लैब थी। मैंने उनको छुट्टी कर दी और खुद लैब में चली गई। दरवाज़ा थोडा बंद कर मैंने अन्तर्वासना की साईट खोल ली साथ में ही एक और अडल्ट वेबसाइट ! वहाँ कहानियाँ पढ़ते-पढ़ते मेरी चूत गीली हो गई और मम्मे तन गए। देखते और पढ़ते हुए मेरा हाथ मेरी सलवार में घुस गया। मैंने अपना नाड़ा थोड़ा डीला कर लिया और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। दरवाज़े को कोई कुण्डी नहीं लगाईं थी क्यूंकि स्कूल में सिर्फ मैं ही थी इसलिए कुण्डी नहीं लगाईं थी।

पर्स से सी.डी निकाल कर लगाई और देखने लगी। अब मैं आराम से मेज पर आधी लेट गई और अपना कमीज़ उठाकर मम्मे दबाने लगी। मुझे क्या मालूम था कि मैं तो सिर्फ कंप्यूटर पर मूवी देख रही हूँ, तो कोई और मेरी लाइव मूवी देख रहा है। तभी किसी का हाथ मेरे कंधे पर आन टिका। मैं घबरा गई, मेरा रंग उड़ने लगा।

वो तीनों हरामी लड़के मेरे पीछे खड़े थे।

तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?

मैडम ! आप इस वक्त यहाँ क्या कर रही हो ?

शट- अप एंड गेट लोस्ट फ्रॉम माय लैब !

वो बोले- मैडम, लैब सरकारी है आपकी नहीं ! हमें तो कुछ प्रिंट्स निकालने थे। क्या पता था कि कुछ और दिख जाएगा !

उनसे बातें करते हुए अपनी सलवार और कुर्ती वहीं रहने दी। तभी विवेक नाम का लड़का घूम मेरे सामने आया और मेरी जांघों पर हाथ फेरता हुआ बोला- क्या जांघें हैं यार !

उसका स्पर्श पाते ही मैं बहकने लगी, नकली डांट लगाने लगी।

राहुल ने अपना हाथ मेरी कुर्ती में डालते हुए मेरे चूचूक मसल दिए और पंकज ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी जिप खोल अन्दर घुसा दिया। उसका लिंग हाथ में पकड़ कर ही मैंने अब बेशर्म होने का फैंसला लिया। एक दम से मेरे में बदलाव देख वो थोड़ा चौंके।

मादरचोद कमीनो, हरामियो ! कुण्डी तो लगा लो !

भोंसड़ी वालो ! एक जना जाकर स्कूल के मेन-गेट को लॉक करके आओ !

तीनों ने मुझे छोड़ा और मेरे बताये सारे काम करने निकल गए। मैंने अब मूवी की आवाज़ भी तेज़ कर दी और सलवार उतार पास में पड़ी कुर्सी पर फेंक दी, फिर कमीज़ भी उतार कर फेंक दी। पर्स से कोल्ड क्रीम निकाली, उसको चूत पर लगाया और गांड में भी लिपस्टिक लगाई।

जब वो आये, मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी में मेज़ पर लेटी थी। तीनों ने मेरे इशारे पर अपनी अपनी पैंट उतार डाली और शर्ट भी। तीनों को ऊँगली के इशारे से पास बुलाया और ब्रा खोलते हुए बारी-बारी तीनों के कच्छे उतार दिए।

हरामियों के क्या लौड़े थे- सोचा नहीं था कि बारहवीं क्लास के लड़कों के इतने बड़े लौड़े होंगे। एक एक कर तीनों के चूसने लगी। राहुल और पंकज के एक साथ मुँह में डलवाए और विवेक मेरी पैंटी उतार मेरी शेव्ड चूत चाटने लगा। उसके चाटने से मेरा दाना और फड़कने लगा, चूचूक तन गए।

पंकज ने झट से मुँह में चूचूक लेकर चूसना शुरु किया। राहुल ने भी दूसरा चूचूक मुँह में लेकर काट सा दिया- हरामी ! ज़रा प्यार से चूस ! बहुत कोमल हैं !

बोला- साली कुतिया कहीं की ! मैडम, साली बहन की लौड़ी ! रांड कहीं की !

उसने लौड़ा मेरे हलक में उतार दिया, मैं खांसने लगी। बोले- चल कुतिया तेरा रेप करते हैं !

विवेक ने मेरी गांड पर थप्पड़ जड़ दिए, मेरे बाल नौचकर मेरे हलक में लौड़ा उतार दिया।

पागल हो गए हो कुत्तो !

हाँ !

बुरी तरह से मेरी छाती पर दांतों के निशान गाड़ डाले। विवेक ने मेरी चूत में डाल दिया, पंकज और राहुल मेरा मुँह चोदने लगे, साथ में मेरे चूचूक रगड़ने लगे।

अहऽऽ उहऽऽ !

उसका मोटा लौड़ा मेरी चूत चीर रहा था- ले साली कुतिया ! बहुत सुना था तेरे बारे में तेरे मोहल्ले से ! वाकई में तू बहुत प्यासी और चुदासी औरत है !

हाँ कमीनो ! हूँ मैं रांड ! क्या करूँ ? मेरे खसम का खड़ा न होवे ! हाय और मार बेहन चोद मेरी ! विवेक जोर लगा दे सारा !

उसने साथ में अपनी दो उंगलियों को मेरी गांड में घुसा दिया और कोल्ड क्रीम लगाते लगाते ४ उंगलियों को घुसा दिया ।

चूत से निकाल एक पल में गांड में डाल दिया- चीरता हुआ लौड़ा घुसने लगा- मेरी फटने लगी !

उसने वैसे ही उठाया और नीचे कारपेट पर मुझे ले गया। खुद सीधा लेट गया, मैं उसकी तरफ पिछवाड़ा करके उसके लौड़े पर बैठती गई और लौड़ा अन्दर जाता रहा। वो वॉलीबाल की तरह उछल रहा था कि पंकज ने मेरी चूत पर अपने होंठ रख दिए। राहुल ने मुँह में डाल रखा था।

हाय कमीनी अब बोल के दिखा- बहुत बकती है साली क्लास में !

सही में मैं कुतिया बन चुकी थी, मैं खांसने लगती तब वो निकालता। लेकिन पंकज के होंठों की मेरी चूत पर हो रही करामात मेरी सारी तकलीफ ख़तम कर देती। विवेक गांड मारता जा रहा था कि पंकज खड़ा हुआ और आगे से आकर विवेक की जांघों पर बैठ गया और अपना आठ इंच का लौड़ा चूत पे रगड़ने लगा।

हाय हाय डाल दे तू भी साले !

उसने अपना मोटा लौड़ा चूत में घुसाना शुरु किया तब विवेक रुक गया। लेकिन जैसे ही उसका पूरा घुस गया, दोनों हवाई जहाज की स्पीड पर मेरी ठुकाई करने लगे। मुँह से सिसकियाँ फ़ूट रही थी- हाय ! चोदो मुझे !

राहुल ने फिर से मुँह में डाल दिया और हो गया शुरु !

पंकज तेज़ होता गया, विवेक उससे भी ज्यादा तेज़ हो गया तो पंकज रुक गया। विवेक ने पंकज को हटा दिया और एकदम से मुझे पलट कर नीचे किया और तेजी से चोदने लगा।

अह उह करता करता उसने अपना सारा माल मेरी गांड में छोड़ना शुरु किया- सारी खुजली ख़त्म !

अब पंकज सीधा लेट गया और मेरी गांड में डाल दिया, राहुल ने पंकज की तरह मेरी चूत में घुसा दिया। विवेक का लौड़ा मेरी गीली गाण्ड से भर कर निकला था दोनों के रस से लथपथ मैंने मुँह में डाल सारा चाट लिया, एक बून्द भी नहीं जाने दी मैंने !

विवेक पास में लेट हांफने लगा। पंकज ने भी वैसे ही रफ़्तार खींची, राहुल को उतार दिया और घोड़ी बना के गांड में डाल फिर चूत में डालते हुए रफ़्तार पकड़ी। राहुल ने मुँह में ठूंस दिया। दोनों हाथों से नीचे से भैंस के थनों की तरह लटक रहे कसे हुए मम्मों को पकड़ कर झटके दिए। एक भैंस की तरह मानो मेरा दूध चो रहा हो ! ज़बरदस्त तरीके से पकड़ रखे थे उसने और पीछे दन दना दन झटके मारते हुए उसने एक दम से मेरे घुटनों को खिसकाते मुझे कारपेट पर गिरा दिया लेकिन लौड़ा बाहर नहीं आने दिया। मेरे मम्मे कारपेट से रगड़ खाने लगे। थोड़ी चुभन होने लगी। लौड़ा भी कस गया लेकिन वो नहीं रुका।

दोनों एक साथ झड़े। उसने सारा माल मेरी बच्चेदानी के मुँह के पास निकाल दिया। न जाने कितने वक्त के बाद मैंने किसी को बिना कंडोम चूत में छूटने का मौका दिया। एक साथ दोनों का कम जब मिला- मैंने आंखें मूँद ली और उसके साथ चिपक गई ! फिर अलग हुए तो उसने मुँह में डाल कर साफ़ करवाया। राहुल उठा और मुझे फिर से पटक कर मेरे ऊपर सवार हो गया। सबमें से राहुल का लौड़ा सबसे लम्बा मोटा और फाड़ू था। उसने बेहतरीन तरीके से मेरी चूत मारी, झड़ने का नाम नहीं ले रहा था। इतने में विवेक का फिर खड़ा हो चुका था।

लेकिन राहुल क्या चोदू था- उसने मुझे फिर से झाड़ दिया और गांड में डाल दिया और सारा लावा वहीं छोड़ दिया।

विवेक का तन चुका था, पंकज तैयार था।

पूरा दिन स्कूल की लैब में ए.सी के सामने तीनों ने न जाने कितनी बार मुझे रौंदा !

घड़ी देखी तो शाम के साढ़े पांच बज चुके थे और छः बजे चौकीदार स्कूल में आता था। उसको सब मालूम था मेरे बारे में, क्यूंकि एक दो बार मेरे साथी टीचर ने उसके कमरे में मुझे चोदा था। लेकिन वो तीनों नहीं चाहते थे कि चौकीदार उन्हें देखे !

हम निकल रहे थे, मैंने अपनी स्कूटी स्टार्ट की ही थी कि चौकीदार ने उन्हें निकलते देख लिया। मेरी स्कूटी बंद हो गई, सेल्फ ख़राब था। मैंने उसको कहा- स्टार्ट कर दो किक से !

बोला- मैडम मेरे लौड़े को कब मौका दोगी आप ? आज फिर से लड़कों से ठुकवा बैठी हो ! मैं कौन सा कम हूँ ? माना पोस्ट चौकीदार की है लेकिन कौन सा काला कलूटा हूँ ? पूरा मजा दूंगा ! किक मारते मारते यह सब बोल रहा था। उसने एक दम से अपना लौड़ा निकाला और बोला- देखो इसको ! अभी सोया हुआ है फिर भी कितना मोटा है ! जब आपका हाथ लगेगा तो दहाड़ेगा यह !

सही में उस जैसा लौड़ा आज तक नहीं देखा था। वो था भी खुद छः फुट तीन इंच लम्बा-चौड़ा मर्द था, सुडौल मजबूत शरीर का मालिक था।

स्कूटी स्टार्ट हुई- मैडम जवाब देती जाओ ?

मैंने गौगल्ज़ लगाते हुए कहा- रात ग्यारह बजे मेरे घर आ जाना ! इंतज़ार करुँगी !

वो खुश हो गया।

सो दोस्तों यह थी अंतर्वासना पर मेरी मन मोहक चुदाई !

रात को घर में क्या-क्या हुआ?

वो लिखूंगी अगले भाग में !

Friday, January 29, 2010

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चंडीगढ़ की बारिश


विक्की का आप सभी को प्यार भरा नमस्कार…..

मैं २७ साल का जवान लड़का हूँ और चंडीगढ़ में प्राइवेट जॉब करता हूँ। आज से दो साल पहले फरवरी २००७ को मैंने सेक्टर ३४ में एक नया घर एक पेइंग गेस्ट के तौर पर लिया। मकान मालिक घर के ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे और मैं ऊपर की मंजिल पर अकेला रहता था। मकान मालिक के परिवार में एक ६० साल की बुजुर्ग औरत, उसका ३० साल का जवान बेटा(रितेश) और २७ साल की जवान बहू(रूचि) रहते थे। मकान मालिक की एक १८ साल की नौकरानी(कम्मो), हर रोज मेरी सुबह की चाय, ब्रेकफास्ट और डिनर ऊपर मेरे कमरे में दे जाती थी।

मैं तब तक बहुत ही शरीफ लड़का था और अपने काम में बहुत व्यस्त रहता था। लेकिन एक दिन जब मैं सुबह नहा कर बाहर निकला तो देखा कि कम्मो दरवाजे के छेद से मुझे देख रही थी। जब मैंने दरवाजा खोला तो वो घबराकर वापिस जाने लगी, मैंने उससे पूछा- क्या कर रही थी?

तो बोली- आप की चाय लेकर आई थी और शरमा के कमरे से बाहर भाग गई।

उस दिन से मेरा उसको देखने का नजरिया बदल गया। अगले दिन वो जब चाय लेकर आई तो मैंने उसके शरीर को ऊपर से नीचे तक ध्यान से देखा। वो जवानी की दहलीज पे कदम रख चुकी थी, उसके स्तन छोटे छोटे अमरूदों की तरह थे और उसका कमसिन गदराया बदन किसी की भी नियत बिगाड़ सकता था, वो मुझे इस तरह नजरें गड़ा कर देखते हुए देख कर शरमा गई और हंसती हुई कमरे से बाहर निकल गई। मैं समझ गया कि लोहा गरम है और खुद को कोसने लगा कि एक महीने से मैंने उसकी तरफ ध्यान कैसे नहीं दिया। उस रात मैं उसे चोदने के प्लान ही बनाता रहा।

अगले दिन वो जब आई तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींचने लगा, वो अपना हाथ छुड़ा कर भाग गई। दोस्तों मैं बता नहीं सकता कि मेरा कैसा हाल था, मैंने सोच लिया कि आज तो इसे चोद कर ही रहूँगा और रात के डिनर का इंतजार करने लगा। रात को वो जब डिनर लेकर आई तो मैंने उसे पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया, वो छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर मैंने उसे बिलकुल अपने से सटा लिया और अपना एक हाथ उसे गले में डाल लिया और दूसरे हाथ से उसके दायें चूतड़ को कस के पकड़ लिया, और इससे पहले कि वो कुछ बोले, मैंने अपने होंठ उसके गुलाबी होठों पर रख दिए और उसे चूमने लगा।

उसने भी अपने हथियार डाल दिए और मेरा साथ देने लगी। मैं १० मिनट तक उसके होंठ चूमता रहा। मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ और सारी कायनात आज यहीं पर रुक जाये। फिर मैंने उसके स्तनों पर हाथ रखा, मैं अभी उसके स्तन का साइज़ ही माप रहा था की नीचे से रूचि ने कम्मो को आवाज लगा दी, कम्मो मुझ से छुट कर जाने लगी तो मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और बोला- आज नहीं छोडूंगा, आज तो तेरी जवानी का रस पीकर ही रहूँगा !

तो वो बोली- मुझे अभी जाने दो, मैं फिर आपके पास आ जाउंगी, फिर जी भर कर चोद लेना।

उस रात मैं अपने लंड की प्यास नहीं बुझा सका, मैं रात भर मुठ मारता रहा और ७ बार मुठ मरने के बाद जब लंड खड़ा होने बंद हो गया तो मैं सो गया।

अगले दिन मैं काम के सिलसिले मैं एक हफ्ते के टूर पर मुंबई निकल गया। अपना प्रोजेक्ट ख़त्म कर मैं वापिस चंडीगढ़ आ गया।

मकान मालिक के घर पर कुछ मेहमान आए हुए थे, इसलिए मुझे ४-५ दिन कम्मो को चोदने का मोका नहीं मिला, आखिर एक हफ्ते बाद सब लोग चले गए तो एक दिन मैंने मौका देख कर कम्मो को पकड़ लिया और उसे बेड पर लिटा लिया, आज वो भी पूरे मूड में थी। उसने खुद ही मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए और बोली- आज तो मुझे चोद डालो, बहुत दिनों से प्यासी हूँ, उस दिन भी बीच में ही रह गए उस सड़ी सी रूचि के कारण।

मैंने उसके स्तन पकड़ लिए और कपड़ों के ऊपर से ही उन्हें मसलने लगा। उसके स्तन टाइट होने लगे और वो पूरी तरह से गरम हो गई। मैंने प्यार से उसका सूट उतार दिया और उसकी ब्रा की हुक खोल दी, उसके छोटे छोटे अमरुद आजाद हो गए, अब वो सिर्फ सलवार में थी। मैंने अपने दायें हाथ से उसके दायें स्तन के निप्पल को जोर से रगड़ दिया, उसके मुंह से हलकी सी सिसकी निकली और उसने अपना एक हाथ मेरी पैन्ट में डाल दिया, मैंने उसकी अमरुद सी चूची को चूसना शुरू कर दिया और लगभग १५ मिनट तक उसकी चूचियां चूसता रहा, वो भी पैन्ट में मेरा लौड़ा हिलाती रही।

मैंने उसकी सलवार का नाड़ा धीरे से खोल दिया और एक ही झटके में उसकी सलवार उसके शरीर से अलग हो गई, अब वो सिर्फ पैन्टी मैं थी। मैंने पैन्टी के ऊपर से ही अपना हाथ उसकी चूत के ऊपर फिरा दिया, उसकी पैन्टी गीली हो चुकी थी, वो एक बार स्खलित हो चुकी थी। फिर मैंने अपनी पैन्ट उतार दी और अंडरवियर से अपने लंड को आजाद कर दिया, मेरा ८” लम्बा और ३” मोटा लंड एकदम सीधा खड़ा था। मैंने उसे नीचे बिठाया और अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया, वो मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी।

दोस्तो, मैं यहाँ बता दूं कि मेरा स्टेमिना बहुत ज्यादा है, मेरे नीचे आई हुई लड़की कभी मुझे छोड़ती नहीं है। कम्मो मेरा लंड लगभग आधे घंटे तक चूसती रही, अब मैं उसे चोदने के लिए तैयार था, मैंने जैसे ही उसकी पैन्टी उतरने के लिए अपना हाथ बढ़ाया, रूचि ने कम्मो को आवाज लगा दी।

कम्मो ने जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहने और नीचे भाग गई।

उस रात मैंने अपनी चूतिया किस्मत को बहुत गाली दी कि चूत इतनी पास आकर भी मेरा लंड प्यासा रह गया।

अगले दिन जब मैं शाम को काम से वापिस आया तो मेरा डिनर लेकर रूचि ऊपर आई, आज मैंने पहली बार रूचि को इतने पास से और इतने ध्यान से देखा। या खुदा…। संगमरमर सा तराशा हुआ बदन, मैंने शायद ही इतनी सुंदर औरत अपनी जिन्दगी में देखी होगी। उसका साइज़ ३६-२४-३६ ही था। मैं तो उसे देखता ही रह गया, उसने टाइट नाईट सूट पहन रखा था, वो ऐसी बिजली गिरा रही थी कि मेरा लंड पैन्ट फाड़ कर बाहर आने को मचलने लगा। मैं एकटक उसे देख रहा था। रूचि ने मेरा खाना टेबल पर रखा और बोली कि कुछ और चाहिए क्या।

मेरे मुँह से निकल गया – आप..।

फिर थोड़ा रुक कर बोला- आप. चिंता मत करें, अगर मुझे कुछ चाहिए होगा तो मैं कम्मो से मांग लूँगा।

तो रूचि बोली- मैंने कम्मो को नौकरी से निकाल दिया है, जब तक कोई नया नौकर नहीं मिल जाता, मैं ही आप का खाना लाया करूंगी। यह कहकर रूचि नीचे चली गई।

उस रात मेरी कम्मो को चोदने की ख्वाहिश सदा के लिए अधूरी रह गई। पर मुझे इस बात का ज्यादा दुःख नहीं हुआ, क्यूंकि मैं रूचि को चोदने के सपने देखने लगा था, और रात भर प्लान बनाने लगा कि कैसे रूचि को चोदा जाये, एक प्लान सोचकर मैं सो गया।

सुबह मैं नहा कर तौलिये में ही बाहर निकल आया और रूचि चाय लेकर ऊपर आ गई, मेरा तौलिये में से खड़ा लंड उसे साफ़ दिख रहा था, उसने जल्दी से चाय रखी और जाने लगी, इस बीच उसने तीन चार बार मेरे तौलिये में से खड़े लंड को चोर निगाह से देखा। जब वो चली गई तो मैं अपने प्लान की कामयाबी पर बहुत खुश हुआ और डर भी रहा था कि कहीं ये मुझे भी घर से न निकाल दे। पर इतनी सुंदर माल की लेने के लिए ये एक बहुत छोटा रिस्क था।

रूचि का पति रितेश एक शराबी था और एक रात शराब के नशे में किसी से लड़ाई कर ली और पुलिस केस बन गया। पुलिस उसे पकड़ कर जेल ले गई। जब यह खबर मुझे पता चली तो मैं रूचि को साथ लेकर जेल में उसके पति से मिलने गया, फिर मैंने पुलिस से बात की तो पुलिस ने बताया कि इसने जिसे मारा है वो एक करोड़पति बाप का बेटा है और आज रात को हम इसकी बहुत बुरी तरह पिटाई करेंगे, ये सुन कर रूचि रोने लगी, तो मैंने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे दिलासा दी को वो चिंता न करे, फिर मैंने अपने एक दोस्त के पापा को फ़ोन लगाया, जो की पंजाब पुलिस में ऊँची पोस्ट पर है, मैंने उनकी बात उस पुलिस वाले से करवाई। बाद में पुलिस वाले ने मुझे सर कहकर बुलाना शुरू कर दिया और कहा- आप चिंता न करें, हम इन्हें कुछ नहीं करेंगे, पर केस बन गया है, हम इन्हें ऐसे ही नहीं छोड़ सकते, आप सुबह इनकी जमानत करवा लीजियेगा।

जब मैं थाने से बाहर निकला तो बहुत तेज बारिश शुरू हो गई और आप को बता दूं की चंडीगढ़ की बारिश में मौसम बहुत सुहाना हो जाता है और जिसे उस रात कोई लड़की चोदने को नहीं मिलती वो अपनी किस्मत पर बहुत रोता है। आज मेरे साथ बला की खूबसूरत लड़की तो थी पर समय सही नहीं था। मैं रूचि को लेकर घर आ गया, उसका हाल बहुत बुरा था, वो पूरा रास्ता रोती रही, यहाँ तक की कार से भी मैंने ही उसे उतारा।

हम दोनों बारिश में पूरी तरह भीग गए थे, उसकी साड़ी उसके शरीर से चिपकी हुई थी। एक सुंदर औरत…….. बरसात की रात……. बारिश में भीगा हुआ साड़ी में लिपटा बदन……..। अब आप ही बताये क्या कोई खुद पर कण्ट्रोल कर सकता है। मैं तो मन ही मन उसे चोदने का प्लान बना रहा था और डर रहा था कि कहीं किस्मत आज भी चूतिया न निकले।

मैं उसे कार से उतार कर घर की तरफ लेकर चलने लगा, की अचानक वो मुझ से लिपट गई और बोली- थैंक्यू, आज आपकी वजह से मेरे पति बच गए नहीं तो पुलिस जाने आज क्या करती उनके साथ !

और वो तेज तेज रोने लगी, मैंने भी मौका देख उसके सर और पीठ पर हाथ फिराना शुरू कर दिया, और उसे थोड़ा और अपनी बाँहों में कस लिया। बारिश की बूंदें उसके होठों पर पड़ रही थी, मेरा खुद को रोक पाना मुश्किल हो गया और मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए। आज तो जैसे मेरी लॉटरी ही खुल गई, उसने कोई इनकार नहीं किया, या तो बारिश ने उसका मूड बना दिया होगा, या शायद वो मेरी एहसानमंद होगी। मैंने उसे ५ मिनट तक चूसा और फिर गोद में उठा कर उसे ऊपर अपने कमरे में ले गया।

मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और अपने होठ उसके होठों से जोड़ दिए, बाहर से आती बारिश की आवाज संगीत का काम कर रही थी। हम दोनों १५-२० मिनट तक एक दूसरे के होंठ चूसते रहे, फिर मैंने धीरे धीरे उसके गले को चूमना शुरू किया, फिर साड़ी के ऊपर से ही उसकी चुचियों को चूमा, फिर उसकी नाभि को, और फिर उसकी चूत के ऊपर एक छोटी सी किस की।

आज तो मैं जन्नत में था, अगर खुदा भी आकर कहता कि चल तुझे स्वर्ग ले चलता हूँ तो आज मैं उसे भी इनकार कर देता।

मैंने उसके होठों को चूमते हुए बड़े प्यार से उसकी साड़ी उसके शरीर से अलग कर दी, फिर उसके ब्लाउज को उतार दिया और चूमते चूमते उसकी ब्रा भी उतार दी। वाह ! क्या चूचियां थी उसकी, एक दिन तो इन्हीं से खेलने के लिए चाहिए, पर मैंने उन्हें ३० मिनट तक चूसा, वो भी पूरी तरह गरम हो गई थी और मेरा साथ देने लगी। उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरा ८” लम्बा और ३” मोटा लंड देख कर हैरान रह गई। जब मैंने कारण पूछा तो उसने बताया कि उसके पति का लंड बहुत छोटा है।

फिर वो मुझसे बातें करने लगी और काफी खुल गई, आखिर में उसने बताया कि उसने मुझे और कम्मो को देख लिया था इसलिए उसने कम्मो को काम से निकल दिया, क्योंकि रूचि मेरा लंड अपनी चूत में लेना चाहती थी, उसके पति शराबी है वो कभी रूचि को संतुष्ट नहीं कर पाता और उसका लंड भी बहुत छोटा है, अभी तक उसकी झिल्ली भी अच्छी तरह से नहीं टूटी है। वो एक जवान मर्द की तलाश में थी और मुझसे चुदने का कब से प्लान बना रही थी।

मैंने उसके मुँह पर ऊँगली रख कर कहा- आज कुछ मत बोलो, आज हम दोनों का सपना पूरा हो जायेगा, पर क्या तुम मेरा लंड सह लोगी क्यूंकि मैं बहुत देर तक चोदता हूँ।

तो वो बोली- ऐसा चुदने के लिए तो मैं मर भी सकती हूँ मेरे राजा !

मैंने उसके शेष कपड़े भी उतार दिए और वो मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी, उसकी चूत को देख कर लग रहा था कि जैसे उसे किसी ने आज तक छुआ भी नहीं हो। मेरा हाथ उसकी मखमल सी चूत पर चला गया, वो बहुत गरम थी। हम दोनों ६९ की पोजीशन में आ गए और वो मजे लेकर मेरा लंड चूसने लगी, मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत के ऊपरी हिस्से पर रगड़नी शुरू कर दी, इतने में ही उसने पानी छोड़ दिया, फिर मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में प्यार से धीरे धीरे डाल दी, उसके मुँह से हल्की हल्की सिसकी निकलने लगी और उसका सारा शरीर काम्पने लगा।

मैंने अपने एक ऊँगली उसकी चूत में घुमानी शुरू कर दी, थोड़ी देर में वो दोबारा स्खलित हो गई, और मेरा लंड अपने मुँह से निकाल कर बोली- अब रहा नहीं जाता जानू ! अब तो मेरी चूत की प्यास बुझा दो और मुझे चोद दो !

मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया, मैंने अपना लंड उसकी चूत के ऊपर सटा दिया और उसकी चूत पर ही अपना लंड रगड़ने लगा और होठों से उसकी चूचियां जोर जोर से काटने लगा।

वो पूरी तरह उत्तेजित हो गई और बोली- राजा अब अन्दर डाल दो नहीं तो मैं मर जाउंगी।

मैंने कहा- अन्दर डाल दिया तो भी तुम मर जाओगी, क्यूंकि तुम्हारी चूत बहुत टाइट है।

उसने कहा- मुझे कुछ नहीं होगा बस तुम मुझे आज जम कर चोद दो। मैंने हरी झंडी पा कर अपने लंड का जोर उसकी चूत पर दबा दिया, चूत से दो बार पानी निकल जाने के बावजूद भी मेरा लंड उसकी चूत में नहीं जा रहा था, वो अपने होठ दांतों में दबाए होने वाले दर्द के लिए खुद को तैयार कर रही थी।

मैंने उसे कहा- ऐसे प्यार से ये नहीं जायेगा, मुझे थोड़ा जोर लगाना पड़ेगा, तुम्हें थोड़ा ज्यादा दर्द होगा। उसने सर हिला कर हामी भर दी। मैंने अपने हाथ उसके चूतड़ों से सटा लिए और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड २” उसकी चूत के अन्दर चला गया, उसके मुँह से बहुत तेज चीख निकली- आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् उईएम्म्म्ममाआआआआ…..।

मैं ऐसे ही बिना हिले डुले उसके ऊपर लेट गया और १० मिनट तक ऐसे ही लेटा रहा, उसका सारा शरीर दर्द से कांप रहा था। १० मिनट बाद उसने हिलना शुरू किया और नीचे से चूतड़ उठा उठा कर धक्के लगाने लगी, मैं समझ गया कि वो अब फिर से तैयार है, मैंने और जोर लगाना शुरू किया और अपना लंड ४” तक उसकी चूत में डाल दिया। वो दर्द के मारे चीखने लगी और उसकी चूत से खून निकलने लगा

मैंने उससे कहा- आज तुम सचमुच की सुहागन बन गई हो !

पर उससे दर्द कण्ट्रोल नहीं हो रहा था और बोली- अपना लंड निकाल लो नहीं तो मैं मर जाउंगी।

मैं भी डर गया और अपना लंड उसकी चूत में से निकाल लिया। मुझे लगा कि शायद आज मैं इसकी अब और नहीं मार पाऊंगा और आज भी मेरा लौड़ा प्यासा रह जाएगा। मैंने उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया और अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियां जोर जोर से रगड़ने लगा।

१५ मिनट में वो गरम हो गई और बोली- मैं क्या करुँ मुझ से दर्द बर्दाश्त नहीं होता।

मैंने थोड़ी देर सोच कर उससे कहा- मुझ पर भरोसा है?

तो वो बोली- जान से भी ज्यादा !

तो मैं घुटनों के बल बैठ गया और उसे अपने ऊपर आने को कहा। वो धीरे धीरे मेरे ऊपर आने लगी, जब उसकी चूत मेरे लंड के पास आई तो मैंने उसे कहा- पूरे जोर से मेरे लंड पर बैठ जाओ !

वो बोली- दर्द होगा !

मैंने कहा- मुझ पर भरोसा करो।

उसने अपनी आँखें बंद कर ली और पूरा जोर लगा कर मेरे लंड पर बैठ गई, नीचे से मैंने भी अपना लंड ऊपर उठा लिया, एक ही झटके ही पूरा लंड उसकी चूत में। उसके मुँह से तेज तेज चीखें निकलने लगी हाय मर गई………। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ…..। ऊऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, माँ मार डाला ……………..।

उसका सारा शरीर पसीने से तर हो गया, उसका अंग अंग कांप रहा था। वो मुझसे छुटने की कोशिश करने लगी, पर मैंने उसे कस कर पकड़ रखा था, वो करीब २० मिनट तक ऐसे ही बैठी रही, फिर उसने चूतड़ हिलाना शुरू कर दिया। मैंने ७” लंड चूत से बाहर निकाला और एक ही झटके में पूरा अन्दर डाल दिया, मुझे लगा कि मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से टकरा गया, उसके मुंह से हलकी हलकी सिसकारियां निकलने लगी।

मैंने १५ मिनट तक उसे इसी पोज में चोदा, फिर उसे डौगी स्टाइल में किया और पीछे से उसे २० मिनट तक चोदा। इस बीच वो २ बार स्खलित हुई, फिर मैंने उसे नीचे लिटा कर पूरी तेज रफ्तार से चोदना शुरू कर दिया, पूरा कमरा फच फच की आवाज से भर गया, करीब ३० मिनट बाद वो फिर से स्खलित हो गई, मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और ५ मिनट बाद ही उसकी चूत में गरम वीर्य की धार छोड़ दी और मैं उसके ऊपर निढाल होकर गिर गया।

१० मिनट बाद जब मैं उठा तो उसके चेहरे पर सम्पूर्णता के भाव साफ़ साफ़ दिख रहे थे, वो मुझे चूमने लगी और बोली- मुझे कभी छोड़ कर मत जाना और मुझ से लिपट गई।

उसके बाद उसने मुझे ३ और असंतुष्ट पत्नियों से मिलवाया, जिनके पति उन्हें संतुष्ट नहीं कर सकते थे, मैंने उन्हें ६ महीने तक संतुष्ट किया।


मज़ा आने वाला है


मेरा नाम शाम है। अब मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। मैं गुजरात के एक शहर में रहता हूँ।

मेरा घर एक सरकारी कॉलोनी के पास है। मैं क़रीब २२ साल का था। तब मैंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और अभी कोई नौकरी पर नहीं लगा था। तब मैं और मेरे दोस्तों ने मिलकर एक धंधा शुरु किया। जिसमें हम पास की सरकारी कॉलोनी, जहाँ पर सभी लोग बाहर से रहने आते थे, उनको यह पता नहीं होता था कि इस शहर में कौन सी चीज़ कहाँ मिलती थी, उन्हें हम उनके काम का सामान घर तक पहुँचवाने का काम करते थे, और इससे अच्छी कमाई होती थी।

अब मैं कहानी पर आता हूँ।

वैसे तो मैं और मेरे दोस्त बड़े ही रोमांटिक थे और वहाँ की औरतें भी काफ़ी सेक्सी होतीं थीं। मीना जो कि एक क्लास टू ऑफिसर की बीवी थी, उनकी शादी को अभी कुछ ही महीने हुए थे। वह देखने में बहुत ही सेक्सी थी। उसकी फिगर ३४-२८-३८ होगी। ऊँचाई क़रीब ५.८ होगी। मेरी नज़र पहले दिन से ही उस पर थी। ख़ास कर उसके चूतड़ों को देखकर मैं पागल ही हो जाता था। दिन में एक बार तो किसी न किसी बहाने से उसके घर चला ही जाता था। बहाना न हो तो भी मैं ‘कुछ चाहिए’, यह पूछने के बहाने चला जाता था। अक्सर उसका पति जो कि ऊँची पोस्ट के कारण सुबह ९:३० को चला जाता था और शाम को देर से आता था। तब से मैं यह ख़्वाब देखता था कब जा कर मैं इस को चोदूँ और हर रोज़ उस के ख्याल से मैं मुठ मारता था।

एक दिन की बात थी जब मैं कुछ सामान देने के बहाने उनके घर शाम को गया तब घर का दरवाज़ा खुला था। और मैं बिना थोक किए बिना ही घुस गया। मैंने देखा तो मीना सिर्फ ब्रा और पैन्टी में ही थी और आईने के सामने बैठकर तैयार हो रही थी। मुझे देख उसने कोई हरक़त नहीं की, ना ही अपने आप को ढँकने की, न ही घबराई। और मैंने जैसे शर्म आ रही है, ऐसा नाटक करते हुए सॉरी कह कर घर से बाहर जाने का उपक्रम किया।

उसने कहा- अरे तुम कहाँ जा रहे हो? तुम तो बड़े शर्मीले हो। क्या इससे पहले तुम ने कभी किसी औरत को इस तरह नहीं देखा है?

मैंने कहा- नहीं !

क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?

मैंने कहा- है ! लेकिन मैंने अभी तक उसके साथ कुछ भी नहीं किया।

तो उसने पूछा- क्यों नहीं किया।

अब धीरे-धीरे वह मेरे बहुत ही क़रीब आ गई। मैं समझ गया इसके इरादे कुछ ठीक नहीं लगते। फिर मैंने भी मौक़े की नज़ाकत को जान के अपने एक हाथ को उसकी जाँघ पर और दूसरे को उसके कंधे पर रख दिया। वो तो जैसे इसी के लिए तैयार थी।

मैंने हिम्मत करके धीरे-धीरे उसकी चूचियों पर ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगा। मैंने पूछा कि आईने के सामने बैठी थी, कहीं बाहर जाने वाली हो क्या?

तो वह बोली- मुझे पता था कि तुम इसी समय आते हो तो मैं तुम्हार ही इन्तज़ार कर रही थी।

तो मैंने पूछा- तुमको कैसे यह पता चला कि मेरी नज़र तुम पर है?

तो इस पर वह हँस कर बोली- एक दिन तुम्हें मेरे बदन घूर कर देखते हुए देख लिया था ! तुम्हारे साहब रात को क़ाफी देर से आते हैं, हफ्ते में चार दिन वह शराब पी कर आते हैं और बाकी उनको नौकरी की टेंशन रहती है तो हमारे बीच में महीने में एक-दो बार ही सम्बन्ध बन पाते हैं। मैं कॉलेज के समय से ही खूब चुदक्कड़ रही हूँ, मेरी चूत प्यासी रहे यह तो मुझसे सहन नहीं होता। पहले दो महीने सामने वाले पटेल साहब का लड़का उसके साथ सेटिंग हुई, लेकिन फिर वह विदेश पढ़ने चला गया। इतने में तुम आए और मेरी नज़र तुम पर पड़ी, तब मैंने तुमसे चुदवाने का मन बना लिया था। लेकिन तुम मुझे कुछ इशारा ही नहीं देते थे, इसीलिए आज मैंने तुम्हें खुला इशारा देने का मन बना लिया था।

यह कह कर वह मुझसे लिपट गई। मैं भी जैसे तैयार था। पहले मैंने उसकी ब्रा को खोला और मेरे सामने थीं दो हरी-भरीं नारंगी। उसकी चूचियों की घुण्डियों का रंग हल्का गुलाबी था और मैं बस उसपर टूट पड़ा। फिर उसने मेरे कपड़े उतारना शुरु किया। अब हम दोनों पैन्टी-अन्डरवीयर में थे। हम दरवाज़ा बन्द करना भूल गए थे।

उसने कहा- तुम अन्दर बेडरूम में जाओ, मैं दरवाज़ा बन्द कर आती हूँ।

मैं अन्दर रूम में पहुँचा, तब मैंने देखा कि रूम अच्छी तरह से सजाया था और कोने की टेबल पर सेक्सी तस्वीरों वाली पत्रिकाएँ थीं।

मैंने कहा- ये तुम पढ़ती हो?

“मैं अपनी दोस्त से पढ़ने के लिए लेती हूँ।”

“कौन सी दोस्त? वो मिसेज़ पटेल?”

तो उसने कहा “हाँ।”

“वह भी तुम्हारी तरह मस्त और सेक्सी है।”

“पहले मेरी प्यास बुझाओ फिर मैं उसके साथ तुम्हारी सेटिंग करवा दूँगी।”

अब उसने कमरे का ए.सी. चालू किया। फिर वह मेरे क़रीब आई और मेरे लंड को जो कब से उसे देखकर बाहर आने को बेक़रार था को अन्डरवीयर के ऊपर से ही सहलाना शुरु कर दिया। इसके बाद उसने उसे उतार दिया।

मेरा लंड जो कि ८” लम्बा और ३” मोटा था, उसे देखकर बोली “आज तक मैंने इतना तगड़ा और लम्बा नहीं देखा है। आज तो बहुत मज़ा आने वाला है। आज मैं तुम्हें वह सुख दूँगी जो तुम्हें सपनों में ही मिलता होगा।”

यह कह कर वो मेरा लंड अपने हाथ में लेकर उससे खेलने लगी, फिर उसे अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, साथ ही मेरे अंडकोष भी चाटने लगी।

मैंने कहा,”अब मुझसे रहा नहीं जाता, क्योंकि यह मेरा पहली बार है।”

“डार्लिंग यह तो शुरुआत है, आगे-आगे देखो होता है क्या!”

और वह घोड़ी बन गई और बोली,”बहुत दिन हो गए, मेरी किसी ने गाँड नहीं मारी। तुम मेरी यह तमन्ना आज पूरी करो।”

और सच में उसको जो पीछे से करने में जो मज़ा था वह अलग ही था। क़रीब १५ मिनट तक मैंने उसको पीछे से ही शॉट्स मारे। फिर वह सीधी हुई और मेरा मुँह अपनी चूत के पास ले गई, और मैं उसे चाटने लगा। मेरा एक हाथ उसकी दाईं चूची को दबा रहा था। अब हम 69 की मुद्रा में आ गए। वह काफी उत्तेजित हो चुकी थी और मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूम रही थी। मैं भी बहुत जोश में आ गया था।

अब उसने कहा कि अब मुझसे रहा नहीं जाता, चोदो मुझे।

फिर मैंने अपना लंड जो कि बहुत ही तड़प रहा था, उसकी चूत पर रख दिया और धक्का दिया। मेरा ४” उसकी चूत में जा चुका था और वह सिसकियाँ लेने लगी। फिर मैंने दूसरे धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। मुझे उसकी चूत की गरमी का अहसास पागल बना रहा था।

अब मैंने थोड़ी रफ्तार बढ़ाई, तो उसने भी कहा- और ज़ोर से, और तेज़। बस मुझे चोद दो।

और मैं साथ-साथ उसके पूरे गोरे बदन का मज़ा ले रहा था। कभी उसके होंठ, तो कभी-कभी उसकी चूची चूस कर। बस फिर क्या था, वह झड़ गई और मैंने भी कहा – मैं भी झड़ने वाला हूँ !

उसने कहा- तुम अन्दर मत झड़ना, मैं तुम्हारा रस पीना चाहती हूँ। तब मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और उसके मुँह पर पिचकारी मारी, उसने सारा पानी पी लिया।

ऐसा बहुत दिनों तक हुआ। मिसेज़ पटेल को कैसे चोदा, वो अगली कहानी में बताऊँगा।


मेरी बॉस और मैं बेचारा


हाय! मैं हूँ रवि, मैं पंजाब में रहता हूँ। यह कहानी यहां से शुरु होती है …………

सबसे पहले मैं अपनी बॉस का धन्यवाद करना चाहूंगा जिसकी बदौलत मैं आज मस्ती के उस मुकाम पर पहुंचा हूँ जहां मेरी वासना का ज्वार हर लहर के साथ टूट कर नहीं बिखरता। हर एक लहर अगली लहर को तब तक बढ़ाती है जब तक कि आखिरी मंजिल पर पहुंच कर एक जबरदस्त उफान के साथ मेरे प्यार का लावा असीम आनन्द देता हुआ मेरे साथी को अपने साथ बहा ले जाता है।

बात उस समय की है जब मैं एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में काम कर रहा था।

मिस रचना मेरी बॉस थी। उम्र रही होगी करीब २८ साल की। लम्बी करीब ५’८” और सारी गोलाईयां एकदम परफेक्ट। अफवाह थी कि वो मिस इन्डिया में भी भाग ले चुकी थी। पर गजब की सख्ती बरतती थी वो हम सब के साथ। किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी कि उनके बारे में सपने में भी गलत बात सोचें। वो हम सब से दूरी बना कर रखती थी।

मैं नया नया आया था। इसलिए एकाध बार उनके साथ गरम जोशी से बात बढ़ाने की गुस्ताखी कर चुका था। पर उनकी तरफ से आती बर्फीली हवाओं में मेरा सारा जोश काफूर हो गया। अब मुझे मालूम हुआ कि मेरे साथियों ने उनका नाम मिस आईस-मेडन क्यों रखा है। पर मुझे क्या पता था कि ऊपर वाले दया ऊपर वाली की मर्जी क्या है।

एक दिन हमारे आफिस का नेटवर्क गडबडा गया। कभी ऑन होता तो कभी ऑफ। उस दिन शनिवार था। मैं दिन भर उसी में उलझा रहा पर उस गुत्थी को सुलझा नहीं पाया। आखिर थक कर मैंने मैडम को कहा कि अगले दिन यानि रविवार को सुबह नौ बजे आकर इस को ठीक करने की कोशिश करूंगा। मैंने उनसे आफिस की चाभियां ले लीं।

अगले दिन जब मैं नौ बजे ऑफिस पहुंचा तो देखा कि रचना मैडम मेन-गेट के सामने खड़ी हैं। मैंने उन्हें विश किया और पूछा, “आप यहां क्या कर रही हैं?”

बोलीं, “बस ऐसे ही घर में बोर हो रही थी तो सोचा कि यहां आकर तुम्हारी मदद करूं !”

हम दरवाजा खोलकर अन्दर गए।

मैडम ने कहा कि आज इतवार होने की वजह से कोई नहीं आएगा। इसलिए सुरक्षा के ख्याल से दरवाजा अन्दर से बन्द कर लो।

मैंने उनके कहे अनुसार दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया। अब पूरे आफिस में हम दोनों अकेले थे और हमें कोई डिस्टर्ब भी नहीं कर सकता था। मुझे रचना मैडम की नीयत ठीक नहीं लग रही थी। दाल में जरूर कुछ काला था। नहीं तो भला आज छुट्टी के दिन एक छोटी सी समस्या के लिए उन को दफ्तर आने की क्या जरूरत?

मैडम घूम कर कम्प्यूटर लैब की तरफ चल दी और मैं भी मन्त्रमुग्ध सा उनके पीछे पीछे चल दिया। पूरे माहौल में उनके जिस्म की खुशबू थी। जब हम कॉरीडोर में थे तो मैंने उनकी पिछाड़ी पर गौर किया।

हाय क्या फिगर था। हालांकि मैं कोई एक्सपर्ट नहीं हूँ पर यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि अगर रचना मैडम किसी ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग ले तो अच्छे अच्छों की छुट्टी कर दें और देखने वाले अपने लण्ड संभालते रह जाएं। उनकी मस्तानी चाल को देख कर यूं लग रहा था मानो फैशन शो की रैम्प पर कैट-वॉक कर रही हो। उनके चूतड़ पेन्डुलम की तरह दोनों तरफ झूल रहे थे।

उन्होंने गहरे नीले रंग का डीप गले का चोलीनुमा ब्लाउज मैचिंग पारदर्शी साड़ी के साथ पहना था। उनकी पीठ तो मानो पूरी नंगी थी सिवाय एक पतली सी पट्टी के जो उनके ब्लाउज को पीछे से संभाले हुई थी। उन्होंने साड़ी भी काफी नीची बांधी हुई थी जहां से उनके चूतड़ों की घाटी शुरू होती है। बस यह समझ लो कि कल्पना के लिए बहुत कम बचा था। सारे पत्ते खुले हुए थे।

अगर मुझमें जरा भी हिम्मत होती तो साली को वहीं पर पटक कर चोद देता। पर मैडम के कड़क स्वभाव से मैं वाकिफ था और बिना किसी गलत हरकत के मन ही मन उनके नंगे जिस्म की कल्पना करते हुए चुपचाप उनके पीछे पीछे चलता रहा।

मैडम ने कल्पना के लिए बहुत ही कम छोड़ा था। साड़ी भी कस कर लपेटे हुई थी जिससे कि उनके मादक चूतड़ और उभर कर नजर आ रहे थे और दोनों चूतड़ों की थिरकन साफ साफ देखी जा सकती थी।

मैंने गौर किया कि चलते वक्त उनके चूतड़ अलग अलग दिशाओं में चल रहे थे। पहले एक दूसरे से दूर होते फिर एक दूसरे के पास आते। मानो उनकी गाण्ड खुल बन्द हो रही हो। जब दोनों चूतड़ पास आते तो उनकी साड़ी गाण्ड की दरार में फंस जाती थी। यह सीन मुझे बहुत ही उत्तेजित कर रहा था और मन कर रहा था कि साड़ी के साथ साथ अपने लण्ड को भी उनकी गाण्ड की दरार में डाल दूं।

बड़ा ही गुदाज बदन था रचना मैडम का।

लैब तक पहुंचते पहुंचते मेरी हालत खराब हो गई थी और मुझे लगने लगा कि अब और नहीं रूका जाएगा। लैब के दरवाजे पर पहुंच कर मैडम एकाएक रूक कर पलटी और मुझसे ऊपर की सेल्फ के केबल कनेक्शन जांचने को कहा। उनकी इस अचानक हरकत से मैं संभल नहीं पाया और अपने आप को संभालने के लिए अपने हाथ उनकी कमर पर रख दिए।

मैडम ने एक दबी मुस्कराहट के साथ कहा, “कोई शैतानी नहीं !” और मेरे हाथ अपनी कमर से हटा दिए। मैंने झेंपते हुए उनसे माफी मांगी और लैब में ऊपर की सेल्फ से कम्प्यूटर हटाने लगा। मैडम भी उसी सेल्फ के पास झुककर नीचे के केबल देखने लगी।

उनकी साड़ी का पल्लू सरक गया जिससे कि उनकी चूचियों का नजारा मेरे सामने आ गया। हाय क्या कमाल की चूचियां थीं।

एक पल को तो लगा कि दो चांद उनकी चोली में से झांक रहे हों। वो ब्रा नहीं पहने थी जिससे कि चूची दर्शन में कोई रूकावट नहीं थी। और काम करना मेरे बस में नहीं था। मैं खड़े खड़े उस खूबसूरत नजारे को देखने लगा। चोली के ऊपर से पूरी की पूरी चूचियां नजर आ रही थीं। यहां तक कि उनके खड़े गुलाबी निप्पल भी साफ मालूम दे रहे थे।

शायद उन्हें मालूम था कि मैं ऊपर से फ्री शो देख रहा हूं। इसीलिए मुझे छेड़ने के लिए वो और आगे को झुक गई जिससे उनकी पूरी की पूरी चूचियां नजर आने लगीं।

हाय क्या नजारा था। मैं खुशी खुशी चूचियों की घाटी में डूबने को तैयार था। ऐस लगता था मानो दो बड़े बड़े कश्मीरी सेब साथ साथ झूल रहो हों। एकाएक मैडम ने अपना सर ऊपर उठाया और मुझे अपनी चूचियों को घूरते हुए पकड़ लिया। जब हमारी नजर मिली तो अपने निचले होठ को दांतों में दबा कर मुस्कराते हुए बोली “ऐ ! क्या देखता है?”

मैं सकपका गया और कुछ भी नहीं बोल पाया।

मैडम ने मेरे चूतड़ों पर हल्की सी चपत जमा कर कहा, ” शैतान कहीं के ! फ्री शो देख रहा है !”

मेरा चेहरा लाल हो गया उनके मुस्कराने के अन्दाज से मैं और भी उत्तेजित हो गया और मेरा लौड़ा जीन्स के अन्दर ही तन कर बाहर निकलने को बेचैन होने लगा। मैंने अपनी जीन्स को हिला कर लण्ड को ठीक करने की कोशिश की पर मुझे इसमें कामयाबी नहीं मिली। लण्ड इतना कड़ा हो गया था कि पूछो मत। बस ऊपर ही ऊपर होता जा रहा था और मेरी जीन्स उठती ही जा रही थी।

मैडम ने मेरी परेशानी भांप ली और शरारती मुस्कराहट के साथ बोली, “ये तुमने पैन्ट में क्या छुपाया है जरा देखूं तो मैं भी !”

जब तक मैं कुछ बोलूं उन्होंने खड़े होकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया और पैन्ट के ऊपर ही से कर दबा दिया, “हाय बड़ा तगड़ा लगता है तुम्हारा तो। बड़ा बेताब भी है ! बस ऐसा ही लण्ड तो मुझे पसन्द है।”

मैं तो हक्का बक्का रह गया। मैडम रचना मेरे साथ फ्लर्ट कर रही हैं। मिस आइस-मेडन का यह गरम रूख देख कर मेरी तो बोलती ही बन्द हो गई और मैं उनकी हरकतें देखता रह गया। चूंकि मैं टेबल के ऊपर खड़ा था इस लिए मेरा लण्ड उनके मुंह की ठीक सीध में था। वो अपने चेहरे को और पास लाईं और पैन्ट के ऊपर ही से मेरे लण्ड को चूमते हुए बोली “इसे जरा और पास से देखूं तो क्यों इतना अकड़ रहा है” ऐसा कहते हुए मैडम रचना ने मेरी जीन्स की जिप खोल दी।

मैं आम तौर पर अन्डरवियर नहीं पहनता हूं। लिहाजा जिप खुलते ही मेरा लण्ड आजाद हो गया और उछलकर उनके चेहरे से जा टकराया।

“हूंऽऽ ! ये तो बड़ा शैतान है। इसे तो सजा मिलनी चाहिए !” मैडम ने अपने सेक्सी मुंह को खोला और मेरे सुपाड़े को अपने रसीले होठों में दबा लिया। मैं तो मूक दर्शक बन कर सातवें आसमान में पहुंच गया था। जिस मैडम रचना के पीछे सारा आफिस दीवाना था और जिनके बारे में सोच सोच कर मैंने भी औरों की तरह कई कई बार मुठ मारी थी यहां एक रंडी की तरह मेरा लौड़ा चूस रही थी।

मैंने मैडम का सर पकड़ कर अपने लौंड़े पर दबाया और साथ ही साथ अपने चूतड़ों को आगे धक्का दिया। एक ही झटके में मेरा पूरा लण्ड मैडम के मुंह में कंठ तक घुस गया। उनका दम घुटने लगा और उन्होंने अपना सिर थोड़ा पीछे किया।

मुझे लगा कि अब मैडम मुझे मेरे उतावलेपन के लिए डांटेगीं।

मैं बोला “सॉरी मैडम ! मैं अपने पर काबू नहीं रख पाया !”

उन्होंने बोलने से पहले मेरा लण्ड अपने मुंह से निकाला और मुस्कुराई, “धत पगले ! मैं तुम्हारी हालत का अन्दाजा लगा सकती हूं। लेकिन ये मैडम मैडम क्या लगा रखी है? तुम मुझे रचना कह कर बुलाओ ठीक है ना ! अब मुझे अपना काम करने दो !”

ऐसा कह कर मैडम ने एक हाथ में मेरा लण्ड पकड़ा और शुरू हो गई उसका मजा लेने में। वो लण्ड को पूरा का पूरा बाहर निकाल कर फिर दोबारा अन्दर कर लेती। मैं भी धीरे धीरे कमर हिला हिला कर उनका मुंह चोदने लगा। कुछ देर बाद वो बोली, “बस इसी तरह खड़े खड़े कमर हिलाने में क्या मजा आएगा? थोड़ा आगे बढ़ो !”

मैंने उनका इशारा भांप लिया और पहले उनके गालों को सहलाया। फिर धीरे धीरे हाथों को नीचे खिसकाते हुए उनकी गर्दन तक पहुंचा और उनकी चोली का स्ट्रैप खोल दिया। दोनों मस्त चूचियां उछल कर बाहर आ गई। मैडम ने भी मेरी जीन्स खोल दी और बिना लण्ड मुंह से बाहर किए नीचे उतार दी। फिर लण्ड चूसते हुए वो अपनी चूचियों को मेरी जांघों पर रगड़ने लगी।

मैंने थोड़ा झुक कर उनकी चूचियों को पकड़ा और कस कस कर मसलने लगा। जल्द ही हम दोनों काफी उत्तेजित हो गए और हमारी सांसें तेज हो गई।

मैं बोला, “मैडम मैं पूरी तरह से आपको मजा नहीं दे पा रहा हूं। अगर इजाजत हो तो मैं भी नीचे आ जाऊं?” मैडम ने मुझे गुस्से से देखा और हौले से सुपाड़े को काट लिया। वो बोली “तुम मेरी बात नहीं मान रहे हो ! अगर मैं बोलती हूँ कि मुझे रचना कह कर पुकारो तो तुम मुझे रचना ही कहोगे मैडम नहीं !”

मैं बोला “सॉरी रचना अब तो मुझे नीचे आने दो !”

रचना ने मेरा हाथ पकड़ कर नीचे उतरने में मदद की। नीचे आते ही मैंने उनके चूतडों को पकड़ा और अपने पास खींच कर होठों को चूमने लगा। अब मैं उनके होठों को चूसते हुए एक हाथ से चूतड़ सहला रहा था जबकि मेरा दूसरा हाथ उनकी चूचियों से खेल रहा था।

रचना मेरे लण्ड को हाथ में पकड़ कर सॉफ्ट टॉय की तरह मरोड़ रही थी। मैंने रचना की साड़ी पकड़ कर खींच दी और पेटीकोट का भी नाड़ा खोल कर उतार दिया। रचना ने भी मेरी टी शर्ट उतार दी और हम दोनों ही पूरी तरह नंगे हो गए।

एक दूसरे को पागलों की तरह चूमते हुए हम वहीं जमीन पर लेट गए। चूत की खुशबू पा कर मेरा लण्ड फनफनाने लगा। रचना भी गर्म हो गई थी और अपनी चूत मेरे लण्ड पर रगड़ रही थी। हम दोनों एक दूसरे को कस कर जकड़े हुए किस करते हुए कमरे के कालीन पर लोटपोट हो रहे थे। कभी मैं रचना के ऊपर हो जाता तो कभी रचना मेरे ऊपर।

काफी देर तक यूं मजे लेने के बाद हम दोनों बैठ कर अपनी फूली हुई सांसों को काबू में करने की कोशिश करने लगे। रचना ने अपने बाल खोल दिए। मैं बालों को हटा कर उनकी गर्दन को चूमने लगा। फिर दोबारा उनके प्यारे प्यारे होठों को चूमते हुए उनकी चूचियों से खेलने लगा।

रचना मेरा सिर पकड़ कर अपनी रसीली चूचियों पर ले गई और अपने हाथ से पकड़ कर एक चूची मेरे मुंह में डाल दी। मैं प्यार से उनकी चूचियों को बारी बारी से चूमने लगा। वो काफी गरम हो गई थी और मुझे अपने ऊपर ६९ की पोजिशन में कर लिया। मैं उनकी रसीली चूत का अमृत पीने लगा। रचना अपनी जीभ लपलपा कर मेरे लौड़े को चूसे जा रही थी।

जब भी हम में से कोई भी झड़ने वाला होता तो दूसरा रूक कर उसको संभलने का मौका देता। कई बार हम दोनों ही किनारे तक पहुंच कर वापस आ गए। हमारी वासना का ज्वार बढ़ता ही जा रहा था और बस अब एक दूसरे में समा जाने की ही बेकरारी थी।

रचना ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और खुद चित्त हो कर लेट गई। अपने दोनों पैर उठा कर अपने हाथों से पकड़ लिए और मुझे मोर्चे पर आने को कहा। मैंने भी रचना के दोनों पैरों को अपने कन्धों पर टिकाया और लण्ड को उसकी चूत के मुंह पर रख कर धक्का लगाया। मेरा लोहे जैसा सख्त लौड़ा एक ही झटके में आधा धंस गया।

रचना के मुंह से उफ की आवाज निकली पर अपने होठों को भींच कर नीचे से जवाबी धक्का दिया और मेरा लण्ड जड़ तक उसकी चूत में समा गया। फिर मेरी कमर पर हाथ रख कर मुझे थोड़ा रूकने का इशारा किया और बोली, “तुम्हारा लण्ड तो बड़ा ही जानदार है। एक झटके में मेरी जान निकाल दी। अब थोड़ी देर धीरे धीरे अन्दर बाहर कर के मजा लो !”

रचना के कहे मुताबिक मैं धीरे धीरे उसकी चूत में लण्ड अन्दर बाहर करने लगा। चूत काफी गीली हो चुकी थी इसलिए मेरे लण्ड को ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी। मैं धीरे धीरे चूत चोदते हुए रचना की मस्त चूचियों को भी मसल रहा था।

बड़ी ही गजब की चूचियां थी उसकी। एक हाथ में नहीं समा सकती थी। पर इतनी कड़ी मानो कन्धारी अनार। वो चित्त लेटी हुई थी पर चूचियों में जरा भी ढलकाव नहीं था और हिमालय की चोटियों की तरह तन कर ऊपर को खड़ी थी। उत्तेजना की वजह से उसके डेढ़ इन्च के निप्पल भी तने हुए थे और मुझे चूसने का आमन्त्रण दे रहे थे।

मैं दोनों निप्पलों को चुटकी में भर कर कस कस कर मसल रहा था। रचना भी सिसकारी भर भर कर मुझे बढ़ावा दे रही थी। आखिर मुझसे नहीं रहा गया और उसके पैरों को कन्धे से उतार कर जमीन पर सीधा किया और उसके ऊपर पूरा लम्बा होकर लेट गया। रचना ने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को पकड़ कर पास पास कर लिया और मैं दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने लगा। ऐसा लग रहा था कि सारी दुनिया का अमृत उन चूचियों में ही भरा हो। मैं दोनों हाथों से चूचियों को मसल रहा था। चूचियों की मसलाई और चुसाई में मैं अपनी कमर हिलाना ही भूल गया।

तब रचना अपने हाथ नीचे करके मेरे चूतड़ों पर ले गई और उन्हें फैला कर एक उंगली मेरी गाण्ड में पेल दी। मैं चिहुंक गया एक जोरदार धक्का रचना की चूत में लगा दिया। रचना खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली “क्यों राज्जा ! मजा आया ? अब चलो वापस अपनी ड्यूटी पर।”

रचना का इशारा समझ कर मैं वापस कमर हिला हिला कर उसकी चूत चोदने लगा। रचना भी नीचे से कमर उठाने लगी और धीरे धीरे हम दोनों पूरे जोश के साथ चुदाई करने लगे। मैं पूरा लण्ड बाहर खींच कर तेजी से उसकी चूत में पेल देता। रचना भी मेरे हर शॉट का जवाब साथ साथ देती।

पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूंज रही थी। जैसे जैसे जोश बढता गया हमारी रफ्तार भी तेज होती गई। आखिर उसकी चूचियों को छोड़ मैंने उसकी कमर को पकड़ कर तूफानी रफ्तार से चुदाई शुरू कर दी। रचना भी कहां पीछे रहने वाली थी। वो भी मेरी गर्दन में हाथ डाल कर पूरे जोश से कमर उछाल रही थी।

अब ऐसा लगने लगा था कि हम दोनों ही अपनी अपनी मंजिल पर पहुंच जाएंगे पर रचना तो एक्सपर्ट चुदक्कड़ थी और अभी झड़ने के मूड़ में नहीं थी। उसने अपनी कमर को मेरी कमर की दिशा में ही हिलाना शुरू दिया।

इससे लण्ड अन्दर बाहर होने के बजाए चूत के अन्दर ही रह गया। मेरी पीठ पर थपकी दे कर उन्होंने रफ्तार कम करने को कहा और बोली, “थोड़ा सांस ले लें, फिर शुरू होना। इतनी जल्दी झड़ने से मजा पूरा नहीं आएगा।”

मैंने किसी तरह अपने को संभाल कर रफ्तार कम की। मैं अब उसके रसीले होठों को चूसते हुए हौले हौले चोदने लगा। जब हम दोनों की हालत संभली तो दोबारा रचना ने फुल स्पीड चुदाई का इशारा किया और फिर से मैं पहले की तरह चोदने लगा।

रूक रूक कर चुदाई करने में मुझे भी मजा आ रहा था। हमारी इस चुदाई का दौर आधा घन्टे से भी ज्यादा चला। कई बार मेरे लण्ड में और उसकी चूत में उफान आने को हुआ और हर बार हमने रफ्तार कम करके उसे रोक लिया।

हालाँकि कमरे में ए सी चल रहा था पर हम दोनो पसीने से नहा गए। आखिर रचना ने मुझे झड़ने की इजाजत दी। मैं तूफान मेल की तरह उसकी चूत में धक्के लगाने लगा। वो भी कमर उछाल उछाल कर मेरी हर चोट का जवाब देने लगी। चरम सीमा पर पहुंच कर मैं जोर से चिल्लाया “रचना ! आआ आआआआआआ मेरी जान ! मैं आया” और उसकी चूत में जड़ तक लण्ड घुसा कर अपना सारा उफान उसके अन्दर डाल दिया।

रचना ने भी मेरी पीठ पर अपने पैर बांध कर मुझे कस कर चिपका लिया और चीखती हुई झड़ गई।


गुस्से से सेक्स तक


लो दोस्तों ! मेरा नाम आतिफ है और मैं दिल्ली में रहता हूँ। मैं हमेशा यह सोचा करता था कि क्या मैं भी कभी अपनी ज़िन्दगी में किसी के साथ सेक्स कर पाऊँगा! मुझे ब्लू-फिल्म देखने की आदत है लेकिन क़िस्मत देखिए कि कभी भी मैं किसी के साथ सेक्स नहीं कर पाया था। मेरी उम्र २३ साल और कद ५ फीट ९ इंच है। वैसे लोग कहते हैं कि मैं स्मार्ट भी हूँ, ख़ैर छोड़िये।

लेकिन मैं आप को अपनी एक ऐसी हक़ीकत से वाक़िफ कराना चाहता हूँ जो मेरे साथ पहले कभी नहीं हुई। ये होने के बाद मैं मन ही मन बड़ा खुश होता रहता था क्योंकि जो मैं इतनी कोशिश करने के बाद भी नहीं कर पाया वो अचानक हो गया।

हुआ ये कि मेरे घर के सामने एक घर है जिसमें एक परिवार रहता है जो बिहार से है, उस परिवार में ४ सदस्य हैं जिनमें से २ बच्चे और दो बड़े हैं

जून २००८ की बात है जब मेरा परिवार स्कूल की छुट्टियों की वज़ह से गाँव गई हुई थी तो बस मैं ही घर पर अकेला था। शनिवार की बात है उस दिन मेरे ऑफिस में छुट्टी होती है तो थोड़ा देर से सोया और देर से जागा। उसके बाद मैं फ्रेश हुआ और बिस्किट खरीदने के लिए दुकान पर गया।

वह दुकान बहुत ही छोटी थी और वहाँ भीड़ बहुत ज्यादा रहती थी। जहाँ मैं खड़ा था उसके एकदम आगे मेरे सामने वाली आँटी खड़ी थी वो भी कुछ सामान ले रही थी और भीड़भाड़ होने की वज़ह से हम एक-दूसरे से बिल्कुल चिपके हुए थे। पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया फिर मैंने महसूस किया कि मेरा लण्ड आँटी की गाँड पर लग रहा है। मेरा लण्ड एकदम तन गया, मुझे बहुत मज़ा आने लगा। फिर आँटी सामान लेकर जाने लगी, जाते हुए आँटी ने मेरी तरफ देखा, उनका चेहरा गुस्से से लाल था। मुझे पता नहीं क्यों, बहुत शर्म सी आई और फिर मैं भी उनके जाने के करीब १०-१५ मिनटों के बाद घर आ गया।

मैंने पहले तो चाय पी, फिर अपने दरवाज़े के सामने खड़ा हो गया। अचानक आँटी ने अपना दरवाज़ा खोला और मुझे देखकर आँटी ने मुझे कहा “बेटा, क्या तुम हमारा एक काम कर दोगे?”

“कहिए आँटी जी,” मैंने डरते हुए कहा।

उन्होंने कहा, “बेटा, मेरा हाथ नहीं पहुँच रहा है, तुम मेरा एक डिब्बा उतार दो।”

मैंने कहा- ठीक है। फिर मैं उनके घर चला गया, वहाँ ऊँचाई पर एक डिब्बा रखा हुआ था, आँटी ने बताकर कहा,”बेटा यही डिब्बा उतारना है।”

मैंने डिब्बा उतार दिया। तभी आँटी ने गेट बन्द कर लिया।

मैंने कहा- आँटी ! मैं जाता हूँ, तो उसने मुझे बुलाया, “इधर आओ,”

यह सुनकर मेरी तो हवा ही खिसक गई, लेकिन फिर मैं भी हिम्मत करके चला गया। मैंने कहा “कहो आँटी, क्या कोई और कोई काम है?”

“नहीं, एक बात पूछनी थी।” आँटी ने कहा।

मैं डर गया, डरते-डरते मैंने कहा, “कहिए आँटी जी !”

आँटी ने पूछा, “तुम्हारी उम्र कितनी है?”

मैंने जवाब दिया, “आँटी जी, २३ साल !”

फिर आँटी ने कहा कि मेरी उम्र ४० साल है और मैंने तुम्हारी माँ के उम्र की हूँ, तुम्हें शर्म नहीं आई दुकान पर ऐसी हरक़त करते हुए?

मैंने गर्दन नीचे किये हुए उनसे माफी माँगी, “आँटी मुझे माफ कर दो, आज के बाद ऐसा नहीं होगा,” मैं उनके सामने हाथ जोड़ने लगा।

“अरे कोई बात नहीं, ऐसी उमर में ऐसा होता है। पहले भी किसी के साथ ऐसा या कोई और गलत काम किया है?”

मैं कुछ नहीं बोला।

फिर आँटी ने कहा, “अरे शरमाओ मत, बताओ।”

“नहीं आँटी ! अभी तक नहीं।”

“शादी से पहले कम से कम २-३ बार ज़रूर करना चाहिए।”

मैंने हिम्मत करके कहा, “क्यों आँटी?”

“क्योंकि हर काम से पहले ट्रेनिंग ज़रूरी है, जैसे आर्मी वालों को दी जाती है। क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेण्ड है?”

“नहीं आँटी जी, मेरी कोई भी गर्लफ्रेण्ड नहीं है।”

“ये तो बड़े ही दुःख की बात है।” आँटी ने कहा।

“अगर तुम इजाज़त दो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ।” आँटी ने आगे कहा।

“कैसे?” मैंने प्रश्न किया।

उन्होंने कहा, “मैं तुम्हें ट्रेनिंग दूँगी ताकि तुम अपनी बीवी को ज़्यादा खुश रख सको। क्या तुम तैयार हो?”

“जी हाँ आँटी, जैसा आप कहें।”

मैं सोच रहा था कि ये मेरे साथ ऐसी बातें कैसे कर रही हैं, वो भी पहली बार। मुझे लगा शायद दुकान वाली हरकत की वज़ह से वह मुझसे ऐसी बातें कर रही है।

आँटी ने मेरे हाथ अपने चेहरे पर लगाये और मुझे कहा कि मेरे गालों को सहलाते रहो। मैं ऐसा ही करता रहा। फिर आँटी ने मेरा हाथ अपनी टाँग पर रखा और मुझसे कहा- मेरी टाँग पर अपना हाथ फेरते रहो।

मैं ऐसा ही करता रहा। मुझे भी मज़ा आने लगा। आँटी बहुत गरम होने लगी और मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरी गाँड पर हाथ फेरने लगी।

मैंने अपना हाथ टाँग से हटाकर आँटी के मोटे-मोटे बूब्स पर रखा, वैसे तो उन्होंने कपड़े नहीं उतारे थे, पर फिर भी मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। आँटी कहने लगी कि तुम तो इंटेलीजेन्ट हो, अपने आप ही हाथ रख लिया।

फिर मैं ज़ोर-ज़ोर से बूब्स दबाने लगा, आँटी एकदम पागल सी हो गई। मैं भी होश खो बैठा और अपना हाथ आँटी के पेटीकोट में अन्दर उनकी प्यारी सी चूत पर रखा, वो एकदम मुझसे चिपक गई।

फिर मैंने अपनी एक ऊँगली उनकी चूत में डाली और बार-बार अन्दर-बाहर करने लगा। आँटी को बड़ा मज़ा आने लगा। मज़े की वज़ह से वो सिसकियाँ लेने लगी। उनके मुँह से आवाज़ें आ रहीं थीं… हाय ! मैं मर गईईईईईईईईईईई….! ओओओओओ….! ह्ह्हहह्ह।

फिर अचानक आँटी ने कहा कि मैं तुम्हें इस ट्रेनिंग का आखिरी पाठ सिखाती हूँ और फिर उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे अपने बेड पर लेटने के लिए कहा। मैं लेट गया। उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिये।

अब वो मेरे सामने एकदम नंगी थी। वो उतनी ख़ूबसूरत तो नहीं थी, पर उसकी फिगर लाजवाब थी। फिर वो मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़कर अपने हाथ को ऊपर-नीचे करने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर उन्होंने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और फिर अपने मुँह को ऊपर-नीचे करने लगी। मेरा लण्ड एकदम तन गया और करीब ७-७.५ इंच का हो गया।

फिर उन्होंने फिर मुझे कहा कि अब तुम उठो और मैं लेटती हूँ। मैं सोच रहा था कि यार, कहीं इसका दिमाग तो खराब नहीं हो रहा है, लेकिन फिर ये सोचकर कि कहीं बना-बनाया काम न बिगड़ जाये, मैंने कुछ नहीं कहा। फिर वो लेट गई और मुझे कहा अपना मुँह मेरी दोनों टाँगों के बीच में रखकर मेरी चूत को चाटो !

मैंने कहा, आँटी ये गन्दी है। आँटी ने पूछा, “क्या तुम अपनी बीवी को खुश नहीं रखना चाहते?”

मैंने उत्तर दिया “हाँ”।

“तो फिर चलो, जल्दी करो।”

मैंने चाटना शुरू कर दिया।

मैंने देखा कि आँटी की आँखें बन्द हैं और वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ ले रहीं हैं। थोड़ी देर ऐसा ही करने के बाद आँटी ने कहा “रूको !”

मैंने पूछा “क्या हुआ?”

आँटी ने कहा, “कुछ नहीं हुआ, अब मैं तुम्हें सबसे मज़ेदार, और सबसे आख़िरी स्टेप सिखाती हूँ।

फिर आँटी ने अपनी टाँगें ऊपर कीं और मुझे कहा कि अपना लण्ड मेरी चूत पर रखो और अपने हाथ मेरे कंधे के पास। मैंने ऐसा ही किया। फिर आँटी ने मेरा गरम लण्ड अपनी गरम चूत पर रखा और मुझे कहा कि अब धीरे-धीरे इसे अन्दर करते रहो। मैंने ऐसा ही किया। जब मेरा आधा लण्ड अन्दर जा चुका था तो मुझे बड़ा मज़ा आने लगा।

आँटी कह रही थी कि तुम्हारा लण्ड कितना मोटा है। बड़ा दर्द हो रहा है।

मैंने कहा, “अगर आप कहती हैं तो मैं निकाल लेता हूँ।

आँटी ने कहा, नहीं मेरी जान, मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है, और दर्द तो ज़रूर होता है और जितना दर्द होगा, बाद में मज़ा भी उतना ही आयेगा।

मैंने फिर एकदम से अपना सारा का सारा लण्ड उसकी गरम चूत में पेल दिया। वो चिल्लाने लगी, कहने लगी कि इसे फाड़ेगा क्या। उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े।

मैंने पूछा, “बहुत दर्द हो रहा है क्या?”

“जानवर की तरह करेगा तो दर्द नहीं होगा?”

“सॉरी आँटी…!”

आँटी बोली, “कोई बात नहीं, तुम लगे रहो, धीरे-धीरे दर्द कम हो जाएगा।”

चार-पाँच मिनट बाद शायद उसका दर्द कम हो गया, क्योंकि वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी, “आज इसे फाड़ दो… मैं तुम्हारी हूँ… ज़ोर-ज़ोर से पेलो मेरी जा..आआआआआआआन…. आआआआआआआआह ईईईईईईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ आआआआआआआआह मैं मर गईईईईईईईई।

तकरीबन १५ मिनट के बाद आँटी ने कहा मेरी जान अब दूसरा स्टेप करते हैं और वो फिर उठी और डॉगी स्टाईल में हो गई और मुझे कहा अब दुबारा अपना काम शुरू करो।

मैंने फिर उसकी गरम चूत में अपना सात इंच का मोटा लण्ड पेल डाला। वो फिर सिसकियाँ लेने लगी, और चिल्लाने लगी, “मैं मर गई… आज मेरी चूत को फाड़ डालो मेरी जान…”

और मैं भी मज़े से पागल हो रहा था। हम दोनों की आवाज़ें पूरे कमरे में गूँज रहीं थीं।

तकरीबन १० मिनट बाद आँटी ने कहा “ज़रा हटो।”

“क्यों आँटी?”

“अब मैं तुम्हें वो स्टेप सिखाऊँगी जो अन्त में करना चाहिए, जब तुम्हारी गाड़ी मंज़िल पर पहुँचने वाली हो।”

“ठीक है आँटी।”

वो पिर उसी पोज़ीशन में आ गई जैसे कि शुरू में थी, अपने दोनों पैर ऊपर उठा लिये और फिर कहा कि अब दुबारा इसमें डाल दो, और चाहे जो कुछ भी हो, अपना लण्ड अन्दर ही रहने देना।

मैंने सोचा कि यार क्या होगा, फिर मैंने अपना लण्ड घुसेड़ दिया और तकरीबन ६-७ मिनटों के बाद मुझे और आँटी को बड़ा जोश आने लगा। हम दोनों ज़ोर-ज़ोर से सिसकने लगे… आहहहहहहहहहहह ओययययययययययय आआआआआआआहहहहहहह।

मैंने फिर आँटी से कहा कि आँटी लगता है मेरे लण्ड से कुछ निकलने वाला है।

“मेरी भी चूत से निकलने वाला है, लेकिन तुम अन्दर ही रखना और अन्दर ही डाल देना जो भी निकलेगा।”

मैंने कहा, “ठीक है।”

आँटी फिर शायद झड़ने वाली थी क्योंकि उसने मुझे बहुत कसकर पकड़ रखा था और आँटी कहने लगी मेरी जान… मैं मर गई… मैं झड़ने वाली हूँ। फिर वह झड़ गई।

दो मिनट बाद मेरा भी काम हो गया। आँटी पहले भी १ बार बीच में झड़ चुकी थी, फिर हम दोनों थोड़ी देर तक एक-दूसरे से लिपटे रहे और फिर आँटी ने कहा, “लो ये कपड़ा और इसे साफ कर लो।” आँटी ने भी अपनी चूत साफ कर ली और फिर पूछा, “कुछ सीखा?”

“हाँ आँटी, मैं सीख गया।”

“मेरी जान अब मैं तुम्हारी हो चुकी हूँ। अगर तुम्हें मेरी क्लास अच्छी लगी हो तो तुम रोज़ आ सकते हो।”

“ठीक है आण्टी जी मैं रोज़ सीखने आया करूँगा।” मैंने उत्तर दिया।

फिर आँटी ने मुझे एक लम्बी पप्पी दी और कहा कि अब तुम जाओ मेरी जान।

फिर मैंने कपड़े पहने और अपने घर वापस आ गया।

उसके बाद मैं आँटी को चोदने रोज उसके घर जाने लगा। १ महीने तक हमने खूब मस्ती की। और अब भी जब मौका हाथ लगता है हम दोनों सेक्स करते हैं, खूब मज़े लेते हैं… अब मैं एक दूसरी औरत पर लाईन मार रहा हूँ जिसकी शादी अभी-अभी हुई है। अगर हमारी बात वहाँ तक पहुँचती है तो मैं आपको ज़रूर लिखूँगा…. बाययय

तोड़ा तृप्ति की सील को


तृप्ति रविवार को मेरे ऑफिस में आई तो मैंने उससे अपने दिल की बात कही। मैंने कहा- जब से तुमने ज्वाइन किया है, मैं तब से तुम पर फ़िदा हो गया था और मैं नहीं चाहता था कि कोई और मेरे और तुम्हारे बीच में आये, इसी लिए मैंने तुमको पाने के लिए अपनी जी जान लगा दी।

मुझे पता चल चुका था कि तृप्ति सिर्फ पैसे वालों को लाइन देते थी और मेरे पास पैसे की कोई कमी नहीं थी, लिहाजा मैंने उसको पूरी तरह से इम्प्रेस कर लिया था। मैं शादी-शुदा था ये बात भी उसको पता थी पर फिर भी वो मुझको मन ही मन पसंद करने लगी थी और मुझे क्या टाइम पास चाहिए था।

बस वो मेरे जाल में फंसती चली गई और मैंने भी सोचा एक दिन, इससे पहले कि वो ऑफिस छोड़ के जाए मुझे इसके काम लगाना है। बस इसीलिए मैं उसे काम के बहाने रविवार को भी ऑफिस बुलाता था।

उस दिन मैंने तृप्ति की चूची दबाने का मन बना लिया था तो मैंने कुछ काम के बहाने उसे अपने पास बिठा लिया और अपने पीसी पर काम करने को कहा। वो मान गई। वो मेरे ऊपर झुक कर मेरे पीसी पर काम करने लगी और मैंने धीरे से अपने नजर तृप्ति की चूची की तरफ घुमाई तो मुझे तृप्ति की पूरी चूची उसकी कुरते के अंदर नजर आ गई। उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी। उसकी बड़ी बड़ी चूची देख कर मेरा लण्ड आउट ऑफ़ कण्ट्रोल होने लगा।

मैंने उससे और पास आने को कहा वो मेरे बिलकुल करीब आ गई अब मैं उसकी चूची की खुशबू को सूंघ सकता था। मैंने धीरे धीरे उसकी चूची की तरफ अपना हाथ बढाया और उसकी एक चूची को पकड़ लिया। वो तुंरत पीछे हट गई और कहने लगी- सर, ये क्या कर रहे हैं? मैंने उसे समझाया- इसमें कुछ भी गलत नहीं है और मुझ पर शक न कर ! मैं तो शादी-शुदा हूँ, कुछ भी गलत नहीं करूंगा।

काफी न नुकुर के बाद तृप्ति मान गई- केवल चूची दबा लीजिये और कुछ नहीं करवाउंगी।

मेरा क्या ! आज वो अपनी चूची दबवाने को मान गई है एक दिन वो मुझसे चुदवाने को भी मान जायेगी ! नहीं तो जबरदस्ती चोद दूंगा साली को !

उस दिन से मैंने रोज़ तृप्ति की चूची को दबाता और बाथरूम जाकर हाथ से मारता। कुछ दिन बाद उसको शक हो गया कि मैं जब भी उसकी चूची दबाता हूँ तो उसके तुंरत बाद बाथरूम क्यूँ जाता हूँ।

उसने मुझे पूछा कि ऐसा क्यूँ ?

मैंने बता दिया कि मैंने तुमसे वादा किया है मैं सिर्फ तुम्हारी चूची दबाऊंगा, तुमको चोदूंगा नहीं, इसीलिए अपने लण्ड को शांत करने के लिए बाथरूम जाकर हाथ से मारता हूँ।

इस पर उसने कहा- आप जब चूची दबाते हैं तो मेरा मन भी चुदवाने को होता है, पर क्या करूँ, यहाँ नहीं हो सकता है !

इस पर मैंने उससे कहा- ऐसे बात है तो पहले क्यूँ नहीं बताया? मैं तुमको किसी बढ़िया होटल ले के चलता !

यह बात सुन कर तो उसकी बांछें खिल गई। वो अगले रविवार को होटल चलने के लिए तैयार हो गई।

मैं उसे अपनी कार में ले जाने की बात कही तो उसने न नहीं किया। मुझे पता था कि उसको अमीर लोग पसंद आते हैं इसीलिए मुझे न नहीं करेगी।

मैंने रविवार के लिए एक फाइव स्टार होटल बुक कराया, तृप्ति को अपनी पत्नी बना के ले गया। मैंने उससे कहा था- तुम पहले ऑफिस आना, फिर यहाँ से चलेंगे !

मैं अपने साथ अपनी बीवी की एक साड़ी लाया था। मैंने तृप्ति से कहा- यह साड़ी पहन लो ताकि किसी को शक न हो !

उसने वैसा ही किया। होटल पहुँच कर रूम लिया, अंदर गए और रूम अंदर से लॉक कर लिया।

बस फिर क्या था हम दोनों की मुराद आज पूरी होने जा रही थी। मैंने तृप्ति को बिस्त्तर पर लिटा दिया तुंरत, और उसके ऊपर चढ़ के बैठ गया। उसकी दोनों चूची को कस के पकड़ के मसलने लगा। तृप्ति को समझ नहीं आ रहा था मुझे अचानक क्या हो गया।

मैंने कहा- मेरे जान अभी कुछ न कहो, बाद में कहना ! महीनों बाद तुम मिली हो ! मुझे अपने लण्ड की प्यास बुझाने दो ! फिर बात करेंगे !

मैंने उसका ब्लाऊज़ उतारा, उसने सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी थी, तुंरत ही उसकी ब्रा भी उतार दी और तृप्ति की चूची को दबाने लगा। तृप्ति भी गर्म-गर्म साँसें लेने लगी। तृप्ति की चूची को अब मैं अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। मैं तृप्ति की चूची को दबा दबा के मुँह में चूसे जा रहा था। तृप्ति भी बिस्तर में मचलने लगी थी। मैंने तुंरत तृप्ति की साड़ी और चड्ढी को उतारा, अपने लण्ड तुंरत तृप्ति की चूत में डाल दिया। तृप्ति की तो जैसे गांड फट गई- साली बिस्तर पर तड़पने लगी और मैं तो कई दिनों से तड़प रहा था उसको चोदने के लिए !

इतना मोटा लण्ड तृप्ति की चूत में जायेगा तो क्या हाल होगा तृप्ति का ! आप सोच सकते हो ! साली की मैया चुद गई ! जब मैंने पूरा लण्ड तृप्ति की चूत में डाल दिया तो उसकी चूत से खून बहने लगा क्यूँकि यह तृप्ति की पहले चुदाई थी न ! अभी तक तृप्ति की चूत की सील नहीं टूटी थी सो आज वो भी टूट गई। मैंने तोड़ा तृप्ति की सील को और मैंने ही तृप्ति की चूत को भी चोदा ! यह मेरी किस्मत है तृप्ति ने मुझसे चुदवाना पसंद किया।

खैर मैंने साली को जम के चोदा, मादरचोद को !

तृप्ति की दोनों चूचियों को पकड़ के लण्ड तृप्ति की चूत में अंदर-बाहर करने लगा और तृप्ति भी जोर जोर से सांसे लेने लगी। मैं जैसे बिस्तर पर पटक देता वैसे ही साली पड़ी रहती मादरचोद ! मैंने गधे की तरह चोदा मादरचोद को ! बहुत चोदा ! मैंने तृप्ति को पूरी ताकत से चोदा, तृप्ति झड़ गई, फिर मैं भी झड़ गया।

तृप्ति ने पूछा- आपने ऐसा क्यूँ किया?

मैंने कहा- मैं तुमको चोदने के लिए इतना परेशान था कि बस मौका मिलते मैं तुमको चोदना चाहता था इसीलिए तुंरत तुम को चोद डाला ! अब हमारे पास मौका भी है और टाइम भी है ! अभी फिर थोड़ी देर में तुम को चोदूंगा ! तुम नहा धो लो ! तब तक मैं नाश्ते का आर्डर देता हूँ, फिर उसके बाद चोदूंगा !

एक घंटे के बाद मैंने तृप्ति से कहा- तुम तैयार हो चुदवाने को?

उसने कहा- मैं तो कब से रेडी हूँ !

मैंने तुंरत तृप्ति को बिस्तर पर लिटाया और चढ़ गया साली मादरचोद पे ! और लगा चूसने तृप्ति की चूची को !

इस बार बहुत टाइम था तो अब तृप्ति को आराम से चोदना था !

मैंने तृप्ति की दोनों टांगों को उठा के ऊपर किया और उसकी चूत को चाटने लगा। तृप्ति की चूत को चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था कि आपको क्या बताऊँ ! दोस्तो, काश आप भी होते वहां पे !

खैर अगली बार तुम सब भी चलना मेरे साथ तृप्ति को चोदने ! लेकिन तृप्ति को पहले मैं ही चोदूंगा, फिर तुम सब !

क्यूँकि तृप्ति मेरा माल है ना !

खैर तृप्ति आधे घंटे तक तृप्ति की चूत चाटने के बाद मैंने तृप्ति से अपने लण्ड को चूसने को कहा तो मादरचोद ने मना कर दिया।

मैंने कहा- चाट के देख मेरी जान, बहुत मज़ा आएगा ! तुझे जो चाहिए, मैं दूंगा ! पहले इस दिन को तो जी लो मेरी जान ! मैं तेरा प्रमोशन कर दूंगा !

इस पर तृप्ति तैयार हो गई और मेरा लण्ड चूसने लगी। वो साली मेरा पूरा लण्ड मुँह में लेकर चूस रही थी। मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा था !

१५ मिनट तक तृप्ति ने मेरा लण्ड चूसा, फिर मैं तृप्ति की चूची चूसने लगा, उसके निप्प्ल को खूब मसलने लगा। मैंने अपना मुंह तृप्ति की चूत में लगा रक्खा था कि जब इसकी चूत झड़ेगी तो मैं उसकी चूत चाटूंगा।

मैंने तृप्ति की चूची को खूब रगड़ा और तृप्ति की चूत को भी !

कहते है न कि चूत और खैनी जितना रगड़ोगे, उतनी नशीली हो जाएँगी ! थोड़ी देर में तृप्ति झड़ गई पर मैं तो अभी भी वैसा ही था। अब तृप्ति की चूत नशीली हो गई थी इसीलिए चाटने में बहुत मज़ा आने लगा। तृप्ति की चूत से जो भी माल निकला, मैंने उसे चाट लिया और तृप्ति की चूची को इतना दबाया कि उसमें से दूध सा निकलने लगा। फिर मैंने तृप्ति का दूध पिया। तृप्ति की चूत और तृप्ति का दूध पीने के बाद तृप्ति झड़ चुकी थी। उसकी गाण्ड में ज्यादा दम नहीं बचा था। तब तक मैंने अपने लण्ड को कण्ट्रोल में रक्खा, फ़िर मेरी बारी आई। मैंने तृप्ति को बिस्तर पर पटक के चोदा।

कैसे?

बताता हूँ !

तृप्ति अब मेरे सामने पूरी नंगी लेटी थी, मैंने उसके पूरे बदन को चाट चाट कर चूसा। मैं तृप्ति को दोनों पैरों से ऊपर उठा कर बिस्तर के किनारे ले आया और तृप्ति की चूत में अपना १० इंच मोटा लण्ड घुसा दिया। फिर उसको तृप्ति तो पहले झड़ चुकी थी उसके ज्यादा दम नहीं था। उसकी चूची को, उसकी चूत को चोद-चोद के भोंसड़ा बना दिया उस दिन मैंने ! अब मैं झड़ने लगा तो मैंने तृप्ति को नहीं बताया कि मेरा निकलने वाला है। मैंने अपनी गति को बढ़ा दिया, चोदने की पूरी ताकत से तृप्ति की चूत की मैं चुदाई कर रहा था कि तभी मेरे लण्ड से माल निकलने लगा और मैंने भी सारा माल तृप्ति की चूत के अंदर गिरा दिया।

तृप्ति को पता चला कि मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में गिरा दिया तो वो थोड़ा नाराज हुई।

मैंने उसे समझा दिया कि कुछ नहीं होगा, मैंने ऑपरेशन कराया है, बच्चा नहीं होगा तुमको !

तो वो मान गई साली ! गधी है न !

जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था !

मुझे तो उसकी चूत को टेस्ट करना था, वो कर लिया ! उस दिन दो बार तृप्ति को चोदने के बाद जो मज़ा आया वो आज तक नहीं आया ! अभी भी हमारे पास टाइम था, तृप्ति को घर जाना था उसमें भी टाइम था।

मैंने सोचा था- आज पूरी तरह तृप्ति को बर्बाद कर दूंगा ! मादरचोद किसी को मुंह नहीं दिखा पायेगी साली !

मैंने उससे कहा- अभी कपड़े नहीं पहनना ! अभी एक बार और करूँगा ! टाइम है, फिर घर चलूँगा !

तृप्ति ने कहा- चाहे जितना करिये ! मेरी चूत तो अब आपकी हो गई है !

मैं खुश हो गया बहुत ! मैं तृप्ति से चिपट कर लेट गया। थोड़ी देर में हम दोनों फ़िर तैयार !

तृप्ति को मैंने नहीं बताया पर इस बार मैंने तृप्ति की गांड मारने की सोची थी।

मैं तृप्ति की चूची मसलने लगा और मुंह में ले के चूसने लगा, तृप्ति का दूध पीने लगा।

तृप्ति से मैंने अपना लण्ड चूसने को कहा तो तृप्ति ने मेरा लण्ड चूस कर खड़ा कर दिया। जब मेरा लण्ड खड़ा हो गया तो मैंने तृप्ति को कुतिया की तरह बिस्तर पे खड़ किया और तृप्ति की चूत में लण्ड डाल के तृप्ति को दुबारा चोदने लगा। जब मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया और तन गया तो मैंने अपना लण्ड तृप्ति की चूत से निकाल कर तृप्ति की गांड में डाल दिया। तृप्ति की तो मैया चुद गई, लेकिन मेरा मन तृप्ति की गांड मारने को था तो वही किया।

१५ मिनट तक तृप्ति की मैं गांड मारता रहा और फ़िर जो मेरे लण्ड से माल निकला वो मैंने दुबारा तृप्ति की चूत में अपना लण्ड डाल के तृप्ति की चूत में गिरा दिया।

इतना होने के बाद मैंने तृप्ति से कहा- मेरा पूरा जिस्म चाटो और लण्ड भी !

तृप्ति ने वही किया और तब मेरा लण्ड खडा नहीं हुआ तो मैं समझ गया कि अब आज के लिए हो गया।

अगले इतवार फिर आऊंगा यहाँ पे तुम को लेके !

तृप्ति ने कहा- अब हम हर रविवार ऑफिस के बहाने यहाँ आयेंगे और मज़े करेंगे !

अब मैं तृप्ति को हर रविवार ऑफिस के बहाने बुलाता और तृप्ति को साड़ी पहना कर अपनी कार में होटल ले के जाता, वहाँ पूरा दिन में तृप्ति को चोदता रहता।

यह सिलसिला तृप्ति के साथ आज भी चल रहा है क्यूँकि अभी तृप्ति की शादी नहीं हुई है और मैं इतनी आसानी से तृप्ति की शादी होने भी नहीं दूंगा !

नहीं तो मेरा क्या होगा !

तृप्ति ने दो बार बच्चा गिराया है, अब तृप्ति मुझे कुछ नहीं कहती क्यूँकि मैंने सारा इन्तज़ाम करवा दिया है, मेरे जब मर्ज़ी होती है मैं तृप्ति को चोद देता हूँ और वो चुदवा भी लेती है। मैं उसको पूरी रण्डी बना दूंगा।

अब अगली कहानी में आप को बताऊंगा कि कैसे मेरे दोस्तों ने तृप्ति को मेरे सामने चोदा !

यह एक सच्ची घटना है जो मेरे साथ हाल के कुछ दिनों में हुई थी। …………..

भाभी और उसकी बहन के साथ सेक्स


मैं आप को एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

मेरा एक दोस्त है राहुल। राहुल और मैं साथ साथ पढ़े लिखे, मगर राहुल की शादी मुझसे पहले हो गई। राहुल एक पायलट है। उसकी शादी शिमला की निधि नाम की लड़की से हुई थी। वो जब भी बाहर जाता मुझे हमेशा कह कर जाता कि निधि का ख्याल रखना। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।

एक दिन मैं भाभी के घर गया, दरवाज़ा बन्द था, मैंने बेल बजाई मगर कुछ देर तक कोई नहीं आया। कुछ देर बाद राहुल की ३ साल की बेटी ने दरवाज़ा खोला।

मैंने उससे पूछा- मम्मी कहाँ है?

तो वो बोली- मम्मी अपने कमरे में काम कर रही हैं, मैं उसके कमरे की तरफ़ गया, मुझे वहाँ कोई नहीं दिखाई दिया। मैं वापिस आ रहा था कि इतने में मुझे बाथरूम से कुछ आवाज़ आई-आ ऽऽऽआआ आआआऽऽऽऊऊऊऊम्मम्मम्मम्मम्म ।

मुझे आवाज़ अजीब सी लगी और मैं बाहर चला आया। कुछ देर बाद भाभी बाथरूम से बाहर निकली बिना कपड़ों के पूरी नंगी। उनको नंगा देख कर मेरा लण्ड जो कि ८ इन्च का है खड़ा हो गया। भाभी जल्दी से बाथरूम की तरफ़ भाग गई और तौलिया लपेट कर बाहर आई। मुझे काफ़ी डर लग रहा था कि भाभी मुझ पर चिल्लाएंगी। मगर भाभी मेरे पास आई और मुझसे कहने लगी- मुकेश तुम कब आये?

मैं उनकी बातें समझ नहीं पा रहा था। मैंने भाभी से कहा- मैं चलता हूँ, फ़िर आऊँगा।

मैं घर पहुँचा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मुझे सारा दिन सारी रात भाभी का वही नंगा बदन याद आ रहा था। बार बार मेरा लौड़ा खड़ा हुए जा रहा था। मैंने उसे एक हसीन सपना समझकर भूलने की काफ़ी कोशिश की मगर भूल नहीं पा रहा था।

लेकिन एक दिन अचानक मेरे सेल पे भाभी का कॉल आया और उन्होंने मुझे घर आने को कहा। मुझे लगा कि शायद भाभी को कोई काम होगा इसलिये बुलाया है, मैं घर पहुँचा, मैंने दरवाज़े पर घण्टी बजाई, भाभी ने गेट खोला और मुझे अंदर आने को कहा। मैंने भाभी से पूछा कि श्वेता कहाँ है?

तो वो बोली- अपनी सहेली के घर गई है।

उन्होंने मुझे अपने कमरे में आने को कहा और मैं उनके पीछे चला गया।

मैंने वहाँ एक १८-१९ साल की लड़की को देखा। मैंने भाभी से पूछा- यह कौन है?

तो भाभी बोली- ये मेरे मामा की लड़की है, कल ही शिमला से आई है। उसका नाम रानी है।

मैंने भाभी से पूछा- भाभी ! कुछ काम था जो आपने मुझे याद किया?

तो भाभी बोली- क्या काम होगा, तभी बुला सकती हूँ क्या?

मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि भाभी क्या चाहती हैं मुझसे। फिर मैं रानी से बातें करने लगा और धीरे धीरे वहो मेरे करीब आने लगी । उसने मेरे लण्ड पे हाथ रखा मेरा, लण्ड खड़ा हो गया। मैं बेकाबू हो गया, मैंने उसे पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। मुझे कुछ ख्याल नहीं था कि मैं कहाँ और किसके घर में हूँ।

मुझमें और जोश आने लगा, मैं उसके स्तन जो कि काफ़ी छोटे और नरम थे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा। वो मुझसे कहने लगी- धीरे करो मुकेश !

मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मेरा लण्ड बहुत तड़प रहा था। मैंने उसके कपड़े उतारने शुरु किए और सारे कपड़े उतार दिये। उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिये, बस अण्डरवीयर उतरना बाकी था।

उसमें भी काफ़ी जोश आ चु्का था, उसने मेरा अण्डरवीयर फ़ाड़ दिया और कहने लगी- जल्दी डालो मुकेश जल्दी डालो ! मुझसे रहा नहीं जा रहा !

मैंने उसकी छोटी सी चूत में अपना लण्ड डाला, वो ज़ोर से चिल्लाई- मुकेश ! आऽऽऽऽआआआअह्हह्हह बाहर निकालो !

इतने मैं भाभी आ गई और उन्होंने हम दोनो को नंगा देखा तो उनमें भी जोश आ गया और वो भी अपने कपड़े उतारने लगी। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है।

फिर उन्होंने मुझे अपने बेड पे धकेल दिया और मेरे ऊपर रानी को बैठाया और कहने लगी- अपना लण्ड इसकी चूत में डालो ! मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। वो फिर ज़ोर से चिल्लाई- आआऽऽऽऽऽऽह्हह्हह्हह्हह्ह…! मुकेश धीरे !

मुझसे अब नहीं रहा जा रहा था, मैंने ज़ोर ज़ोर से चूत मारना शुरु कर दिया।

वो चिल्लाने लगी- आआआअ…ह्हह्हह्हह्हह्ह…ई………ऊउ ………………… हाय रे…… !

मैं और ज़ोर-ज़ोर से शॉट मारने लगा। १०-१२ शॉट के बाद मेरा माल निकल गया और उसकी चूत में से खून निकलने लगा, वो डर गई मगर भाभी ने कहा- कुछ नहीं पहली बार ऐसा ही होता है।

उसके बाद मैं अपने कपड़े पहन ही रहा था कि भाभी मुझसे कहने लगी- नहीं मुकेश ! रुको ! अभी मैं बाकी हूँ !

मैं उस दिन काफ़ी जोश में था। अब भाभी मेरे ऊपर थी और मैं उनके होंठों पे किस कर रहा था। मुझमें काफ़ी जोश आ रहा था। वो मेरे लण्ड को चूसने लगी।

आआआआ…ह्हह्हह्हह्हह………ओ………हज………ह्ह्हह्हह्हह्हह्ह।प………प्पपप्पप्पु……स्सस्सस्सस्सस्स…………ह्हह्हह्हह्हह।

मुझे काफ़ी मजा आ रहा था। उन्होंने मुझमें और जोश ला दिया। फिर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मुझसे रहा नहीं गया। मैंने अपना लण्ड भाभी की चूत में डाल दिया।

वो कहने लगी- मुकेश तुम में काफ़ी जोश है ! मेरी प्यास बुझा दो।

मेरे दिलो-दिमाग पे भाभी छा रही थी, मैं भी बेकाबू हो गया था। मैं शॉट मारने लगा।

भाभी आआआआआआअ……न…इ………स……………ए………जी…तु…… कहने लगी।

मैं और ज़ोर ज़ोर से शॉट मारने लगा। उन्हें काफ़ी मजा आ रहा था। वो कम ओन मुकेश …कम ओन मुकेश ………डू इट ! कह रहि थी और मैं पूरे जोश से शॉट मार रहा था, लेकिन इस बार मेरा माल बाहर नहीं आ रहा था। मैं और ज़ोर-ज़ोर से शॉट मारने लगा।

भाभी आआ…………ह………ह्हह्हह्हहह्हहह……………ऊऊऊऊऊऊऊऊओ…स………सओ……म……ए… मुकेश ! कहे जा रही थी। १५ बार शॉट मारने के बाद मेरा माल निकल गया और फिर कुछ देर के लिये मैं उनसे लिपट गया। उसके बाद मैंने कपड़े पहने और भाभी से कहा- मैं अब घर जा रहा हूँ !

भाभी कहने लगी- मुकेश आते रहना !

और उसके बाद हमारा सिलसिला ऐसा ही चलता रहा।

लेकिन एक दिन राहुल का तबादला दिल्ली हो गया और हम दोनों जुदा हो गये।

मुझे आज भी भाभी की याद सताती रहती है और साथ साथ रानी कि भी जो शिमला वापिस चली गई।

मुझे आज भी किसी भाभी का या किसी रानी का इन्तज़ार है !

आपको मेरी कहानी कैसी लगी?

आपका यह दोस्त मुकेश फिर एक कहानी लेकर आपके सामने जल्द ही हाज़िर होगा !

अतृप्त पड़ोसन की तृप्ति


हेल्लो दोस्तों ! मैं कोई कहानीकार नहीं हूँ, पर यहाँ कई कहानियां पढने के बाद मैंने भी अपना एक अनुभव आपको बताने की कोशिश की है. उम्मीद है आपको पसंद आएगी.

बात उस समय की है जब हम एक महानगर के पास के एक छोटे से शहर में रहने गए. वो एक नई कालोनी थी और बाज़ार दूर था इस. उसी समय हमारे पड़ोस के मकान में एक परिवार रहने आया. पति पत्नी और उनका ६ महीने का बच्चा. उस औरत को जब भी देखता था तो मेरे लंड उससे सलामी देने लगता था. क्या ज़बरदस्त माल थी. उमर २१ साल. बच्चा होने के बाद भी अच्छा संवार कर रखा था उसने अपने आप को.

पतली कमर गोरा रंग और भरा हुआ शरीर. मुझे शुरू से ही भरे बदन की ज़बरदस्त आंटियां पसंद हैं. आंटी को हिन्दी फिल्मों का बहुत शौक था. और मुझसे हर हफ्ते १ -२ फिल्मों की कैसेट मंगवा कर घर पर देखती थी. उसके पति का ट्रांसपोर्ट का बिज़नस था और उन दिनों उनके अहमदाबाद के कई चक्कर लगते थे. वो महीने में मुश्किल से एक हफ्ता ही घर पे रह पाते थे. पर जब वो घर पर होते थे तो भी मुझसे ही फिल्में मंगवाया करते थे. विडियो लाइब्रेरी वाला उनका दोस्त था, वोह उससे फ़ोन कर देते थे और मैं कैसेट ले आता था. पर जब वो कैसेट मंगवाते थे तो मुझे फ़िल्म की स्पेल्लिंग असली स्पेल्लिंग से अलग लगती थी.

एक दिन अंकल घर आए, मुझसे एक फ़िल्म मंगवाई. अगले दिन मैं कॉलेज से वापस आया तो देखा कि घर पे ताला लगा है तो मैं आंटी के घर चला गया. आंटी ने बताया कि मम्मी को मार्केट जाना था तो वो अभी गई हैं, तुम यहीं इंतज़ार कर लो. मैंने अंकल के बारे में पूछा तो पता चला कि उनका ट्रक ख़राब हो गया है तो वो सुबह ही चले गए हैं और १० दिन के बाद आएंगे. आंटी का मूड बहुत ख़राब था. मुझे लगा कि वो अभी रो रही थी. मैंने पूछा तो वो बोली कि तबियत ठीक नहीं है. मुझसे कहा कि मैं नहा कर आती हूँ फिर चाय बना दूंगी.

मैं बैठ गया, अचानक मेरी नज़र उस कैसेट पर पड़ी और मैं सोच ही रहा था कि इस फ़िल्म कि स्पेल्लिंग भी कुछ अलग क्यों है. थोड़ी देर में आंटी नहा कर आ गई और चाय बना लायी. मैंने उनसे पूछा कि आंटी कुछ कैसेट की स्पेल्लिंग ग़लत क्यों लिखी होती है, तो वोह मुस्कुरा दी और बात को घुमा दिया. फिर अंकल और उनके काम के बारे में बात होने लगी तो वो कहने लगी कि अंकल के पास मेरे लिए समय नहीं है और अचानक फिर से रोने लगी और अपना सर मेरे कन्धों पर रख दिया. मैंने उनके कन्धों पे हाथ रखा और चुप कराने की कोशिश करने लगा.

उन्होनें स्लीवेलेस सूट पहना था और उनकी चिकनी बाहों का स्पर्श मुझे मजा देने लगा. मेरा लंड खड़ा हो गया और पैंट से बाहर आने के लिए मचलने लगा. मैं आंटी को तसल्ली देने लगा और बोला कि आप जैसी सुंदर बीवी को छोड़ कर वो कैसे चले जाते हैं. अगर मैं आपका पति होता तो ….. फिर चुप हो गया तो वो बोली कि अगर होते तो … आगे बोलो … मैंने कहा कि तो मैं आपको दिन रात प्यार करता. वो बोली कि फिर तुम्हारे अंकल क्यों नहीं करते … क्या मैं अच्छी नहीं हूँ ….?

मैंने कहा कि आप बहुत सुंदर हो …फिर धीरे से मैं ने उसके होठों को चूम लिया और हम दोनों धीरे धीरे एक दूसरे को किस करने लगे. धीरे धीरे हमने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और ज़ोरदार किस चालू हो गई, होंठ होंठों को चूसने लगे। कभी मेरी जीभ उसके मुहँ में जाती और कभी उसकी जीभ मेरे मुहँ में। अचानक वो बोली कि तुम पूछ रहे थे ना कि इस मूवी की स्पेल्लिंग ग़लत क्यों है ? तो उस मूवी को ओन करो पता चल जाएगा। मैंने वीसीआर में मूवी लगा दी, वो बेड पे बैठ गई और आवाज़ कम कर दी. मैं भी उसके पास जाकर बैठ गया। वो एक नग्न मूवी थी।

ब्लू फ़िल्म देखते देखते हम उत्तेजित हो गए और मैंने किस करते करते उसका कुरता उतार दिया …मेरे हाथ उसकी पीठ पर फिरने लगे… …क्या चिकना बदन था उसका ….फिर उसने मेरा शर्ट और बनियान निकाल दी …. मैं एक बात बतानी भूल गया कि मैं जिम्नास्टिक का प्लेयर हूँ और इसी वजह से मेरी फिजिक ज़बरदस्त है …. फिर धीरे से मैंने उसकी ब्रा खोल दी। उसके मस्त कबूतर फडफडा कर बाहर आ गए और मैं उन्हे धीरे धीरे दबाने लगा

उसने मुझे कस कर बाहों में भर लिया … उसका गरम चिकना नाजुक शरीर .. मुझे ऐसा लगा जैसे इससे अच्छी फीलिंग कोई हो ही नहीं सकती … फिर मैंने धीरे धीरे उसके बूब्स बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया … उसने मस्ती में अपने सर पीछे फ़ेंक दिया और मज़े में सिस्कारियां लेने लगी … मैंने धीरे धीरे उसकी सलवार का नाडा खोल दिया।

अब मेरे हाथ उसके पूरे नंगे शरीर को सहलाने लगे पैरों से लेकर कंधे तक। और मैं चूसते और चूमते हुए नीचे जाने लगा। फिर मैंने उसकी नाभि पे जीभ फिरानी शुरू कर दी …. फिर मैं उसके पैरों की तरफ़ चला गया और उसके पैर के अंगूठे और उँगलियों को एक एक करके चूसने लगा … इससे वो और उत्तेजित होने लगी और मुझे प्यार से देखकर मीठी मीठी सिस्कारियां लेने लगी ….. फिर मैंने अपनी पैंट उतार दी और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से हलके हलके सहलाने लगा …

उसने फिर मेरे अंडरवियर में हाथ डालकर मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया…. …. उसके हाथों के स्पर्श से मेरा लंड लकड़ी की तरह सख्त हो गया और मैंने उसकी पैंटी को अलग करके उसकी मस्त चूत को चाटना शुरू कर दिया और बीच बीच में जीभ को चूत के अंदर डालकर क्लिट्स को चाट लेता था। थोड़ी देर सिस्कारियां लेने के बाद वो मेरा सर पकड़ कर जोर से चूत पे दबाने लगी और चूत को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी …. मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है।

थोडी देर में उसकी चूत से पानी निकलने लगा पर मुझे अच्छा नहीं लगता सो मैंने मुँह हटा लिया। वो धीरे धीरे साँसे लेने लगी … पर मेरी बेचैनी बढती जा रही थी। … मैंने फिर से उसके बूब्स से खेलना शुरू कर दिया और वो फिर से मस्त होने लगी। मैं उसके बूब्स मसलते हुए किस करने लगा और सारे बदन को सहलाता रहा थोडी देर मैं वो फिर से उत्तेजित होने लगी।

फिर उसने पलंग से नीचे बैठकर मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया …… सच कहूँ तो ऐसी चुसाई का मजा मुझे और किसी ने नहीं दिया …और मेरी झाटों से खेलने लगी …. थोडी देर में मेरे लंड का पानी निकल गया और उसने एक एक बूँद चाटकर साफ़ कर दी …. फिर हम दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा …. वो बोली कि यह बड़ा शैतान है … देखो फिर से उठ गया …. मैंने कहा कि मैंने तुम्हें कहा ही था कि मैं तुम्हे सारी रात प्यार कर सकता हूँ …

वो बहुत भावुक हो गई और मुझे ज़ोर से गले लगा लिया और मेरे होंठ चूसने लगी … अब हम दोनों पूरे जोश में आ चुके थे। मैंने उसको लिटा दिया और पैरों के बीच मैं आ गया …. फिर मैंने उसके चूतड़ों के नीचे २ तकिये रख दिए और उसके दोनों पैर अपने कन्धों पे रख लिए। फिर मैं लंड को उसकी चूत पे रगड़ने लगा … वो पागल हो रही थी और लंड अंदर पेलने की मिन्नत करने लगी… …. थोड़ा तरसाने के बाद मैंने एक ज़ोरदार झटका लगाया और मेरा लंड आधा उसकी चूत में चला गया ….. उसकी चूत बहुत टाइट थी …

उसने अपना निचला होंठ दातों में दबा लिया और मुझे रोकने का इशारा किया… … फिर बोली कि दर्द हो रहा हैं आराम से करो … मैं थोडी देर और रुका और फिर दूसरा धक्का लगाया तो मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर समां गया। और वो दर्द से करह उठी। मैंने फिर थोड़ा इंतज़ार किया … उसका दर्द कम हो गया था और उसने धीरे धीरे अपनी गांड हिलानी शुरू कर दी ….. .. फिर मैंने भी अपने धक्के तेज़ कर दिए और लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर होने लगा …

उसे भी पूरा मज़ा आ रहा था और वो मेरा साथ देने लगी …. थोडी देर बाद मैंने अपने पंजे बेड पर टिका दिए और घुटने सीधे करके ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे होने लगा …. यह एक ज़बरदस्त पोसिशन होती है बिल्कुल ऐसे जैसे दंड बैठक करते हैं …. इसमें बहुत मज़ा आता है …. और वो झड़ के निहाल हो गई …..

मैंने फिर से उसे किस करना शुरू किया … फिर वो बोली कि मैं ऊपर आ जाती हूँ …. मैंने कहा ठीक है …. तो वो मेरे ऊपर बैठ गई और पैर मोड़कर उछलने लगी ….. मेरा लंड पूरा अन्दर बाहर हो रहा था और उसे भी मज़ा आ रहा था …. थोडी देर बाद वो फिर से झड़ गई। फिर मैंने उसे नीचे लिटाया और एक पैर ऊपर कर कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा …… थोडी देर इसी तरह चुदाई करने के बाद मैंने उसे डोग्गी स्टाइल मैं आने को कहा तो वो डर गई … बोली पीछे से नहीं …. बहुत दर्द होगा …. तो मैं समझ गया कि अभी गांड नहीं मरवाएगी। … मैंने कहा कि नहीं मैं पीछे से चूत में ही डालूँगा …

वो धीरे धीरे डोग्गी स्टाइल में आ गई और मैंने पीछे से लंड उसकी चूत में डालकर धक्के लगाने लगा …. वो मजे से सिस्कारियां निकालती रही और गांड को आगे पीछे करती रही … मैं उसकी गांड के छेद को धीरे धीरे मसलता रहा ….. और थोडी देर में हम दोनों एक साथ फिर से झड़ गए …. फिर मैं लेट गया और वो मेरे साथ लगकर लेट गई ….

हम दोनों को ही बहुत मज़ा आया था …. इसके बाद हम कई दिनों तक रोज़ चुदाई करते रहे …. मैंने उसको गांड मारने के लिए तैयार किया और गांड मारी … पर वो कहानी फिर कभी …

मैं अगली कहानी कब लिखूंगा और लिखूंगा या नहीं ये सब आपकी मेल पर निर्भर करता है …. तो मुझे ज़रूर बताइयेगा कि यह कहानी आपको कैसी लगी …

Saturday, January 23, 2010

पेहला सेक्स

मैन रिचा हून पतिअला से। मैन बतेच कि सतुदेनत हून। मैन आपको अपनि कहनि बतने जा रहि हून जो मेरे सथ उस समय बीति जब मैन 12थ सलस्स के एक्समस देकर फ़री हुयी थि। मेरे परेनतस अरे गोवत। एमपलोयी हैन। इस लिये मैन घर मैन अकेलि रेहति थि। हमरा एक नौकर जिसका नाम कल्लु है, भि हमरे सथ रेहता है। उसकि उमर करीब 30 साल है और वूह एक अछा सेहत मनद और तकतवर आदमि है।।
एक दिन मैन अकेलि बैथि थि। परेनतस अभि अभि ओफ़्फ़िसे गये थे। कल्लु मेरे पास अया और केहने लगा, कया कर रहे हो। मैन बोलि, कुछ भि तो नहिन। वूह बोला, मेम सहिब अगर बुरा ना मनो तो एक बात बोलून। मैन बोलि, कहो।।
उसने कहा, मेम सहिब आज मुझे अपनि घर वलि कि बहुत याद आ रहि है। उसकि घरवलि नेपल के गऔन मे रेहति है। मैने कहा, बोलो मैन कया कर सकति हून। वहो बोला मेम सहिब मेरे सथ थोरि देर बात कर लेन। इस्से मेरा जी थोरा हलका हो जयेगा। मैने कहा, नो परोबलेम। मैन उसके घर परिवर के बरे मैन पुछने लग गयी। बातोन बातोन मैन वोह बोला मेम सहिब हुम अपनी विफ़े के सथ बहुत मज़ा लेते हैन। मैने बोलि, तुम कया बात कर रहे हो। कौन सा मज़ा लेते हो? वहो बोला मेम सहिब सेक्स का बहुत मज़ा लेते हैन। मैन पूछ बैथि, येह सेक्स मैन कया मज़ा होता है। उसने कहा, मेम सहिब आज आपको पूरि देतैल मैन समझता हून।
फिर उसने कहा, पेहले मैन उसके सारे कपरे उतर देता हून, फिर उसके सारे शरिर को छूमता हून, फिर उसके बदन पर अपना हाथ फिरता हून, ऐसा करने से वूह भि मसत हो जाती है। मैन फिर उसके मम्मे चूसता हून। मैने उसको तोक दिया, मुझे कुछ भि समझ नहिन आ रही है। वहो बोला मेम सहिब फ़िकर नोत, मैन आपको परसतिसल करके बतता हून। इस्से पेहले मैन कुछ समझ सकति वूह मुझे चूमने लगा। मैने उसको एक जबरदसत धक्का दिया और वूह दूर जकर गिरा। वूह मेरे पास आया और बोला आज तो मैन तुमहे नहिन छोदुनगा। उसने मुझे बालोन से पकर लिया और अफि तरफ़ खीनच लिया। मैन उस दिन सकिरत तोप पेहने थि। उसने मेरे दोनो हाथो को पकर लिया और एक हाथ से पीथ के पीछे अपने एक हाथ से कस दिये। और वूह मेरे लिपस को चूसने लगा। उसकि सानसो से शरब के समेल्ल आ रहि थि। मैन उस्से छूतने के लिये जोर लगा रहि थि पर वूह एक तकतवर आदमि था। वूह बोला रिमपि मेम सहिब, तुमहरे लिपस बहुत रसदार हैन।
इतने रसभरे लिपस तो मेरि घर वलि के भि नहिन हैन। इ सैद, कल्लु बहुत हो गया। अब मुझे छोद दो वरना मैन तुमहरा बहुत बुरा हाल करवऊनगि। वहो बोला मेम सहिब, मैन आज 4 बजे कि गादि पकर कर निकल जऔउनगा। तुम लोग मुझे धूनधते हि रह जओगे। पर जने से पेहले मैन तुमहरि अछि तरह चुदै करना चहता हून। अब मैन बुरि तरह दर गयी और छूतने के लिये जोर लगने लगी। अचनक मेरा एक हाथ उसकि गिरफ़त से छूत गया और मैने उसके एक जोरदर पुनच लगा दिया। वहो बोला मेम सहिब, तुमहरे हाथ तो सिरफ़ पयर करने के लिये हैन। उसने मुझे पीथ के पीछे से पकर लिया और मुझे लेकर सोफ़ा पर बैथ गया। मैन उसकि गोद मैन बैथि थि। उसने अपने हाथ मेरे पैत पर चलना शुरु कर दिया। फिर धीरे धीरे वूह अपना हाथ को उपर मेरि छति पर लने लगा। मैन भि उस्से बचने के लिये जोर लगने लगी और उसके हाथोन को पिछे करने लगी। अचनक उसका हाथ मैरि छति पर आ गया। वूह मेरि छति को कस कर दबने लगा। येह मेरे लिये बहुत पैनफ़ुल था।
मैन चिल्लये, ऊऊऊईईईईईई छोद दो मुझे, पर उसने मेरे मम्मो को मसलना जरी रखा। फिर दूसरे हाथ से उसने मेरे तोप का बुत्तोन खोल दिया। वहो अपना हाथ तोप के अनदर ले गया। और मेरे मम्मोन को दबने लगा। जीवन मैन पेहलि बार किसि का हाथ मेरे मम्मोन पर लगा था। कुछ समय के लिये उसका तौच मुझे अछा लगा पर वूह बहुत जोर जोर से दबा रहा था। मुझे दरद भि बहुत हो रहा था। फिर उसने मेरे निप्पले को धूनध कर उसे मसलना शुरु कर दिया। अब मेरे तन बदन मैन एक मसति सि छनि शुरु हो गयी थि। पर वूह इस्से अनजन था। थोरि देर के बद उसने अपने दूसरे हथ से मेरे तोप को थोरा उपर उथया और फिर दोनो हाथोन से एक झतके साथ तोप को उतर कर फैनक दिया।। फिर उसने मेरि बरा के सत्रप नीचे कर दिये और मेरे मम्मे बरा से बहर आ गये। उसने दोनो मम्मोन को पकर लिया और धीरे धीरे दबने लगा। पर अब मैन कोइ सत्रुग्गले नहिन कर रहि थि। उसने मुझे खरा किया और मेरि सकिरत का हूक खोल दिया और एक झतके के सथ मेरि सकिरत और पनती को उतर दिया। इस तरह उसने मुझे पूरि तरह ननगि कर दिया। फिर उसने अपनि शिरत और लुनगि खोल दी। वहो भि पूरि तरह ननगा था।
उसका शरिर बहुत सत्रोनग था और उसका लुनद करीब 9 इनच का था और करीब 2 इनच मोता था। मैन उसे देख कर बहुत दर गयी। उसने मुझे पकर कर बेद पर लिता दिया और मेरे उपर सवर हो गया। पेहले उसने मेरे सरे शरिर को चूमा फिर उसने मेरे मम्मो को दबया फिर उनहे अपने मूह मैन लेकर बरि बरि चूसने लगा। एक मसति का एहसास मेरे दिलो दिमग पर हावि होने लगा। मेरि चूत मैन एक मसति भरि खरिश होने लगी। मेरे निप्पले तन कर खरे हो गये थे। उसने अपना लनद मेरि चूत पर तिका दिया और एक झतका लगा दिया। लुनद थोरा सा अनदर चला गया।
मैन चीख परि, आआयययययीईईईईईईए
आआआआआआआआआआआआआह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह
ऊऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह
हैईईईईईईई माआआअर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र गाआआयययययीईईईईईईईईईईईईई
नाआअह्हह्हह्हह्हीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईइन्नन्न
फिर उसने एक जोरदर झतका मर दिया और लनद करीब अधा अनदर चला गया। मेरि सील भि तूत गयी। मेरि चूत से खून बेहने लगा। मैन चीखना चहति थि पर उसने मेरे लिपस को अपने लिपस मैन लेकर दबा रखा था। वहो बोला मेम सहिब तुम बहुत मसत हो। आज तुमहरि सेअल तोरने मैन मज़ा आ गया। उसने एक और जोरदर झतका लगया और उसका लुनद पूरि तरह मेरि चूत मैन घुस चुका था। मैन चीखना चहति थि पर चीख नहिन सकति थि। मैरि आनखो से आनसु तपक रहे थे। वहो बोला थोरि देर रुक जता हून। फिर उसने मेरे मम्मोन को चूसना शुरु कर दिया। इस्से मुझे बहुत आरम मिला और मेरा दरद कम हो गया। फिर उसने धीरे धीरे लुनद को अनदर बहर करना शुरु कर दिया। फिर दरद कि एक लेहर उथि पर अब साथ मैन मज़ा भि आ रहा था। कुछ देर बाद दरद पूरि तेरह खतम हो गया। अब तो बस मज़ा हि मज़ा था। उसने पूरि मसति के सथ मेरि चुदै कि। मैने भि अपनी गानद को उथा कर उसका सथ दिया। थोरि देर के बद मैन ओवेर हो गयी। पर वूह अभि तक पूरि जोर से चुदै कर रहा था।
उसने मेरि तानगे उपर उथा दि। फिर उनको लेफ़त घुमा दिया और मेरि गानद से पकर कर मुझे घोरि बना दिया। इस पोसितिओन मैन मुझे बहुत मज़ा आया और मैन एक बार फिर से सलिमक्स तक पहुनच गयी। पूरे ओने हौर कि चुदै के बाद वूह थनदा हुअ। 15 मिनुते के बद उसने फिर से मुझे पकर लिया और मेरि चूत को चातने लगा। उसने अपने तोनगुए मेरि चूत के अनदर घुसा दी। मैन फिर से अननद के सगर मैन गोते लगने लगी। अब कि बार उसने मुझे लिता दिया और अपना लुनद मेरे मूनह मैन दाल दिया। और तोनगुए से मेरि चूत को चातने लगा। इस तेरेह मैन एक बार फिर ओवेर हो गयी। अब कि बार उसने मुझे बेद के सहरे खरा कर दिया और मेरि गानद मैन अपना लनद गुसेर दिया। उस्से मुझे बहुत जयदा दरद हुया। करीब हलफ़ हौर तक पुमप करने के बाद वूह थनदा हो गया। मेरा एक एक अनग दुख रहा था। उसके बाद उसने 330 तक मेरि पानच बार चुदै कि और फिर जलदि से अपने कपरे लेकर भग गया। जते जते उसने कहा, मेम सहिब मैन आपको हमेशा याद रखूनगा। तुम मेरि सेक्स कि देवि हो। जो मज़ा तुमने मुझेदिया है वूह आज तक किसि भि औरत मैन नहिन है।
उस दिन के बद येह बात मैने किसि को भि नहिन बतयी, पर मैन अपनि पेहलि चुदै को हमेशा याद रखुनगि। सच मैन, मैने भि इसमे कफ़ी मज़ा लिया था।
अगर कोइ इसके बरे मेन कुच भि पुचना चहे तो mail me at Ruchaaaaaa280@yahoo.com

दीदी की तड़प



मैं अपना परिचय करवा दूँ ! मेरा नाम कुमार है, उम्र अभी २६ साल है। वैसे तो मैं कोलकाता का रहने वाला हूँ पर जॉब की वजह से अभी दिल्ली में हूँ। मैं साधारण कद काठी का हूँ पर बचपन से ही जिम जाता हूं इसलिए अभी भी मेरी बॉडी अच्छे आकार में है । बाकी बॉडी के बारे में धीरे धीरे पता चल जायेगा।

मैं जो कहानी आपसे बाँटने जा रहा हूँ वो सच्ची है या झूठी, यह आप ही तय करना।

बात उन दिनों की है जब मैंने अपनी स्नातिकी पूरी की थी। उस वक़्त मेरी उम्र २१ थी। मैं अपने मम्मी-पापा और अपनी बड़ी बहन के साथ कोलकाता में एक किराये के मकान में रहता था। मेरे पापा उस वक़्त सरकारी जॉब में थे। माँ घर पर ही रहती थीं और हम भाई-बहन अपनी अपनी पढ़ाई में लगे हुए थे। मेरी और मेरी बहन की उम्र में बस एक साल का फर्क है। इसलिए हम दोस्त की तरह रहते थे। हम दोनों अपनी सारी बातें एक दूसरे से कर लेते थे, चाहे वो किसी भी विषय में हो।

मैं बचपन से ही थोड़ा ज्यादा सेक्सी था और सेक्स की किताबों में मेरा मन कुछ ज्यादा लगता था। पर मैं अपनी पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहता था इसलिए मुझसे सारे लोग काफी खुश रहते थे।

हम जिस किराये के मकान में रहते थे उसमें दो हिस्से थे, एक में हम और दूसरे में एक अन्य परिवार रहता था, जिसमें एक पति-पत्नी और उनके दो बच्चे रहते थे। दोनों काफी अच्छे स्वभाव के थे और हमारे घर-परिवार में मिलजुल कर रहते थे। मेरी माँ उन्हें बहुत प्यार करती थीं। मैं भी उन्हें अपनी बड़ी बहन की तरह ही मानता था और उनके पति को जीजा कहता था। उनके बच्चे मुझे मामा मामा कहते थे।

सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा था। अचानक मेरे पापा की तबीयत कुछ ज्यादा ही ख़राब हो गई और उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा। हम लोग तो काफी घबरा गए थे पर हमारे पड़ोसी यानि कि मेरे मुँहबोले जीजाजी ने सब कुछ सम्हाल लिया। हम सब लोग अस्पताल में थे और डॉक्टर से मिलने के लिए बेताब थे। डॉक्टर ने पापा को चेक किया और कहा की उनके रीढ़ की हड्डी में कुछ परेशानी है और उन्हें ऑपरेशन की जरूरत है। हम लोग फ़िर से घबरा गए और रोने लगे। जीजाजी ने हम लोगों को सम्हाला और कहा कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है सब ठीक हो जायेगा। उन्होंने डॉक्टर से सारी बात कर ली और हम सब को घर जाने के लिए कहा। पहले तो हम कोई भी घर जाने को तैयार नहीं थे पर बहुत कहने पर मैं, मेरी बहन और अनीता दीदी मान गए, अनीता मेरी मुँहबोली बहन का नाम था।

हम तीनों लोग घर वापस आ गए। रात जैसे तैसे बीत गई और सुबह मैं अस्पताल पहुँच गया। वहां सब कुछ ठीक था। मैंने डॉक्टर से बात की और जीजा जी से भी मिला। उन लोगों ने बताया कि पापा की शूगर थोड़ी बढ़ी हुई है इसलिए हमें थोड़े दिन रुकना पड़ेगा, उसके बाद ही उनकी सर्जरी की जायेगी। बाकी कोई घबराने वाली बात नहीं थी। मैंने माँ को घर भेज दिया और उनसे कहा कि अस्पताल में रुकने के लिए जरूरी चीजें शाम को लेते आयें। माँ घर चली गईं और मैं अस्पताल में ही रुक गया। जीजा जी भी अपने ऑफिस चले गए।

जैसे-तैसे शाम हुई और माँ सारी चीजें लेकर वापस अस्पताल आ गईं। हमने पापा को एक निजी कमरे में रखा था जहाँ एक और बिस्तर था परिचारक के लिए। माँ ने मुझसे घर जाने को कहा। मैं अस्पताल से निकला और टैक्सी स्टैंड पहुँच गया। मैंने वहाँ एक सिगरेट ली और पीने लग। तभी मेरी नज़र वहीं पास में एक बुक-स्टाल पर चली गई। मैंने पहले ही बताया था कि मुझे सेक्सी किताबें, खासकर मस्त राम की किताबों का बहुत शौक है। मैं उस बुक-स्टाल पर चला गया और कुछ किताबें खरीदी और अपने घर के लिए टैक्सी लेकर निकल पड़ा।

घर पहुंचा तो मेरी बहन ने जल्दी से आकर मुझसे पापा के बारे में पूछा और तभी अनीता दीदी भी अपने घर से बाहर आ गईं और पापा की खबर पूछी। मैंने सब बताया और बाथरूम में चला गया। सारा दिन अस्पताल में रहने के बाद मुझे फ्रेश होने की बहुत जल्दी पड़ी थी। मैं सीधा बाथरूम में जाकर नहाने लगा। बाथरूम में जाने से पहले मैंने मस्तराम की किताबों को फ़्रिज पर यूँ ही रख दिया। हम दोनों भाई बहन ही तो थे केवल इस वक़्त घर पर, और उसे पता था मेरी इस आदत के बारे में। इसलिए मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

जब मैं नहा कर बाहर आया तो मेरी बहन को देखा कि वो किताबें देख रही है। उसने मुझे देखा और थोड़ा सा मुस्कुराई। मैंने भी हल्की सी मुस्कान दी और मैं अपने कमरे में चला गया। मैं काफी थक गया था इसलिए बिस्तर पर लेटते ही मेरी आँख लग गई।

रात के करीब ११ बजे मुझे मेरी बहन ने उठाया और कहा- खाना खा लो !

मैं उठा और हाथ मुँह धोकर खाने के लिए मेज़ पर गया, वहां अनीता दीदी भी बैठी थी। असल में आज खाना अनीता दीदी ने ही बनाया था। मैंने खाना खाना शुरू किया और साथ ही साथ टीवी चला दिया। हम इधर उधर की बातें करने लगे और खाना खा कर टीवी देखने लगे।

हम तीनों एक ही सोफे पर बैठे थे, मैं बीच में और दोनों लड़कियाँ मेरे आजू-बाजू । काफी देर बात चीत और टीवी देखने के बाद हम लोग सोने की तैयारी करने लगे। मैं उठा और सीधे फ़्रिज की तरफ गया क्यूंकि मुझे अचानक अपने किताबों की याद आई। मुझे वहां पर बस एक ही किताब मिली जबकि मैं तीन किताबें लेकर आया था। सामने ही अनीता दीदी बैठी थी इसलिए कुछ पूछ भी नहीं सकता था अपनी बहन से। खैर मैंने सोचा कि जब अनीता दीदी अपने घर में चली जाएँगी तो मैं अपनी बहन से पूछूंगा।

थोड़ी देर तक तो मैं अपने कमरे में ही रहा, फिर उठ कर बाहर हॉल में आया तो देखा मेरी बहन अपने कमरे में सोने जा रही थी, मैंने उसे आवाज़ लगाई," नेहा, मैंने यहाँ तीन किताबें रखी थीं, एक तो मुझे मिल गई लेकिन बाकी दो और कहाँ हैं ?"

"मेरे पास हैं, पढ़कर लौटा दूंगी मेरे भैया !" और उसने बड़ी ही सेक्सी सी मुस्कान दी।

मैंने कहा," लेकिन तुम्हें दो दो किताबों की क्या जरुरत है? एक रखो और दूसरी लौटा दो, मुझे पढ़नी है।"

उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बस कहा कि आज नहीं कल दोनों ले लेना।

मैं अपना मन मारकर अपने कमरे में गया और किताब पढ़ने लगा। पढ़ते-पढ़ते मैंने अपना लण्ड अपनी पैन्ट से बाहर निकला और मुठ मारने लगा। काफी देर तक मुठ मारने के बाद मैं झड़ गया और अपने लण्ड को साफ़ करके सो गया।

रात को अचानक मेरी आँख खुली तो मैं पानी लेने के लिए हॉल में फ़्रिज के पास पहुंचा। जैसे ही मैंने फ़्रिज खोला कि मुझे बगल के कमरे से किसी के हंसने की आवाज़ सुनाई दी। मैंने ध्यान दिया तो पता लगा कि मेरी बहन के कमरे से उसकी और किसी और लड़की की आवाज़ आ रही थी। नेहा का कमरा हॉल के पास ही है। मैं उसके कमरे के पास गया और अपने कान लगा दिए ताकि मैं यह जान सकूँ कि अन्दर कौन है और क्या बातें हो रही हैं।

जैसे ही मैंने अपने कान लगाये मुझे नेहा के साथ वो दूसरी आवाज़ भी सुनाई दी। गौर से सुना तो वो अनीता दीदी थी। वो दोनों कुछ बातें कर रहे थे। मैंने ध्यान से सुनने की कोशिश की, और जो सुना तो मेरे कान ही खड़े हो गए।

अनीता दीदी नेहा से पूछ रही थी," हाय नेहा, ये कहाँ से मिली तुझे? ऐसी किताबें तो तेरे जीजा जी लाते थे पहले, जब हमारी नई-नई शादी हुई थी !"

"अच्छा तो आप पहले भी इस तरह की किताबें पढ़ चुकी हैं ?"

"हाँ, मुझे तो बहुत मज़ा आता है। लेकिन अब तेरे जीजू ने लाना बंद कर दिया है। और तुझे तो पता है कि मैं थोड़ी शर्मीली हूँ इसलिए उन्हें फिर से लाने को नहीं कह सकती, और वो हैं कि कुछ समझते ही नहीं।"

"कोई बात नहीं दीदी, जब भी आपको पढ़ने का मन करे तो मुझसे कहना, मैं आपको दे दूंगी।"

"लेकिन तेरे पास ये आई कहाँ से ?"

"अब छोड़ो भी न दीदी, तुम बस आम खाओ, पेड़ मत गिनो।"

"पर मुझे बता तो सही !"

"लगता है तुम नहीं मानोगी !"

"मैं कितनी जिद्दी हूँ, तुझे पता है न। चल जल्दी से बता !"

"तुम पहले वादा करो कि तुम किसी को भी नहीं बताओगी !"

"अरे बाबा, मुझ पर भरोसा रखो, मैं किसी को भी नहीं बताउंगी।"

"ये किताबें सोनू लेकर आता है।'

" हे भगवान् .." अनीता दीदी के मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गई," तू सच कह रही है ? सोनू लेकर आता है ?"

नेहा उनकी शकल देख रही थी,"तुम इतना चौंक क्यूँ रही हो दीदी ?"

अनीता दीदी ने एक लम्बी साँस ली और कहा," यार, मैं तो सोनू को बिलकुल सीधा-साधा और शरीफ समझती थी। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि वो ऐसी किताबें भी पढ़ता है।"

" इसमें कौन सी बुराइ है दीदी, आखिर वो भी मर्द है, उसका भी मन करता होगा !"

" हाँ यह तो सही बात है !" दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा," लेकिन एक बात बता, ये किताब पढ़कर तो सारे बदन में हलचल मच जाती है, फिर तुम लोग क्या करते हो ? कहीं तुम दोनों आपस में ही तो.......??"

अनीता दीदी की आवाज़ में एक अजीब सा उतावलापन था। उन्हें शायद ऐसा लग रहा था कि हम भाई-बहन आपस में ही चुदाई का खेल न खेलते हों।

इधर उन दोनों की बातें सुनकर मेरी आँखों की नींद ही गायब हो गई। मैंने अब हौले से अन्दर झांका और उन्हें देखने लगा। वो दोनों बिस्तर पर एक दूसरे के साथ लेटी हुई थी और दोनों पेट के बल लेट कर एक साथ किताब को देख रही थीं।

तभी दीदी ने फिर पूछा," बोल न नेहा, क्या करते हो तुम दोनों ?" अनीता दीदी ने नेहा की बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथो से मसल डाला।

" ऊंह, दीदी....क्या कर रही हो ? दर्द होता है.." नेहा ने अपने उरोजों को अपने हाथों से सहलाया और अनीता दीदी की तरफ देख कर मुस्कारने लगी।

अनीता दीदी की आँखों में एक शरारत भरी चमक थी और एक सवाल था.... नेहा ने उनकी तरफ देखा और कहा," आप जैसा सोच रही हैं वैसा नहीं है दीदी। हम भाई-बहन चाहे जितने भी खुले विचार के हों, पर हमने आज तक अपनी मर्यादा को नहीं लांघा है। हमारा रिश्ता आज भी वैसे ही पवित्र है जैसे एक भा बहन का होता है।"

यह सच भी है, हम भाई-बहन ने कभी भी अपनी सीमा को लांघने की कोशिश नहीं की थी। खैर, अनीता दीदी ने नेहा के गलों पर एक चुम्बन लिया और कहा," मैं जानती हूँ नेहा, तुम दोनों कभी भी ऐसी हरकत नहीं करोगे।"

"अच्छा नेहा एक बात बता, जब तू यह किताब पढ़ती है तो तुझे मन नहीं करता कि कोई तेरे साथ कुछ करे और तेरी चूत को चोद-चोद कर शांत करे, उसकी गर्मी निकाले ?" अनीता दीदी के चेहरे पर अजीब से भाव आ रहे थे जो मैंने कभी भी नहीं देखा था। उनकी आँखे लाल हो गई थीं।

"हाय दीदी, क्या पूछ लिया तुमने, मैं तो पागल ही हो जाती हूँ। ऐसा लगता है जैसे कहीं से भी कोई लंड मिल जाये और मैं उसे अपनी चूत में डाल कर सारी रात चुदवाती रहूँ !"

"फिर क्या करती हो तुम ?"

नेहा ने एक गहरी सांस ली और कहा," बस दीदी, कभी कभी ऊँगली या मोमबत्ती से काम चला लेती हूँ !"

दीदी ने नेहा को अपने पास खींच लिया और उसके होठों पर एक चुम्मा धर दिया। नेहा को भी अच्छा लगा। दोनों ने एक दूसरे को पकड़ लिया और सहलाना शुरू कर दिया।

यहाँ बाहर मेरी हालत ऐसी हो रही थी जैसे मैं तेज़ धूप में खडा हूँ, मैं पसीने पसीने हो गया था और मेरे लंड की तो बात ही मत करो एक दम खड़ा होकर सलामी दे रहा था। मैंने फिर उनकी बातें सुननी शुरू कर दी।

तभी अचानक मैंने देखा कि अनीता दीदी ने नेहा की टी-शर्ट के अन्दर अपना हाथ डाल दिया और उसकी चूचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी। नेहा को बहुत मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से प्यार भरी सिस्कारियां निकल रही थी।

"ऊफ दीदी....मुझे कुछ हो रहा है......आपकी उँगलियों में तो जादू है।"

फिर अनीता दीदी ने पूछा," अच्छा नेहा एक बात बता, तूने कभी किसी लण्ड से अपनी चूत की चुदाई करवाई है क्या ?"

"नहीं दीदी, आज तक तो मौका नहीं मिला है। आगे भगवान् जाने कौन सा लण्ड लिखा है मेरे चूत की किस्मत में।" नेहा अपनी आँखें बंद करके बाते किये जा रही थी," दीदी, तुमने तो खूब चुदाई करवाई होगी अपनी, बहुत मज़े लिए होंगे जीजाजी के साथ.... बताओ न दीदी कैसा मज़ा आता है जब सचमुच का लण्ड अन्दर जाता है तो ....?"

"यह तो तुझे खुद ही महसूस करना पड़ेगा मेरी बन्नो रानी.... इस एहसास को शब्दों में बताना बहुत मुश्किल है..."

"हाय दीदी मुझे तो सच में जानना है कि कैसा मज़ा आता है इस चूत की चुदाई में .... तुमने तो बहुत मज़े किये है जीजाजी के साथ, बोलो न कैसे करते हो आप लोग? क्या जीजा जी आपको रोज़ चोदते हैं?"

तभी अनीता दीदी थोड़ा सा उदास हो गई और नेहा की तरफ देख कर कहा,"अब तुझे क्या बताऊँ, तेरे जीजा जी तो पहले बहुत रोमांटिक थे । मुझे एक मिनट भी अकेला नहीं छोड़ते थे। जब भी मन किया मुझे जहाँ मर्ज़ी वहा पटक कर मेरी चूत में अपना लंड डाल देते थे और मेरी जमकर धुनाई करते थे।"

"क्या अब नहीं करते ?" नेहा ने पूछा।

"अब वो पहले वाली बात नहीं रही, अब तो तेरे जिज्जाजी को टाइम ही नहीं मिलता और मैं भी अपने बच्चों में खोई रहती हूँ। आज कल तेरे जिज्जाजी मुझे बस हफ़्ते एक या दो बार ही चोदते हैं वो भी जल्दी जल्दी से, मेरी नाइटी उठा कर अपना लंड मेरी चूत में डाल कर बस १० मिनट में ही लंड का माल चूत में झाड़ देते हैं।"

यह बात सुनकर मेरा दिमाग ठनका। मैंने पहले कभी भी अनीता दीदी को सेक्स की नज़रों से नहीं देखा था। अब मेरे दिमाग में कुछ शैतानी घूमने लगी। मैं मन ही मन उनके बारे में सोचने लगा....। ऐसा सोचने से ही मेरा लंड अब बिल्कुल स्टील की रॉड की तरह खड़ा हो गया।

अनीता दीदी को उदास देख कर नेहा ने उनके गालों पर एक चुम्मा लिया और कहा," उदास न हो दीदी, अगर मैं कुछ मदद कर सकूँ तो बोलो। मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी, मेरा वादा है तुमसे।"

दीदी हल्के से मुस्कुराई और कहा," मेरी प्यारी बन्नो, जब जरूरत होगी तो तुझसे ही तो कहूँगी, फिलहाल अगर तू मेरी मदद करना चाहती है तो बोल !"

"हाँ हाँ दीदी, तुम बोलो मैं क्या कर सकती हूँ ?"

"चल आज हम एक दूसरे को खुश करते हैं और एक दूसरे का मज़ा लेते हैं...." नेहा थोड़ा सा मुस्कुराई और अनीता दीदी को चूम लिया।

अनीता दीदी ने नेहा को बिस्तर से उठने के लिए कहा और खुद भी उठ गई। दोनों बिस्तर पर खड़े होकर एक दूसरे के कपड़े उतारने लगी। नेहा की पीठ मेरी तरफ थी और अनीता दीदी का चेहरा मेरी तरफ। नेहा ने अनीता दीदी की नाईटी उतार दी और दीदी ने उसकी टी-शर्ट।

हे भगवान् ! मेरे मुँह से तो सिसकारी ही निकल गई, आज से पहले मैंने अनीता दीदी को इतना खूबसूरत नहीं समझा था। वो बिस्तर पर सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। दूधिया बदन , सुराहीदार गर्दन, बड़ी बड़ी आँखें, खुले हुए बाल और गोरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा जिसमे उनके 36 साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्त कैद कर दिया हो। उनकी चूचियां बाहर निकलने के लिए तड़प रही थीं। चूचियों से नीचे उनका सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी नाभि, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो। उनकी कमर २६ से ज्यादा किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती। बिल्कुल ऐसी जैसे दोनों पंजो में समां जाये। कमर के नीचे का भाग देखते ही मेरे तो होंठ और गला सूख गया। उनकी गांड का साइज़ ३६-३७ के लगभग था। बिल्कुल गोल और इतना ख़ूबसूरत कि उन्हें तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था। कुल मिलाकर वो पूरी सेक्स की देवी लग रही थीं.....

हे भगवान् मैंने आज से पहले उनके बारे में कभी भी नहीं सोचा था।

इधर नेहा के कपड़े भी उतार चुकी थी और वो भी ब्रा और पैंटी में आ चुकी थी। उसका बदन भी कम सेक्सी नहीं था। 32 / 26/ 34...वो भी ऐसी थी किसी भी मर्द के लंड को खड़े खड़े ही झाड़ दे।

"हाय नेहा, तू तो बड़ी खूबसूरत है रे, आज तक किसी ने भी तुझे चोदा कैसे नहीं। अगर मैं लड़का होती तो तुझे जबरदस्ती पटक कर तुझे चोद देती।"

"ओह दीदी, आप के सामने तो मैं कुछ भी नहीं, पता नहीं जिज्जाजी आपको क्यूँ नहीं चोदते .."

"उनकी बातें छोडो, वो तो हैं ही बेवकूफ !" अनीता दीदी ने नेहा की ब्रा खोल दी और नेहा ने भी हाथ बढ़ा कर दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया।

मेरी तो सांस ही रुक गई, इतने सुन्दर और प्यारे उरोज मैंने आज तक नहीं देखे थे। अनीता दीदी के दो बच्चे थे पर कहीं से भी उन्हें देख कर ऐसा नहीं लगता था कि दो-दो बच्चों ने उनकी चूचियों से दूध पिया होगा....

खैर, अब नेहा की बारी थी तो दीदी ने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और साथ ही साथ उसकी पैंटी को भी उसके बदन से नीचे खिसकाने लगी। दीदी का उतावलापन देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें कई जन्मों की प्यास हो।

नेहा ने भी वैसी ही फुर्ती दिखाई और अनीता दीदी के पैंटी को हाथों से निकालने के लिए खींच दिया।

संगेमरमर जैसी चिकनी जांघों के बीच में फूले हुए पावरोटी के जैसे बिल्कुल चिकनी और गोरी चूत को देखते ही मेरे लंड ने अपना माल छोड़ दिया........

मेरे होठों से एक सेक्सी सिसकारी निकली आर मैंने दरवाज़े पर ही अपना सारा माल गिरा दिया.......मेरे मुँह से निकली सिसकारी थोड़ी तेज़ थी । शायद उन लोगों ने सुन ली थी, मैं जल्दी से आकर अपने कमरे में लेट गया और सोने का नाटक करने लगा। कमरे की लाइट बंद थी और दरवाज़ा थोड़ा सा खुला ही था। बाहर हॉल में हल्की सी लाइट जल रही थी जिसमें मैंने एक साया देखा। मैं पहचान गया। यह नेहा थी जो अपने बदन पर चादर डाल कर मेरे कमरे की तरफ ये देखने आई थी कि मैं क्या कर रहा हूँ और वो सिसकारी किसकी थी।

थोड़ी देर वहीं खड़े रहने के बाद नेहा अपने कमरे में चली गई और उसके कमरे का दरवाजा बंद हो गया, जिसकी आवाज़ मुझे अपने कमरे तक सुनाई दी। शायद जोर से बंद किया गया था। मुझे कुछ अजीब सा लगा, क्यूंकि आमतौर पर ऐसे काम करते वक़्त लोग सारे काम धीरे धीरे और शांति से करते हैं। लेकिन यह ऐसा था जैसे जानबूझ कर दरवाजे को जोर से बंद किया गया था। खैर जो भी हो, उस वक़्त मेरा दिमाग ज्यादा चल नहीं पा रहा था। मेरे दिमाग में तो बस अनीता दीदी की मस्त चिकनी चूत ही घूम रही थी।

थोड़ी देर के बाद मैं धीरे से उठा और वापस उनके दरवाज़े के पास गया, और जैसे ही मैंने अन्दर झाँका .......

दोस्तों, अब मैं ये कहानी यहीं रोक रहा हूँ। मुझे पता है आपको बहुत गुस्सा आएगा, कुछ खड़े लण्ड खड़े ही रह जायेंगे और कुछ गीली चूत गीली ही रह जायेगी। पर यकीन मानिये अभी तो इस कहानी की बस शुरुआत हुई है। अगर मुझे आप लोगों ने मेरा उत्साह बढ़ाया तो मैं इस कहानी को आगे भी लिखुंगा और सबके सामने लेकर आऊंगा।

वैसे भी यह मेरी पहली कहानी है अन्तर्वासना पर, तो मुझे यह भी देखना है कि मेरी कहानी छपती भी है या नहीं और लोगो को कितनी पसंद आती है। मुझे इन्तज़ार रहेगा आपके जवाब का। अगर आपको लगे कि यह कहानी आगे बढ़े तो मुझे अपने विचार भेजें।